उत्तर प्रदेश में भीमराव अंबेडकर की मूर्ति को पहले भगवा और फिर बवाल के बाद नीले रंग में रंगा गया. साथ ही भीमराव अंबेडकर के नाम के साथ उनके पिता का नाम 'रामजी' जोड़े जाने का विवाद भी अभी थमा नहीं है. इसी बीच अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष रामशंकर कठेरिया का बयान आया है उन्होंने कहा कि 'भीमराव रामजी अंबेडकर' ही बाबा साहब का मूल नाम था और अगर उनके नाम पर बने दूसरे संस्थानों के नाम में भी रामजी जोड़ा जाता है तो यह अच्छा कदम होगा.
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल ने अंबेडकर के नाम में उनके पिता का नाम 'रामजी' जोड़े जाने के बारे में सवाल पूछा गया. इस सवाल पर कठेरिया ने कहा कि संविधान की मूल कॉपी में खुद अंबेडकर ने अपने जो दस्तखत किए हैं उसमें उन्होंने अपना नाम यही लिखा है इसीलिए यही उनका मूल नाम कहा जा सकता है.
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उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के राज्यपाल ने अपने हिसाब से अंबेडकर के नाम में 'रामजी' जोड़ने का कदम उठाया था और अगर दूसरी राज्य सरकारें भी ऐसा करती हैं तो इसमें कोई बुरी बात नहीं है. उन्होंने यहां तक कहा कि इस बारे में वह राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र भी लिख सकते हैं. हालांकि उन्होंने साफ किया कि ऐसा करना या ना करना राज्य सरकारों के ऊपर निर्भर करता है.
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उत्तर प्रदेश में अंबेडकर की मूर्ति के भगवा रंग में रंगे जाने के बारे में पूछे जाने पर कठेरिया ने कहा कि अंबेडकर की मूर्ति किसी भी रंग की हो सकती है. उन्होंने कहा कि अंबेडकर के नाम को अपनी राजनीति से जोड़कर सिर्फ फायदा उठाने के लिए बहुजन समाज पार्टी ने अंबेडकर की मूर्ति को नीला बनाने का सिलसिला चला रखा था.
दलितों के मुद्दे को लेकर कांग्रेस के उपवास का मजाक उड़ाते हुए रामशंकर कठेरिया ने कहा, 'दरअसल यह छोले भटूरे उपवास था. जिसका दलितों के हितों से कोई लेना देना नहीं है.' उन्होंने कहा कि कांग्रेस का दलित प्रेम सिर्फ नाटक है क्योंकि 50 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद कांग्रेस ने दलितों के हितों के लिए कुछ भी नहीं किया.
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लेकिन जब उनसे पूछा गया कि अब तो बीजेपी के दलित सांसद प्रधानमंत्री को बाकायदा पत्र लिखकर कह रहे हैं कि इस सरकार में दलितों के लिए कदम नहीं उठाए जा रहे हैं तो कठेरिया ने कहा कि यह एकाध सांसदों की व्यक्तिगत भावना हो सकती है और हो सकता है कि उनके सामने अपने क्षेत्र में कोई समस्या आई हो लेकिन देश में दलितों के लिए मोदी सरकार ने सबसे ज्यादा काम किया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को पत्र लिखना किसी भी सांसद का हक है और पत्र लिखने को लेकर ज्यादा बवाल खड़ा करना ठीक नहीं है.
गौरतलब है कि अनुसूचित जाति आयोग दलितों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा की जांच कर रहा है जिसकी रिपोर्ट जल्दी ही आएगी. लेकिन इसी बीच उत्तर प्रदेश की सरकार ने कठेरिया के खिलाफ दर्ज तकरीबन दर्जनभर मामलों में मुकदमा खत्म करने का फैसला किया है.
इस मामले में कठेरिया से जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'यह सभी मुकदमे उनके खिलाफ जब दर्ज किए गए थे जब मायावती मुख्यमंत्री थीं. और यह सब मुकदमे धरने प्रदर्शन और राजनीतिक गतिविधियों से जुड़े हुए थे. इसीलिए उन्होंने शासन को खुद इन मामलों को खत्म करने के बारे में पत्र लिखा था.