लोकसभा चुनाव 2019 में भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्यादा अप्रत्याशित नतीजे पश्चिम बंगाल से मिले. पार्टी ने यहां कुल 42 सीटों में से 18 पर जीत दर्ज की. यह वो राज्य है जहां बीजेपी ने अवैध रूप से रह रहे घुसपैठियों का मुद्दा जोर-शोर से उठाया. खासकर, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ममता बनर्जी पर घुसपैठियों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए फिर से मोदी सरकार आने पर चुन-चुनकर घुसपैठियों को बंगाल से बाहर करने के दावे करते रहे हैं.
अब जबकि अमित शाह को मोदी सरकार में गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली है, तो क्या बंगाल में घुसपैठियों के बुरे दिन शुरू हो जाएंगे? घुसपैठियों को बाहर करने के लिए बीजेपी बंगाल में राष्ट्रीय नागरिकता पंजीकरण (एनआरसी) लागू करने की बात कहती रही है, जबकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुले तौर पर इसका विरोध करती रही हैं. यहां तक कि एनआरसी के मसले ममता बनर्जी और बीजेपी नेतृत्व में आमने-सामने की बयानबाजी भी देखने को मिली थी.
चुनाव प्रचार में बीजेपी ने घुसपैठियों को बाहर करने का वादा किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह मिलकर एनआरसी के जरिए घुसपैठियों को भारत से बाहर करने की हुंकार भरते रहे हैं. बंगाल के सिलीगुड़ी में एक सभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने पड़ोसी देशों के शरणार्थियों को न्याय का भरोसा देते हुए कहा था कि उत्तर बंगाल में गोरखा समुदाय को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से नुकसान नहीं पहुंचेगा, लेकिन घुसपैठियों को किसी कीमत पर नहीं बख्शा जाएगा.
गृह मंत्रालय में अमित शाह का पहला दिन, राजनाथ ने भी संभाला कार्यभार#ATVideo
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— आज तक (@aajtak) June 1, 2019
पीएम मोदी से पहले अमित शाह ने अलीद्वारपुर की एक सभा में कहा था कि अगर भाजपा केंद्र की सत्ता में आई तो मोदी सरकार बंगाल में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का क्रियान्वयन करेगी और सभी घुसपैठियों को राज्य से बाहर करेगी. ममता बनर्जी को घेरते हुए शाह ने कहा था कि ममता बनर्जी सोचती हैं कि उन्हें घुसपैठियों से चुनाव में मदद मिलेगी. मोदी सरकार सत्ता में आएगी तो हम बंगाल में एनआरसी लाएंगे, हर घुसपैठिए की पहचान की जाएगी और उसे बाहर किया जाएगा.
साथ ही शाह ये भी कहते रहे हैं कि हिंदू व बौद्ध शरणार्थियों को देश छोड़ने की कोई जरूरत नहीं है. बता दें कि असम में एनआरसी लागू हो गया है. 30 जुलाई 2018 को एनआरसी जारी किया गया था, जिसमें कुल 3.30 करोड़ की आबादी में से 2,89,83,677 लोगों को नागरिकता रजिस्टर में शामिल किया गया था. इनमें जो लोग छूट गए थे, उन्हें फिर से इस प्रक्रिया में शामिल होने का मौका दिया गया है.
यही एनआरसी बंगाल में लागू करने की बात की जा रही है और बांग्लादेश से आए घुसपैठियों को बाहर करने का दावा किया जा रहा है. अमित शाह चुनाव प्रचार के दौरान अक्सर बंगाल में घुसपैठियों का मसला उठाते रहे हैं. साथ ही यह भी कहते रहे हैं कि जो भी हिंदू या बौद्ध शरणार्थी बाहर से आए हैं, उन्हें सम्मान दिया जाएगा जबकि बाकी घुसपैठियों को चुन-चुनकर बाहर किया जाएगा. जबकि ममता बनर्जी कहती रही हैं कि एनआरसी के जरिए बीजेपी बंगाल में हिंदू और मुस्लिम के बीच मतभेद और नफरत पैदा करने की कोशिश कर रही है, लेकिन वह इसे सफल नहीं होने देंगी.
ऐसे में अब देश के गृहमंत्री की जिम्मेदारी मिलने के बाद अमित शाह इस दिशा में क्या कदम उठाते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा.