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भक्तों से रूठ 'अंतर्ध्यान' हो रहे हैं बाबा बर्फानी

ऐसा लगने लगा है कि बाबा बर्फानी अपने भक्तों से रूठ गए हैं. अमरनाथ यात्रा पूरी होने से पहले ही बाबा बर्फानी अंतर्ध्यान हो गए हैं. पवित्र गुफा में जिस शिवलिंग का आकार कई फीट का हुआ करता था, अब वो पूरी तरह पिघल चुके हैं.

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बाबा बर्फानी
बाबा बर्फानी

ऐसा लगने लगा है कि बाबा बर्फानी अपने भक्तों से रूठ गए हैं. अमरनाथ यात्रा पूरी होने से पहले ही बाबा बर्फानी अंतर्ध्यान हो गए हैं. पवित्र गुफा में जिस शिवलिंग का आकार कई फीट का हुआ करता था, अब वो पूरी तरह पिघल चुके हैं.

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हर-हर महादेव के जयघोष के साथ बड़े ही उल्लास के साथ शुरू हुई थी अमरनाथ यात्रा. लेकिन, यात्रा शुरू होने के 18 दिन बाद ही बाबा बर्फानी अंतर्ध्यान होने लगे हैं. अचानक 14 फीट का शिवलिंग पिघलकर रहस्यमयी तरीके से छोटा हो गया है. 14 जुलाई को बाबा बर्फानी का आकार महज कुछ इंच का ही रह गया है.

मान्यताओं के मुताबिक अमरनाथ में साक्षात शिव और पार्वती का वास है. कहते हैं लाखों भक्तों को दर्शन देने के लिए शिव और शक्ति की मौजूदगी से ही हर साल यहां अपने आप बर्फ की मूरत में महादेव प्रकट होते हैं.

अभी तक भक्तों को 55 दिनों तक दर्शन देकर महादेव अंतर्ध्यान हो जाते थे, लेकिन अब केदारनाथ की तरह ही अमरनाथ ने भी भक्तों से मुंह मोड़ लिया है. वैसे इस बार यात्रा शुरू होने के पहले से ही बाबा बर्फानी अपने भक्तों से रूठे हैं.

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14 मई को बाबा बर्फानी का आकार 16 फीट था, महीने भर में ये घटकर 9 फीट रह गया और अब ये महज कुंछ इंच का रह गया है. बाबा बर्फानी के अंतर्ध्यान होने से उन श्रद्धालुओं को मायूसी होगी जो अभी यात्रा के लिए आने वाले हैं.

क्यों रूठ गए हैं बाबा बर्फानी?
आखिर क्यों अमरनाथ की पवित्र गुफा से अंतर्ध्यान हो गए भोले भंडारी. क्यों करीब दो हफ्तों में पिघल गया शिवलिंग. धर्म में आस्था रखने वालों के लिए ये एक बड़ा सवाल है. लेकिन वैज्ञानिकों की मानें तो इस साल अमरनाथ में पिछले सालों के मुकाबले ज्यादा गर्मी पड़ी है, जिसकी वजह से बर्फ का शिवलिंग पिघल गया.

आस्था की अमरनाथ गुफा को जाने वाले रास्ते सूखे और सपाट दिखाई देने लगे हैं. अमूमन इस वक्त इन रास्तों पर बर्फ ही बर्फ दिखाई पड़ती थी, लेकिन इस बार बर्फ का निशान भी नहीं है. आस्था की इस गुफा में इस बार कई श्रद्धालुओं के जाने की उम्मीद जताई जा रही है, ऐसे में यात्रा शुरू होने के बाद भक्तों के अलावा गुफा के आस-पास बड़ी तादाद में सुरक्षा कर्मी भी मौजूद हैं. भारी भीड़ की वजह से अमरनाथ गुफा के आसपास का तापमान और बहुत बढ़ गया, हालांकि श्राइन बोर्ड ने दावा किया था कि पिछले दो तीन साल में उन्होंने कुछ ऐसे उपाय किए हैं, जिससे गुफा तापमान ना बढ़े.

