बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह विश्राम में विश्वास नहीं रखते हैं. उनकी प्राथमिकता देश के ऐसे हिस्सों में बीजेपी का विस्तार करने की है, जहां पार्टी संगठनात्मक रूप से ज्यादा मजबूत नहीं है. अमित शाह तीन दिन के पश्चिम बंगाल दौरे पर हैं. आज तक के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में अमित शाह ने कश्मीर में सक्रिय आतंकियों से लेकर छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की चुनौती तक पर खुलकर बातचीत की. शाह ने साफ कहा कि मोदी सरकार इस तरह की चुनौतियों से मजबूती के साथ निपटेगी. शाह ने दिल्ली एमसीडी चुनाव के नतीजों से लेकर यूपी में योगी सरकार के कामकाज पर भी अपनी बेबाक राय रखी. दिल्ली एमसीडी चुनाव नतीजे आने के बाद शाह का यह पहला इंटरव्यू है....
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से बातचीत....
1. शाह का मिशन बंगाल
सवाल- दिल्ली में आपकी बड़ी जीत हुई. क्या अब माना जाए कि बंगाल में आप भगवा झंडा फहराने के लिए आ गए हैं?
जवाब- देखिए अभी जो मेरा बंगाल का तीन दिन का टूर है, वो पार्टी के विस्तार का ही प्रोग्राम है. और ना केवल बंगाल में बल्कि देश भर में बीजेपी के तीन लाख से ज्यादा कार्यकर्ता फुल टाइमर बनकर हर बूथ पर पार्टी के विस्तार
के लिए काम करेंगे. दीनदयाल उपाध्याय जन्मशताब्दी के तहत दीनदयाल विस्तारक योजना, जो चल रही है, के लिए तीन दिन के लिए बंगाल आया हूं. स्वाभाविक रूप से पार्टी के विस्तार की बात जब होती है, तो वहीं ज्यादा जरूरत
होती है, जहां पार्टी संगठनात्मक रूप से मजबूत नहीं है. हमारा फोकस केरल, आंध्र, तेलंगाना, त्रिपुरा, तमिलनाडु, उड़ीसा, नॉर्थ ईस्ट और बंगाल पर है. हजारों कार्यकर्ता हर राज्य में एक-एक बूथ पकड़ कर भारतीय जनता पार्टी के
विस्तार में निकले हैं. ये हमारी महत्वपूर्ण योजना है और बंगाल में हमें बहुत अच्छा रिस्पांस भी मिल रहा है. मुझे स्पष्ट रूप से दिख रहा है कि बंगाल में बीजेपी बहुत मजबूत होकर उभरेगी.
सवाल- तृणमूल कह रही है कि सिर्फ अमित शाह ही नहीं आए, उनके साथ सीबीआई आई है और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आया है. उनका कहना है कि बीजेपी साम-दाम-दंड-भेद सभी तरीके अपना रही है, ताकि किसी तरह
ममता बनर्जी को घेरा जाए?
जवाब- आपने नारद स्टिंग देखा है या नहीं, मुझे मालूम नहीं. कोर्ट और सीबीआई जांच आप इन सभी चीजों को साइड में रख दें. जब कैमरे के सामने घूस ली जा रही है, तो फिर किसी पर दोष क्यों निकाल रहे हैं? आपके नेता कैमरे
के सामने घूस ले रहे थे, इसका क्या जवाब है और नारद की जांच का निर्णय मोदी सरकार ने नहीं लिया है, बल्कि पहले कलकत्ता हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने लिया है. सीबीआई का कारण क्यों देख रहे हैं?
सवाल- ममता कहती हैं कि सीडी फिक्स्ड है. वो अपने नेताओं का बचाव कर रही हैं. कह रही हैं कि साजिश के तहत यह सब किया गया.
जवाब- कैमरे के बिना तो घूस लेना सही है और कैमरे पर पकड़े जाना साजिश है. मेरी तो समझ में नहीं आ रहा कि वह किस तरह के तर्क दे रही हैं.
सवाल- लेकिन उनका कहना है कि जो नेता पकड़े गए हैं, नारद स्टिंग हो या शारदा केस, उनको प्रेशर में डाला जा रहा है कि वो ममता बनर्जी और टीएमसी सरकार के खिलाफ कुछ बोलें, ताकि उन्हें तोड़ा जाए और दबाया
जाए.
