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पाक के साथ परमाणु सहयोग पर विचार करना चाहता है अमेरिका: हिलेरी

भारत की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए अमेरिका ने मंगलवार को कहा कि असैन्य परमाणु समझौते को पाकिस्तान के अनुरोध पर वह विचार करेगा क्योंकि तात्कालिक और दीर्घकालिक उर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए वह देश को मदद करने को इच्छुक है.

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भारत की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए अमेरिका ने मंगलवार को कहा कि असैन्य परमाणु समझौते को पाकिस्तान के अनुरोध पर वह विचार करेगा क्योंकि तात्कालिक और दीर्घकालिक उर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए वह देश को मदद करने को इच्छुक है.

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बुधवार को होने वाली अमेरिका-पाक के बीच महत्वपूर्ण द्विपक्षीय सामरिक बातचीत से पहले विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने साफ किया कि बातचीत के विषयों में ऊर्जा का मुद्दा भी शुमार होगा लेकिन वार्ता के नतीजों के बारे में समय से पहले कुछ कहने से उन्होंने इनकार कर दिया.

हिलेरी से पूछा गया था कि भारत-अमेरिका की तरह ही क्या अमेरिका, पाकिस्तान के साथ असैन्य परमाणु करार कर सकता है तो उन्होंने कहा, ‘मैं पक्के तौर पर कह सकती हूं कि बातचीत के दौरान यह मुद्दा उठेगा और हम इस पर विचार भी करने जा रहे हैं लेकिन हमारी वार्ताओं के नतीजे के बारे में मैं समय से पूर्व कुछ नहीं कहूंगी.’

पाकिस्तान के ‘एक्सप्रेस टीवी’ को दिये साक्षात्कार में हिलेरी ने कहा, ‘ऊर्जा के मुद्दे पर विशेष तौर पर तात्कालिक कदम उठाया जा सकता है. पाकिस्तान को हम उसकी तात्कालिक और दीर्घकालिक जरूरतों के संबंध में मदद करना चाहते हैं.’ अमेरिका ने जब से भारत के साथ असैन्य परमाणु करार किया है पाकिस्तान तब से इसी प्रकार का सहयोग करने की मांग बार बार करता रहा है.

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पाकिस्तान के साथ ऐसा परमाणु सहयोग करने का अमेरिकी इच्छा का पहला संकेत दो दिनों पहले इस्लामाबाद में अमेरिकी राजदूत एनी पैटर्सन की ओर से आया था. एनी ने कहा कि अप्रसार की अमेरिकी चिंताएं अतीत का हिस्सा होनी शुरू हो गयी हैं और परमाणु सहयोग एक ऐसा परिदृश्य है जिसे तलाशा जा सकता है. इस प्रकार के किसी कदम पर भारत ने अप्रसन्नता जाहिर की है और अमेरिका से इस बात को ध्यान रखने को कहा है कि अतीत में पाकिस्तान ने गुपचुप तरीके से परमाणु प्रसार किया है.

भारत ने कहा है कि एक देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और एक देश के अतीत के बीच सही तालमेल बनाये रखने की जरूरत है. भारत का संकेत पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक ए क्यू खान द्वारा संचालित गुपचुप नेटवर्क की ओर हैं. माना जाता है कि परमाणु सामग्री और प्रौद्योगिकी की तस्करी करने वाले नेटवर्क ने उत्तर कोरिया और सीरिया को मदद दी है.

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