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जुवेनाइल जस्टिस बिल से इस तरह कसा जाएगा नाबालिग अपराधियों पर शिकंजा

जुवेनाइल जस्टिस बिल मंगलवार को राज्यसभा में पास हो सकता है. इस बिल के पास होने से नाबालिग अपराधियों पर शिकंजा कसा जाएगा. जानें, कैसे ज्यादा प्रभावशाली है जुुवेनाइल जस्टिस बिल?

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जुवेनाइल जस्टिस बिल नाबालिग अपराधियों पर कसेगा शिकंजा
जुवेनाइल जस्टिस बिल नाबालिग अपराधियों पर कसेगा शिकंजा

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16 दिसंबर गैंगरेप पीड़िता निर्भया के नाबालिग दोषी को रिहा करने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट के इंकार के बाद न सिर्फ सवाल उठ रहे हैं बल्कि कानून में बदलाव के लिए लोगों का आक्रोश भी सड़कों पर देखने को मिल रहा है.

कोर्ट ने साफ कर दिया है कि वो कानून से आगे जाकर कोई फैसला नहीं ले सकती है और कानून को बदलने का जिम्मा सरकार पर छोड़ दिया है. सरकार पर जुवेनाइल जस्टिस बिल को पास करने का दवाब बढ़ गया है. लोकसभा में पारित हो चुका ये बिल मंगलवार को चर्चा के बाद उच्च सदन राज्यसभा में भी पास हो सकता है.

इस बिल के पास होने से नाबालिग अपराधियों पर किस तरह कानून का शिकंजा कसा जाएगा और किस तरह उनमें जुर्म को लेकर डर पैदा होगा, वो हम आपको समझाते हैं.

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कानून की नजर में कौन है जुवेनाइल?
18 साल या उससे कम्र का कोई भी अपराधी कानून की नजर में नाबालिग होता है. इंडियन पैनल कोड कहता है कि 7 साल से कम उम्र के किसी भी बच्चे पर आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जा सकता.

नए बिल की क्यों है जरूरत?
संसद में बिल पेश करते हुए सरकार ने कहा कि मौजूदा कानून की वजह से जुवेनाइल अपराधियों के कई मामले पेंडिंग पड़े हुए हैं. देशभर में लंबी चली बहस के बाद इस बात की मांग उठी कि जुवेनाइल अपराधियों की उम्र 18 से कम करके 16 की जाए. नए जुवेनाइल जस्टिस बिल में प्रावधान है कि रेप और हत्या जैसे जघन्य अपराध करने वाले 16-18 साल के अपराधियों पर वयस्कों की तरह मामला चलाया जाए. ऐसा पाया गया कि जुवेनाइल जस्टिस कानून 2000 में कुछ प्रक्रियागत और कार्यान्वयन के लिहाज से खामियां थीं. वहीं राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक उन अपराधों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा था जिनमें शामिल लोगों की उम्र 16 से 18 साल के आसपास थी. एनसीआरबी का डेटा यह बताने के लिए काफी था कि 2003 से 2013 के बीच ऐसे अपराध में इजाफा हुआ है. इस दौरान 16 से 18 साल के बीच के अपराधियों की संख्या 54 फीसदी से बढ़कर 66 फीसदी हो गई.

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ये हैं प्रावधानः

- जुवेनाइल जस्टिस बिल 2000 को बदलकर नए बिल को लाया जाएगा. नए बिल में प्रावधान है कि रेप और हत्या जैसे जघन्य अपराधों में 16-18 साल के अपराधियों को वयस्क माना जाएगा और उनपर वयस्कों की तरह ही केस चलेगा.

- रेप और हत्या जैसे जघन्य अपराध करने वाले 16-18 साल के किसी भी अपराधी पर केस तभी चलाया जाएगा जब वो 21 साल का हो जाएगा.

- बिल में देश के हर जिले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड(जेजेबी) और चाइल्ड वेलफेयर कमिटी (सीडबल्यूसी) बनाए जाने का प्रावधान है.

- जेजेबी के पास इस बात का फैसला करने का अधिकार होगा कि नाबालिग अपराधी को बाल सुधार गृह भेजा जाए या उसपर वयस्कों की तरह केस चलाया जाए.

- बच्चों के साथ दरिंदगी करने, बच्चों को ड्रग्स देने या बच्चों को अगवा करने/बेचने के अपराध में सजा वही रहेगी, जो पुराने बिल में है.

विशेषज्ञों की राय
नाबालिगों को वयस्कों की तरह सजा देने पर विशेषज्ञों की अलग-अलग राय हैं. कुछ का कहना है कि मौजूदा कानून बच्चों में अपराध के प्रति डर पैदा नहीं करता जबकि कुछ का मानना है कि नाबालिग अपराधियों को सुधार गृह में भेजने से अपराध के प्रति उनका नजरिया बदलता है और उनमें सुधार आता है.

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मौजूदा कानून से रुकावट
कानून के कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि जघन्य अपराध करने वाले नाबालिग अपराधियों पर वयस्कों की तरह केस चलाने से धारा 14(समानता का अधिकार) और धारा 21(कानून सबके लिए बराबर है) का उल्लंघन होता है.

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