जवाब- कितने समय से शारदा मामले की जांच चल रही है. कम से कम ढाई साल से. शारदा कांड में लिप्त एक भी व्यक्ति ने बीजेपी को ज्वाइन नहीं किया है. ना ही हमारा यह मकसद है. मगर क्या बीजेपी भ्रष्टाचार को विपक्ष में
रहते हुए भी बंगाल में उजागर ना करें. यह बीजेपी का दायित्व है कि भ्रष्टाचार जो यहां बढ़ा है, पनपा है, उसे उजागर करे.
सवाल- क्या आपको लगता है कि जो भ्रष्टाचार बढ़ा है उसके लिए और नारद-शारदा मामले के लिए ममता बनर्जी खुद जिम्मेदार हैं?
जवाब- स्वाभाविक रूप से वे अपनी पार्टी की अध्यक्ष हैं. मुख्यमंत्री हैं. भ्रष्टाचार को काबू करना और अपने मंत्रियों को कंट्रोल में रखना उनकी जिम्मेदारी है.
सवाल- क्या आपको ऐसा लगता है कि ममता बनर्जी भी जेल जा सकती हैं या वह भी फंस सकती हैं?
जवाब- मैंने ऐसा नहीं कहा है, कौन जेल जाएगा, ये भी नहीं कहा. लेकिन भ्रष्टाचार ना बढ़े, इसकी स्वाभाविक रूप से जिम्मेदारी मुख्यमंत्री की होती है, पार्टी अध्यक्ष की होती है.
सवाल- आप पश्चिम बंगाल में अपनी पार्टी को एक्सपेंड करने की जैसे-जैसे कोशिश कर रहे हैं, वैसे-वैसे आप पर भगवाकरण की कोशिश का आरोप लग रहा है. हालांकि अब हम देख रहे हैं कि ममता बनर्जी भी काउंटर में
रामनवमी, हनुमान जयंती रैली इस तरह से आयोजित कर रही हैं कि कहीं ये मैसेज ना जाए कि सिर्फ बीजेपी ही धार्मिक पार्टी नहीं है. जितना धर्म आप जानते हैं, उतना हम भी जानते हैं.
जवाब- अच्छा है कि हमारी वजह से उन्हें धर्म तो याद आया.
सवाल- क्या आपको लगता है कि बीजेपी के चक्कर में ही इनको याद आ रहा है? नहीं तो पहले इस तरह से यहां रामनवमी नहीं मनाई जाती थी. ना ही ऐसे रैली निकलती थीं. कम से कम तृणमूल तो नहीं निकालती
थी.
जवाब- देखिए रामनवमी की रैली भी बीजेपी ने आयोजित नहीं की. कोई सामाजिक संस्था इसका आयोजन करती है, बीजेपी के कार्यकर्ता और नेता इसमें हिस्सा लेते हैं.
सवाल- एक बात साफ हो गई है कि ममता बनर्जी को भी कहीं ना कहीं एहसास हो गया है कि बीजेपी ही मुख्य विपक्षी पार्टी है बंगाल में?
जवाब- तीन चुनाव से यह तय हो गया है कि हम नंबर दो पर रहे हैं. बंगाल में जो अपोजिशन की पार्टियां हैं, वो अप्रासंगिक होती जा रही हैं. अब बीजेपी ही प्रिंसिपल अपोजिशन पार्टी का स्थान ले चुकी है और अगले चुनाव में मेरी
बात का ध्यान रखना कि बीजेपी ही 2019 में बंगाल से सबसे ज्यादा लोकसभा सीट जीतेगी.
2. सुकमा का हमला नक्सलियों की बौखलाहट
सवाल- अमित शाह जी आप यह दावा तो कर रहे हैं, लेकिन आप जिस दिन नक्सलबाडी में थे, उसी दिन इत्तेफाक से सुकमा में नक्सल हमला हो गया. लोगों ने कहा कि आप नक्सलबाडी़ जा रहे हैं, वहां से आप पार्टी के
एक्सपेंशन की शुरुआत कर रहे हैं और उसी दिन नक्सल हमला हो गया. सवाल किए गए कि डिमॉनेटाइजेशन के बाद इतने बड़े-बड़े वादे किए गए कि हमने नक्सलियों की फाइनेंशियल रीढ़ की हड्डी तोड़ दी, नक्सलियों के पास पैसा
नहीं रहा. दूसरी तरफ मार्च में भी हमला हुआ, अब भी हमला हुआ, दो दर्जन से भी ज्यादा हमारे जवान शहीद हो गए. इस पर आप क्या कहेंगे?
जवाब- देखिए आपके सवाल का जवाब का मैं तीन हिस्सों में दूंगा. पहली बात नक्सलबाड़ी का सेलेक्शन क्यों किया गया? यह वही इलाका है, जहां हिंसा के माध्यम से परिवर्तन की थ्योरी को इवोल्व किया गया और देश को बहुत
खराब परिणाम भुगतने पड़े. माओवाद और नक्सलवाद को देश के नौ-दस राज्यों की जनता ने भुगता है. उसी जगह से बीजेपी के विस्तार और दीनदयाल विस्तारक योजना शुरू करने का मकसद था. यह मकसद था कि हथियारों के
दम पर परिवर्तन की विचारधारा के विपरीत नरेंद्र मोदी की ‘सबका साथ, सबका विकास’ और दीनदयाल उपाध्याय की अंत्योदय की थ्योरी को लेकर आगे बढ़ना.
दूसरी बात, आप मान कर चलिएगा कि सुकमा में जो दबाव बढ़ा है, उस पर वो नक्सलियों की बौखलाहट है. देश में बीजेपी की सरकार आने के बाद तीन साल के अंदर वामपंथी एवं चरमपंथियों पर जो दबाव बढ़ा है और जिस प्रकार
के कदम केंद्र और राज्य सरकारों ने उठाए हैं. मैं समझता हूं कि वो पिछले कई दशकों की लड़ाई में सबसे कारगर कदम हैं. लिहाजा कह सकते हैं कि मजबूत मुकाबला करने का काम मोदी सरकार ने किया है और ये उसी का
रिएक्शन है.
सवाल- अभी भी वो हमें चोट पहुंचा रहे हैं.
जवाब- लड़ाई जब होती है, तो इसका मतलब ये नहीं होता कि एक तरफ से ही हमला होता है. लड़ाई उसी को कहते है, जब दोनों ओर से हमला होता है. मगर ये जो 24 जवान शहीद हुए हैं, मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि इनकी
शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी. भारतीय जनता पार्टी की सरकार और मजबूती से रणनीति को बदलते हुए इनको नेस्तनाबूद करने के लिए मजबूती से काम करेगी. प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने भी यह भरोसा
दिलाया है. मैं मानता हूं कि हमारी पार्टी ने इतनी तो साख बना ली है कि देशविरोधी ताकतों को दबाने में भारतीय जनता पार्टी की सरकार सक्षम हैं.
सवाल- क्या आपको लगता है कि नक्सल टॉप लीडरशिप पर सर्जिकल स्ट्राइक का वक्त आ गया है?
जवाब- सर्जिकल स्ट्राइक शब्द का प्रयोग तो सही नहीं है. मगर कठोर कार्रवाई जरूर कह सकते हैं.
सवाल- मगर सवाल यह भी उठ रहा है कि आपकी सरकार को तीन साल होने को है. करीब 60 किलोमीटर की सड़क में से सिर्फ 5 किलोमीटर हिस्सा ही बना है. पिछले 5 साल में से तीन साल तो आपके ही हैं. आप विकास
की बात करते हैं. वहीं 60 में से 5 किलोमीटर, 5 साल में?
जवाब- आप एक सड़क को मत पकड़िए. तीन हजार स्कूल बने हैं इस एरिया में. 250 के करीब पब्लिक हेल्थ सेंटर बने हैं. सेकेंडरी स्कूल बने हैं, छोटी-छोटी रोड बनी हैं और एक नेक्सस जब बना होता है तो उस नेक्सस को समाप्त
करने में रणनीतिक दृष्टि से बड़ा समय लगता है. लेकिन वहां पर स्थितियों में बहुत तेजी से बदलाव आ रहा है, वहां पर हमारे मुख्यमंत्री काम कर रहे हैं, मंत्री काम कर रहे है, वहां पंचायत चुनाव हुआ है. ये सारी चीजें वहां बहाल हो
चुकी हैं. वहां प्रशासन पहुंच चुका है. जिस इलाके से एक जमाने में कलेक्टर को उठाकर ले गए थे, वहीं पर हमारे मुख्यमंत्री ने 30 हजार की बड़ी जनसभा की है. स्थिति में बहुत तेजी से परिवर्तन आया है, लेकिन जब कोई घटना
होती है, तो इसके परिप्रेक्ष्य में सारे प्रयासों को विफल मानना, मेरी दृष्टि से सही नहीं है.
सवाल- मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान जब दंतेवाड़ा में हमला हुआ था, 76 लोग मारे गए थे तब राममोहन कमेटी की रिपोर्ट में लिखा गया था कि क्या गलतियां हुईं? हालिया हमले से तुलना की जाए तो जवान एक ही
जगह पर बैठकर सब लंच कर रहे थे. एक ही सड़क का बार-बार इस्तेमाल हो रहा था. ऐसा लगता है कि जो गलतियां मनमोहन सिंह के टाइम में हुई वही सात साल बाद भी हुई.