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जब 14 मई 2013 को बाबा बर्फानी ने पहली बार दर्शन दिए थे तब शिवलिंग का आकार 16 फीट का था. और धीरे-धीरे वो पूरी तरह पिघल गया. लेकिन ये पहला मौका नहीं है जब बाबा बर्फानी पहली बार अपने भक्तों से रूठे हों, इससे पहले भी ऐसा हो चुका है.

कब-कब अंतर्ध्यान हुए हैं बाबा बर्फानी
2013 में 16 फीट से बाबा बर्फानी 9 फीट के ही रह गए हैं.
2012 में शिवलिंग का आकार 22 फीट से घटकर 14 फीट गया था.
2011 में 16 फीट के बाबा बर्फानी ने दर्शन दिए थे, जो महज 5 दिनों में 4 फीट तक पिघल गए थे.
2010 में 12 फीट के शिवलिंग का आकार पिघलकर पहले 6 फीट हुआ, और बाद में 3 फीट हो गया था.

बाबा बर्फानी के अंतर्ध्यान होने से भक्त निराश
28 जून को अमरनाथ यात्रा शुरू हई थी. लाखों भक्त बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए निकले, लेकिन दो हफ्तों में ही अमरनाथ गुफा को छोड़ गए महादेव, जबकि अमरनाथ यात्रा 21 अगस्त तक जारी रहेगी. ऐसे में भक्त हैरान हैं कि अब वो पवित्र गुफा में रूठे नाथ को कैसे मनाएंगे.

अभी तक करीब ढाई लाख भक्त बर्फानी बाबा के दर्शन कर चुके हैं, जबकि साढ़े तीन लाख भक्त अमरनाथ पहुंच सकते हैं. हर दिन हजारों श्रद्धालु पवित्र गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन कर रहे हैं, लेकिन पहली बार भक्त पवित्र गुफा में महादेव की नाराजगी को महसूस कर रहे हैं. दर्शन करके लौटे भक्त बताते है कि महादेव का अंतर्ध्यान होना उनकी क्रोधलीला है.

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कोई पहली बार अमरनाथ की यात्रा पर आया है, तो कोई कई बार आ चुका है. बाबा बर्फानी के अंतर्ध्यान होने की खबर से भक्त बेहद दुखी हैं. उन्हें अब अमरनाथ गुफा में उस शिवलिंग के दर्शन नहीं हो पाएंगे जिस के लिए वो इतनी कठिन यात्रा करके पहुंचते हैं.

अमरनाथ यात्रा पर जाने की इच्छा एक बार हर शिव भक्त के मन में होती है, क्योंकि अमरनाथ की पवित्र गुफा में विराजमान महादेव का स्वरूप किसी चमत्कार से कम नहीं है. बर्फानी बाबा का ये रूप न केवल अपने आप प्रकृति बनाती है, बल्कि इस दौरान इसमें साक्षात महादेव आकर वास करते हैं.

कहा जाता है कि गुफा में मौजूद शिवलिंग के ऊपर बूंद-बूंद जल टपकता है. उसी जल के जमने से ये शिवलिंग बनता है. माना जाता है कि ये जल रामकुंड से टपकता है, जो गुफा के बिल्कुल ऊपर है. मान्यता के मुताबिक पूर्णिमा की रात को शिवलिंग अपने पूरे आकार में होता है और पूर्णिमा के बाद जैसे-जैसे चांद का आकार घटता जाता है, वैसे-वैसे शिवलिंग का आकार भी घटता जाता है.

लेकिन अमरनाथ में भोले भंडारी ऐसे रूठे कि पहाड़ों पर पड़ रही गर्मी से महादेव पहले ही अंतर्ध्यान हो गए. मौसम विभाग भी मानता है कि शिवलिंग के पिघलने के पीछे अचानक बढ़ी गर्मी है. धर्म से जुड़े लोग मानते हैं कि मौसम का अचानक गर्म होना महादेव का क्रोध ही है. पहले यात्रा शुरू होते वक्त बारिश ने भक्तों को रोका था और अब खुद महादेव पवित्र गुफा छोड़ गए, जिसका मलतब है कि अभी नाथ की नाराजगी दूर नहीं हुई है.

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