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अलवर लिंचिंग केस में नया मोड़, रकबर ने लाडपुर से नहीं खरीदी थी गाय

21 जुलाई की रात ललावंडी गांव में गोतस्करी के शक में भीड ने कोलगांव हरियाणा निवासी रकबर को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया था. मामले की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस रकबर और दोनों गायों को रामगढ़ थाने ले आई.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

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राजस्‍थान के अलवर लिंचिंग मामले में नया मोड़ आ गया है. एफआईआर में असलम ने जिनके यहां से गाय खरदीने के बारे में बताया है. उन लोगों का कहना है कि उन्होंने कोई गाय नहीं बेची है.

लाडपुर में रहने वाले मल्ला और सुन्ने के परिजनों ने कहा, 'हमने कोई गाय नहीं बेची है. पुलिस ने इनके बयान रिकॉर्ड कर लिए हैं. माना जा रहा है कि हो सकता है. यह आवारा गाय हो जिसे तस्करी कर ले जाया जा रहा हो.'

बता दें कि घटना के दौरान मारे गए रकबर के पास से जो गाय मिली थी वो बड़ौदामेव के लाडपुर से नहीं खरीदी गई थी. जबकि पुलिस के रिकॉर्ड और रकबर के दूसरे साथी ने बताया था कि गाय उन्होंने लाडपुर से खरीदी थी.

मल्ला की पत्नी हारूनी ने बताया कि मल्ला मजदूरी करने के लिए अलवर गया हुआ है. उसके पास कोई गाय नहीं है. सिर्फ गाय की एक बछिया है. तीन दिन पहले उन्होंने किसी को गाय नहीं बेची है. चार से पांच महीने पहले जरूर एक गाय गांव में ही बेची थी, लेकिन उसकी बाद में मौत हो गई.

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वहीं सुनने खां की पत्नी मनसीदा ने कहा कि उनके पास एक दुधारू गाय है. सुनने गाड़ी चलता है. वहां मौजूद लोगों ने बताया कि उनसे पूछताछ करने के लिए पुलिस भी गांव में पहुंची थी. उन्होंने पुलिस से भी यह कहा कि उन्होंने गाय नहीं बेची है.

क्या है मामला?

21 जुलाई की रात ललावंडी गांव में गोतस्करी के शक में भीड ने कोलगांव हरियाणा निवासी रकबर को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया था. मामले की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस रकबर और दोनों गायों को रामगढ थाने ले आई. रात करीब साढ़े तीन बजे दोनों गायों को थाने से सात किलोमीटर दूर सुधासागर गोशाला में छुड़वाया गया. जबकि घायल रकबर की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई.

इस मामले में दर्ज एफआईआर में पुलिस ने बताया कि रकबर और उसका साथी बड़ौदामेव के लाडपुर से दुधारू गाय खरीदकर ललावंडी के रास्ते से कोलगांव लेकर जा रहे थे. इस मामले में जब लाडपुर के मल्ला और सुनने खां के परिजनों से बातचीत की तो, उन्होंने कहा कि उन्होंने कोई गाय नहीं बेची है.

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