राम मंदिर मामले पर श्रीश्री रविशंकर को मध्यस्थ बनाए जाने पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि हमने राम मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन श्रीश्री रविशंकर को मध्यस्थ बनाए जाने पर आपत्ति है.
आजतक से खास बातचीत में ओवैसी ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता समिति में निष्पक्ष शख्स को नियुक्त करता तो बेहतर होता. श्रीश्री रविशंकर निष्पक्ष व्यक्ति नहीं हैं. AIMIM के अध्यक्ष ओवैसी ने कहा कि राम मंदिर को लेकर श्रीश्री रविशंकर विवादित टिप्पणी करते रहे हैं. ऐसे में अगर उनको इस मामले में मध्यस्थ बनाया जाता है, तो क्या उम्मीद की जा सकती है?
उन्होंने कहा कि श्रीश्री रविशंकर ने राम मंदिर को लेकर 4 नवंबर, 2018 को भी विवादास्पद बयान दिया था और धमकी दी थी कि अगर विवादित जमीन पर मुस्लिमों ने अपना दावा नहीं छोड़ा, तो भारत सीरिया की तरह हो जाएगा. मुस्लिमों को सद्भावना के तहत राम जन्मभूमि पर अपना दावा छोड़ देना चाहिए.
ओवैसी ने कहा, ‘श्रीश्री रविशंकर मामले से जुड़े हुए हैं. उन्होंने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वो किस पक्ष के लिए बोलते हैं. यह दुखद है कि जो व्यक्ति निष्पक्ष नहीं है, उसे सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या पैनल में मध्यस्थ नियुक्त किया है.’ इसके अलावा बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी और निर्मोही अखाड़े ने भी अयोध्या पैनल में श्रीश्री रविशंकर को नियुक्त किए जाने का विरोध किया है.
वहीं, इस मामले पर केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा, 'राम मंदिर विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थ नियुक्त किए जाने पर हम सुप्रीम कोर्ट को कुछ नहीं कहेंगे. हम कोर्ट का सम्मान करते हैं, लेकिन राम भक्त हैं. राम सारे ब्रह्मांड के स्वामी है. लिहाजा हम एक ही बात कहेंगे कि जैसे वेटिकन सिटी में मस्जिद नहीं बन सकती है और मक्का मदीना में राम मंदिर नहीं बन सकता, वैसे ही जहां पर रामलला विराजमान हैं, वहां पर कोई दूसरा धर्मस्थल नहीं बन सकता है. वहां पर सिर्फ रामलला का मंदिर ही बनेगा.'
आपको बता दें कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर मामले में एक मध्यस्थता पैनल बनाया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस इब्राहिम खलीफुल्लाह, आर्ट ऑफ लिविंग के प्रमुख श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ श्रीराम पंचू को शामिल किया गया है. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस इब्राहिम खलीफुल्लाह को इस पैनल का चेयरमैन बनाया गया है.
यह मध्यस्थता एक हफ्ते में शुरू हो जाएगी. इसके बाद मध्यस्थता पैनल को चार हफ्ते के अंदर इसकी स्टेट्स रिपोर्ट देनी होगी. साथ ही 8 हफ्ते के अंदर मध्यस्थ अपनी अंतिम रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की प्रक्रिया को गुप्त रखने का भी निर्देश दिया है. ऐसे में मध्यस्थता पर कोई मीडिया रिपोर्टिंग नहीं होगी. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इस मध्यस्थता के लिए सभी इंतजाम करेगी.