इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका को सुनवाई के लिए शुक्रवार को स्वीकार करते हुए गृह मंत्रालय और कानून व न्याय मंत्रालय के सचिवों के माध्यम से केंद्र सरकार को एक फरवरी 2019 तक जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा. इस जनहित याचिका में सूचना प्रौद्योगिकी कानून-2000 (Information Technology Act-2000) की धारा 69 की वैधता को चुनौती दी गई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस सीडी सिंह की पीठ ने सौरभ पांडेय द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह आदेश दिया.
आईटी कानून की धारा 69 की वैधता को इस आधार पर चुनौती दी गई कि यह धारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करती है, क्योंकि इसमें कार्यपालिका को मनमाने ढंग से काम करने के लिए असीमित अधिकार दिए गए हैं. याचिका में यह भी कहा गया कि इस धारा का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि इसमें दिए गए इस तरह के अधिकारों से संबंधित व्यक्तियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन होगा.
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक याचिकाकर्ता ने आगे दलील दी कि आईटी कानून की धारा 69 भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (A) और 21 का भी उल्लंघन करती है. व्यक्तिगत तौर पर पेश हुए याचिकाकर्ता एक एयरोनॉटिकल इंजीनियर (Aeronautical engineer) हैं और आईआईटी खड़गपुर से LLB (Hons.) की पढ़ाई कर रहे हैं. वहीं, भारत के सहायक सॉलीसीटर जनरल ज्ञान प्रकाश ने यह कहते हुए इस याचिका का विरोध किया कि इस याचिका में दम नहीं है, क्योंकि याचिकाकर्ता ने इस अदालत के नियमों के अध्याय 22 के तहत आवश्यक चीजों का खुलासा नहीं किया है.
हालांकि अदालत ने ज्ञान प्रकाश की यह दलील खारिज कर दी और इस जनहित याचिका को यह कहते हुए स्वीकार किया कि अदालत भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अधिकार का उपयोग करते हुए तकनीकी आपत्तियों को खारिज नहीं कर सकती. अदालत इस मामले की अगली सुनवाई एक फरवरी 2019 को करेगी.