अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप किस तरीके से विश्व भर में फैल रहे आतंक को लेकर समय-समय पर अपने बयान देते रहते हैं उससे साफ जाहिर है कि अमेरिका आतंक से निपटने को लेकर कितना संजीदा है. भारत भी कुछ इसी तरीके से आतंकी घटनाओं, खास तौर पर "लोन वुल्फ" अटैक जैसी घटना को रोकने के लिए अपनी बड़ी तैयारी कर रहा है.
आजतक को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक, अमेरिका की स्पेशल फोर्स 26 जनवरी के बाद कोलकाता के एनएसजी हब में काउंटर टेरर को लेकर स्पेशल अभ्यास करेगी. इस अभ्यास में अमेरिकन सील कमांडो शामिल होंगे, जिसमें एनएसजी यानी ब्लैक कैट कमांडो के साथ आतंक से निपटने की खास ट्रेनिंग साझा की जाएगी. करीब डेढ़ सप्ताह तक चलने वाले इस अभ्यास में दोनों देश के कमांडो आतंकियो से निपटने के अलग-अलग गुर सीखेंगे.
सिर से लेकर नख तक काली पोशाक में ढके एनएसजी के कमांडो लगातार काउंटर टेरर के अभ्यास देश में करते ही रहते हैं. साथ ही अलग-अलग देशों के कमांडो के साथ भी इनके अभ्यास होते रहते हैं. इससे पहले एनएसजी के कमांडो ने दिसंबर के महीने में फ्रेंच कमांडोज के साथ काउंटर टेरर का अभ्यास किया था. वहीं, सितंबर और अक्टूबर के महीने में थाईलैंड के कमांडो भी भारत के इस एलीट फोर्स के साथ आतंकी गतिविधियों से निपटने का अभ्यास कर चुके हैं.
एनएसजी से मिली जानकारी के मुताबिक जर्मनी के कमांडो भी एनएसजी के ब्लैक कैट कमांडो के साथ आतंक से निपटने का अभ्यास नवंबर के महीने में कर चुके हैं. विश्व की सबसे खतरनाक और बेस्ट कमांडो माने जाने वाली ब्रिटेन की "एस ए एस" (SAS Commando) के साथ भी भारत की एलीट कमांडो फोर्स एनएसजी जल्द ही कमांडो ट्रेनिंग करेगी. इसके पीछे यह उद्देश्य है कि विश्व में कमांडो ट्रेनिंग में प्रयोग की जाने वाली बेहतर से बेहतर तकनीक की जानकारी देश के एलीट कमांडोज, यानी एनएसजी को भी मिल सके. इसका फायदा आतंकी घटनाओं के निपटने के दौरान बड़े स्तर पर होगा.
देश में जब भी कोई आतंकी घटना होती है तब ब्लैक कैट कमांडो अहम भूमिका निभाते हैं. वर्तमान में आतंकी नए-नए तरीके के आईईडी का इस्तेमाल करते हैं. इसके मद्देनजर नेशनल बम डाटा सेंटर में इन आईईडी और उसको निष्क्रिय करने की जानकारी कमांडो को दी गई थी. इस अभ्यास में अमेरिका और इजरायल सहित 12 देश के 40 डेलीगेट्स शामिल हुए थे. अलग-अलग देशों में किस तरीके से आतंकी विस्फोटक का इस्तेमाल करते हैं उस पर हुई बैठक में आईएसआईएस के खतरे और आतंकियों द्वारा प्रयोग विस्फोटक पर खास चर्चा की गई थी.