बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को बड़ी राहत मिली है. मुंबई में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सोहराबुद्दीन और तुलसीराम प्रजापति एनकाउंटर मामले में मंगलवार को उन्हें क्लीन चिट दे दी है. कोर्ट ने उनके खिलाफ सभी आरोप खारिज कर दिए हैं. पुलिस की इमेज खराब करने वाले 6 विवादित एनकाउंटर
बीजेपी अध्यक्ष ने इस मामले में खुद को आरोप से मुक्त करने की अर्जी दी थी, जिस पर पिछली तारीख को सुनवाई पूरी हो चुकी थी और मंगलवार को फैसला आना था. सीबीआई के मुताबिक, सोहराबुद्दीन शेख नवंबर 2005 में अपनी पत्नी के साथ बस में हैदराबाद से सांगली जा रहा था, तब गुजरात की एंटी टेररिज्म स्क्वॉड ने दोनों को पहले अगवा किया और फिर फर्जी मुठभेड़ में उनकी हत्या कर दी. तकरीबन सालभर बाद दिसंबर में मामले के गवाह तुलसीराम प्रजापति की भी फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी गई थी.
सोहराबुद्दीन शेख पर पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा से संबंध होने का आरोप था. अमित शाह उस समय गुजरात के गृह मंत्री थे. आरोप था कि उनके कहने पर ही इनकी हत्या की गई थी. सीबीआई ने अमित शाह पर हत्या की साजिश रचने और सबूत मिटाने का मामला दर्ज किया है. मामले में अमित शाह के साथ राजस्थान के मंत्री गुलाबचंद कटारिया और गुजरात पुलिस के कई बड़े अफसरों समेत 38 लोग आरोपी हैं.
ये है कहानी
22-23 नवंबर, 2005 को हैदराबाद से लौटते वक्त सोहराबुद्दीन, उसकी पत्नी और एक व्यक्ति को डीआईजी डीजी वंजारा ने उठाया.
26 नवंबर, 2005 को अहमदाबाद में कथित फर्जी एनकाउंटर में सोहराबुद्दीन मारा गया. सोहराबुद्दीन की पत्नी कौसर बी को कुछ दिन बाद फर्जी एनकाउंटर में मारा गया.
2007 में डीआईजी अहमदाबाद रजनीश राय ने जांच सीआईडी (क्राइम) को सौंपी.
23 अप्रैल, 2007 को डीजी वंजारा, दिनेश एमए और राजकुमार पांडियन गिरफ्तार किए गए.
मई 2007 में रजनीश राय को मामले की जांच से हटाया गया.
जनवरी 2010, सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर की जांच सीबीआई को सौंपी गई.
अप्रैल 2010, सीबीआई ने डीआईजी अभय चुड़ासमा को गिरफ्तार किया.
जुलाई 2010, अमित शाह को सीबीआई ने गिरफ्तार किया.
30 दिसंबर 2014 को सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने अमित शाह को क्लीनचिट दी.