आखिरकार मोदी सरकार बैकफुट पर आ ही गई. असहिष्णुता पर एक महीने से बढ़ी बहस और दिनभर चली सियासत के बाद सरकार ने मान ही लिया कि उससे गलती हुई है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस पर सरकार का रुख साफ किया. पछतावा जताते हुए कहा कि सरकार ने दादरी की घटना से सबक लिया है. इस पर तेजी से बात करनी चाहिए थी.
दादरी से लिया यह सबक लिया
जावड़ेकर ने कहा कि दादरी की घटना से सरकार ने सबक लिया कि सही वक्त पर सही बात लोगों तक पहुंचा देनी चाहिए. जावड़ेकर ने यह बात कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पीएम की खामोशी पर सवाल उठाने के बाद कही है. सोनिया ने कहा था कि पीएम का मौन दिखाता है कि असहिष्णु गतिविधियों से उनकी सहमति है .
चंद घंटों में बदले सुर
जावड़ेकर ने कहा, हमारा मानना है कि खाना निजी पसंद का मामला है. इस बारे में कोई किसी से जबरदस्ती नहीं कर सकता. जावड़ेकर ने एक टीवी चैनल से बातचीत में ये बातें कहीं. दिन में कांग्रेस के मार्च को नौटंकी बताने वाले जावड़ेकर के सुर रात में बदल गए. उन्होंने असहिष्णुता के खिलाफ भी बात की.
कैलाश विजयवर्गीय से किया किनारा
जावड़ेकर ने मध्य प्रदेश बीजेपी के नेता कैलाश विजयवर्गीय के शाहरुख खान को लेकर दिए बयान से दूरी बना ली. विजयवर्गीय ने शाहरुख को राष्ट्रविरोधी बताया था. जावड़ेकर से इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि विजयवर्गीय पार्टी के प्रवक्ता नहीं हैं. मैं उनके बयान की निंदा करता हूं.
इखलाक की हत्या से बढ़ा था विरोध
सितंबर में बीफ की अफवाह पर दादरी के 50 वर्षीय इखलाक की हत्या के बाद से केंद्र सरकार का विरोध बढ़ गया था. इसके विरोध में 41 से ज्यादा लेखक और वैज्ञानिक अपना पुरस्कार लौटा चुके हैं. मंगलवार को ही पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने संसद से राष्ट्रपति भवन तक मार्च कर किया था.