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जालंधर में सभी दलों ने निकाला शांति मार्च

अयोध्या में विवादित ढ़ांचे के संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आज आने वाले फैसले के मद्देनजर जालंधर में लोगों से अमन, शांति और सद्भाव बनाये रखने तथा संयम बरतने की अपील करते हुए सभी दलों और सभी धर्मों के लोगों ने आज यहां शांति मार्च निकाला.

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अयोध्या में विवादित ढ़ांचे के संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आज आने वाले फैसले के मद्देनजर जालंधर में लोगों से अमन, शांति और सद्भाव बनाये रखने तथा संयम बरतने की अपील करते हुए सभी दलों और सभी धर्मों के लोगों ने आज यहां शांति मार्च निकाला.

जालंधर के कंपनी बाग चौक से यह सर्वदलीय शांति मार्च निकाला गया जिसमें सभी धर्मों के लोग मौजूद थे. यह शांति मार्च शहर में घूमते हुए वापस कंपनी बाग चौक पर संपन्न हो गया.

इस मौके पर भाजपा, कांग्रेस और अकाली दल के नेताओं ने एक साथ होकर एक मंच पर आकर लोगों से फैसले के मद्देनजर शांति बनाये रखने की अपील की. मार्च में शामिल लोगों ने- ‘भारत माता की जय’, हिंदुस्तान जिंदाबाद, कौमी एकता जिंदाबाद और ‘भारत मां के चार सिपाही- हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई’ के - नारे लगाए.

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हिदुओं, सिखों और मुसलमानों के कौमी एकता के इन नारों से पूरा शहर गूंज उठा. यह मार्च जिस भी रास्ते से गुजरा लोग अपने अपने घरों, दुकानों से निकल कर जुलूस में जुड़ते चले गये.

इस मौके पर भाजपा और कांग्रेस के जिला प्रमुखों क्रमश: सुभाष सूद और अरूण वालिया ने कहा, ‘‘देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाये रखने के लिए सभी दल और सभी धर्मों के लोगों ने एकजुट होकर यह शांति मार्च निकाला है. हम लोगों से अपील करते हैं कि फैसला चाहे जो भी हो, जिसके पक्ष में हो, शांति बनाये रखें.’ वालिया ने कहा कि जिला कांग्रेस कमेटी की पहल पर यह शांतिमार्च निकाला गया है. हालांकि कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया था.

दोनों नेताओं ने यह भी कहा कि देश में कानून से उपर कोई नहीं है इसलिए सभी पक्षों के लोगांे को अदालत के फैसले का सम्मान करना चाहिए.

इस मौके पर मौजूद बिलाल मस्जिद के इंतजामिया कमेटी के प्रमुख मोहम्मद शफीउर रहमान रजा ने कहा कि हम फैसले का स्वागत करेंगे चाहे वह किसी के पक्ष में हो. उन्होंने कहा कि हम दोनों पक्षों के लोगों से यह अपील करते हैं कि कुछ लोगों के बहकावे में आकर देश की शांति भंग नहीं करें.

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उन्होंने कहा कि देश की एकता, अखंडता और अमन में ही लोगों की भलाई है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी को इस फैसले से ऐतराज होगा तो उसके लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खुला है.

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