उच्चतम न्यायालय ने कृष्णा गोदावारी बेसिन की गैस को अंबानी परिवार के आंतरिक समझौते के आधार पर बांटने की व्यवस्था को आज खारिज कर दिया और कहा कि गैस राष्ट्रीय संपत्ति है तथा इसके मूल्य एवं उपयोग के निर्धारण का अधिकार सरकार के पास है.
मुख्य न्यायाधीश केजी बालकृष्णन की अध्यक्षता वाली न्यायालय की खंडपीठ ने अंबानी बंधुओं के बीच चार साल से चल रही इस विवाद पर आज बहुमत के आधार पर बहुप्रतीक्षित और दूरगामी प्रभाव वाला फैसला सुनाया. मुख्य न्यायाधीश केजी बालकृष्णन की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने 18 दिसंबर को जिरह के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था. बालकृष्णन 11 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं.
फैसले को पढ़ते हुए पीठ के सदस्य न्यायाधीश पी सतशिवम ने कहा कि सरकार के साथ उत्पादन में हिस्सेदारी की शर्तें अन्य सभी समझौतों के उपर हैं.
{mospagebreak}न्यायालय ने निर्देश दिया कि मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) अनिल अंबानी की आरएनआरएल के साथ गैस बिक्री के मूल समझौते की शर्तों के अनुसार छह सप्ताह के भीतर फिर से बातचीत शुरू करे ताकि आरएआरएल के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित हो सके.
पीठ ने व्यवस्था दी कि अंबानी परिवार के बीच हुआ समझौता तकनीकी और कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है क्योंकि यह दो भाइयों (अनिल और मुकेश) तथा उनकी मां कोकिला बेन के बीच की सहमति है. कंपनी के 30 लाख शेयरधारकों को उसमें शामिल बातों की जानकारी नहीं है.
न्यायालय ने कहा कि सरकार की नीति सब पर लागू होती है और आरआईएल गैस की मालिक नहीं हो सकती. इसका अर्थ है कि पारिवारिक समझौते के तहत आरआईएल की केजी डी6 परियोजना से प्रतिदिन 2.8 करोड़ घन मीटर गैस की आपूर्ति का आरएनआरएल का दावा नहीं माना गया है. पारिवारिक समझौते में दोनों पक्षों के बीच 2.34 डालर प्रति इकाई (एमएमबीटीयू) की दर से गैस की आपूर्ति की व्यवस्था थी. जबकि सरकार ने रिलायंस की केजी बेसिन परियोजना की गैस के लिये 4.20 डालर प्रति इकाई का भाव तय किया है.
पीठ ने कहा कि मुकेश अंबानी की कंपनी आरआईएल को गैस बेचने का मनमाना अधिकार नहीं है और वह सरकार की मंजूरी के बाद ही गैस का मूल्य तय कर सकती है.
इस फैसले के बाद शेयर बाजार में रिलायंस का शेयर 3 फीसद लाभ में आ गया वहीं आरएनआरएल के शेयर में 10 फीसद की भारी गिरावट दर्ज की गयी. अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेस का शेयर फैसले के बाद बिकवाली के दबाव में 12.21 फीसद नीचे चला गया.
इससे पहले, सुबह फैसले की चिंता में आरआईएल का शेयर जहां लगभग दो फीसद नीचे चला गया था वहीं आरएनआरएल के शेयर में 5 फीसद की तेजी दर्ज की गयी थी.
उच्चतम न्यायालय ने पिछले वर्ष 20 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई शुरू की थी और सुनवाई 26 दिन चली. इस दौरान न्यायाधीश आर वी रविंद्रन ने अपने को सुनवाई से यह कहते हुए अलग कर लिया था कि उन्होंने दोनों कंपनियों के शेयर खरीद रखे हैं.