कोलकाता के ऐतिहासिक ब्रिगेड परेड ग्राउंड में विपक्ष के शक्ति प्रदर्शन के बाद, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के गढ़ में दस्तक देने जा रहे हैं. पिछले कुछ समय से बीजेपी पश्चिम बंगाल में बेहद आक्रामक रही है और खुद को मुख्य विपक्षी दल के तौर पर राज्य में स्थापित भी किया है. दरअसल आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी ने अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए जो योजना बनाई है उसमें देश के पूर्वी हिस्से के राज्यों की अहम भूमिका है. राजनीतिक विमर्शों में बीजेपी के इस अभियान को लुक-ईस्ट रणनीति कहा जा रहा है.
बीजेपी ने क्यों बदली रणनीति?साल 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने उत्तर और पश्चिम भारत से निर्णायक बढ़त हासिल करते हुए केंद्र में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने में कामयाब रही. लेकिन इन 5 सालों में बदले सियासी समीकरण में बीजेपी को अपना प्रदर्शन दोहराने में मुश्किल होगी. दिसंबर 2018 में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने हिंदी पट्टी के तीन राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीत दर्ज करते हुए वापसी की है. जबकि सीटों के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में 2 बड़े क्षेत्रीय दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन के ऐलान के बाद बीजेपी के लिए राजनीतिक हालात मुश्किल हुए हैं.
पश्चिम भारत के महाराष्ट्र और गुजरात में भी बीजेपी पिछले चुनाव में अपने चरम पर थी. लेकिन महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी शिवसेना आए दिन आंखें दिखा रही है तो वहीं गुजरात में कांग्रेस पिछले 2 दशकों में सबसे मजबूत स्थिति में खड़ी है. लिहाजा बीजेपी के लिए यहां भी अपना प्रदर्शन दोहराना मुश्किल होता दिख रहा है.
दक्षिण भारत की बात करें तो पिछले आम चुनाव में टीडीपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ी बीजेपी को गैर विभाजित आंध्र प्रदेश में गठबंधन का फायदा मिला था. लेकिन अब टीडीपी बीजेपी के साथ नहीं है. तेलंगाना और तमिलनाडु में बीजेपी अभी भी कोई जगह नहीं बना पाई है. बीजेपी ने थोड़ी-बहुत पकड़ केरल में जरूर मजबूत की है और यहां पार्टी 1-2 सीट जीतने की उम्मीद कर सकती है. लिहाजा दक्षिण भारत में कुल मिलाकर कर्नाटक ही ऐसा राज्य है जहां बीजेपी की पकड़ मजबूत है लेकिन यहां भी पार्टी का मुकाबला एकजुट कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन से होना है.
क्या है बीजेपी का लुक-ईस्ट प्लान?
बीजेपी को उत्तर और पश्चिम में होने वाले नुकसान और दक्षिण भारत में विपक्ष में मिलने वाली बढ़त की भरपाई, जाहिर तौर पर पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत से करनी होगी. पूर्वी भारत के पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड और पूर्वोत्तर के 8 राज्य को मिलाकर कुल 142 सीटे हैं. पिछले चुनाव में एनडीए ने अधिकतर सीटें बिहार और झारखंड से जीती थी. जबकि पश्चिम बंगाल और ओडिशा में क्रमश: टीएससी और बीजेडी के आगे बीजेपी को महज 3 सीटें ही मिलीं.
बीजेपी वर्तमान में 40 लोकसभा सीटों वाले बिहार में सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा है. बिहार की राजनीति में तीन बीजेपी, आरजेडी और जेडीयू तीन खेमें हैं. यहां सियासत की गणित कहती है कि जब भी इनमें से दो एक साथ आ जाते हैं तो तीसरे के मुकाबले उनका पलड़ा भारी हो जाता है. आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी और जेडीयू के बीच गठबंधन हुआ है जबकि रामविलास पासवान की एलजेपी पहले से एनडीए का हिस्सा है. जबकि इस गठबंधन के विपक्ष में कांग्रेस, आरजेडी, जीतन राम मांझी की HAM और आरएलएसपी शामिल हैं. झारखंड की 14 सीटों की बात करें पिछले चुनाव में बीजेपी ने 12 सीटों पर कब्जा जमाया था. जबकि राज्य में बीजेपी की सरकार है. लिहाजा बीजेपी अपना प्रदर्शन बनाए रखना चाहेगी.
पश्चिम बंगाल और ओडिशा से बीजेपी को सबसे ज्यादा उम्मीद है. पिछले कुछ वर्षों में बीजेपी ने यहां आक्रामक राजनीति करते हुए खुद को मुख्य विपक्षी दल के तौर पर स्थापित किया है. जहां पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी टीएमसी के बड़े नेता मुकुल राय बीजेपी का दामन थाम चुके हैं, तो वहीं ओडिशा में भी बीजेडी के कुछ बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ी है. वहीं पिछले 19 सालों में बीजेडी के खिलाफ पहली बार सत्ता विरोधी माहौल बनता दिख रहा है. लिहाजा इन दोनों राज्यों की 63 सीटों पर बीजेपी के विस्तार का सबसे सुनहरा मौका यही है. जब यहां के स्थापित विपक्षी दल सबसे कमजोर स्थिति में हैं.
कुछ साल पहले तक कांग्रेस का गढ़ रहा पूर्वोत्तर भारत का क्षेत्र अब बीजेपी के कब्जे में है. पूर्वोत्तर के 8 राज्यों में कुल मिलाकर 25 सीटें हैं, जिसमें सबसे ज्यादा 13 सीटें असम में हैं. तो वहीं यहां के क्षेत्रीय दलों को साधने के लिए कभी कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे हेमंत बिस्व शर्मा के नेतृत्व में एनडीए की तर्ज पर नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) बनाया है. माना जाता है कि पूर्वोत्तर में बीजेपी के विस्तार में NEDA की अहम भूमिका रही. केंद्र की मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर में विकास के लिए कई अहम कदम उठाए हैं. अब समय इस फसल को काटने का है.
ऐसे में यदि बीजेपी 142 सीटों पर अपनी रणनीति में कामयाब रही तो उत्तर, पश्चिम और दक्षिण की भरपाई पूरब और पूर्वोत्तर से कर सकती है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व लगातार इस क्षेत्र में सक्रियता दिखा रहे हैं.