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बहुविवाह, निकाह-हलाला पर बैन की मांग के खिलाफ AIMPLB की SC में अर्जी

AIMPLB ने अपनी याचिका में कहा कि बहुविवाह और अन्य प्रथाओं पर पहले ही फैसला सुनाया जा चुका है. धार्मिक प्रथा को चुनौती देने वाली जनहित याचिका उस व्यक्ति द्वारा दायर नहीं की जा सकती, जो उस धार्मिक संप्रदाय का हिस्सा नहीं है.

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सुप्रीम कोर्ट (ANI)
सुप्रीम कोर्ट (ANI)

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  • निकाह-हलाला पर बैन लगाने की मांग का विरोध
  • 'दूसरे धर्म के मामलों में दूसरों की दखल नहीं हो'

बहुविवाह और निकाह-हलाला पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. AIMPLB ने सुप्रीम कोर्ट में उस जनहित याचिका का विरोध किया है, जिसमें बहुविवाह और निकाह-हलाला पर बैन लगाने की मांग की गई है.

AIMPLB ने कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा कि बहुविवाह और अन्य प्रथाओं पर पहले ही फैसला सुनाया जा चुका है.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से दाखिल अपनी याचिका में यह भी कहा गया कि धार्मिक प्रथा को चुनौती देने वाली जनहित याचिका उस व्यक्ति द्वारा दायर नहीं की जा सकती, जो उस धार्मिक संप्रदाय का हिस्सा नहीं है. मुस्लिम हितों की रक्षा के लिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कई मुस्लिम संगठन मौजूद हैं.

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SC ने किया था जल्द सुनवाई से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने 2 दिसंबर को मुस्लिम समुदाय में प्रचलित बहुविवाह प्रथा और हलाला के खिलाफ दाखिल याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया था. चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि हम सर्दियों की छुट्टियों के बाद मामले को देखेंगे. ये मामला सुप्रीम कोर्ट की ओर से संविधान पीठ को भेज दिया गया है.

बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने इस मामले में कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की थी. याचिका में हलाला और पॉलीगेमी (बहुविवाह) को रेप जैसा अपराध घोषित करने की मांग की गई है, जबकि बहुविवाह को संगीन अपराध घोषित करने की मांग की गई है.

क्या है निकाह हलाला?

अगर वर्तमान मुस्लिम पर्सनल लॉ के प्रावधानों को देखें तो इनके मुताबिक अगर किसी मुस्लिम महिला का तलाक हो गया है और वह उसी पति से दोबारा निकाह करना चाहती है, तो उसे पहले किसी और शख्स से शादी कर एक रात गुजारनी होती है. इस प्रथा को निकाह हलाला कहते हैं.

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इससे पहले पिछले साल जून में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने तीन तलाक बिल में निकाह हलाला और बहुविवाह पर रोक लगाने के लिए प्रावधान की मांग की थी. इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखते हुए कहा था कि निकाह हलाला और बहुविवाह बेहद ही शर्मनाक और अमानवीय सामाजिक कुरीतियां हैं.

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स्वाति मालीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे अपने पत्र में कहा था, सबसे पहले मैं आपको (नरेंद्र मोदी) तीन तलाक जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ कानून पास करवाने के प्रयासों के लिए बधाई देना चाहती हूं. एक सभ्य समाज में जहां महिला और पुरुष को हर पहलू में समान दर्जा हो, वहां इस प्रकार की कुरीतियों की कोई जगह नहीं है.

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