जवाब- कमेटी रिपोर्ट बनाना बहुत सरल होता है. अगर जवान एक साथ नहीं रहते तो जिंदा ही नहीं रहते. उन्हें एक साथ ही गश्त लगानी होती है और जब जवान खाना खाने बैठे तो उनकी सुरक्षा का घेरा था. नक्सलियों ने गांव वालों
को आगे करके हमला किया. इस वजह से जवान भी पसोपेश में रहे. गांव वालों की भी जवानों को चिंता करनी पड़ती है. महिलाओं को बंदूक की नोंक पर आगे लाया गया और सड़क एक ही है. रिपोर्ट और जमीनी स्थिति में बहुत
अंतर होता है.
3.कश्मीर की स्थिति पर काबू पाने का भरोसा
सवाल- एक अटैक हुआ छत्तीसगढ़ में और दूसरा हुआ कश्मीर में. कश्मीर को लेकर तो दुनिया भर मे चिंता है और कुछ लोगों ने तो यहां तक संपादकीय लिखे हैं कि क्या कश्मीर भारत के हाथ से निकल रहा है? वहां स्थिति
दिनोंदिन खराब होती जा रही है. आप इस सवाल या चिंता पर क्या कहेंगे?
जवाब- देखिए जब तक बीजेपी की सरकार है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. कोई संभावना नहीं है कि कश्मीर भारत के हाथ से निकल जाए. ये तो छोड़िए भारत में अब इतनी जागरूकता है कि किसी भी पार्टी की सरकार हो, अब कश्मीर
भारत से अलग नहीं हो सकता. संपादकीय लिखने की स्वतंत्रता होती है, मगर यह कभी नहीं हो सकता. यह एक फेस है और हम सब मिलकर प्रयास करेंगे, तो यह फेस भी निकल जाएगा.
सवाल- कश्मीर में जो भी हॉट समर कहते हैं, वो हर साल नहीं होता. कुछ-कुछ वक्त के बाद ऐसे हालात बनते हैं. पिछले साल जब बुरहान वानी का एनकाउंटर हुआ, तब भी स्थिति खराब थी. अब भी स्थिति खराब है. आपने भी
तस्वीर देखी होंगी. छोटी-छोटी बच्चियां और स्कूली बच्चे हमारे जवानों के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं.
जवाब- मैं यह नहीं कहता कि यह चिंता का विषय नहीं है. यह चिंता का विषय है, मगर इसका यह मतलब नहीं है कि यह लड़ाई हम हार जाए.
सवाल- कोई स्ट्रेटेजी?
जवाब- स्ट्रेटेजी कैमरे के सामने नहीं बताई जाती.
सवाल- कोई संदेश?
जवाब- मैसेज दिया है. पीएम ने दिया है, वहां की मुख्यमंत्री ने दिया है, गृह मंत्री ने दिया है. हम स्थिति को संभालेंगे. हम सबके साथ चर्चा कर इसका रास्ता भी निकालेंगे. हमारी फोर्सेज भी बहुत अच्छा काम कर रही है.
सवाल- आपको लगता है कि महबूबा मुफ्ती सरकार से गठबंधन का आपको फायदा मिला या आपको लगता है कि जो गठबंधन हुआ उसमें कहीं ना कहीं गड़बड़ हुई?
जवाब- मुझे लगता है कि इस समय इसका एनालिसिस करना उचित नहीं है. जब इसका कालखंड समाप्त हो जाए, तभी ये किया जाए.
सवाल- बात सही है, लेकिन आपको भरोसा है कि कश्मीर की स्थिति क्या काबू में आएगी?
जवाब- निश्चित रूप से काबू में आएगी और कश्मीर मजबूती के साथ भारत से जुड़ा रहेगा.
सवाल- स्थिति सैन्य तरीके से काबू आएगी या राजनीतिक डॉयलॉग से?
जवाब- दोनों तरीकों से. जब कोई शस्त्र उठाकर काम कर रहा है, तो सुरक्षा बलों को उसका जवाब देना ही होगा. आप चुप नहीं बैठ सकते. मगर इसके साथ-साथ कूटनीतिक रास्ते भी खुले हैं और उन पर भी प्रयास हो रहा है.
4. केजरीवाल का ईवीएम जाप
सवाल- दिल्ली पर आते हैं, ये पहली बार देखा कि जो पार्टी हारती है, वो हार ही नहीं मान रही. केजरीवाल या उनकी पार्टी का कोई भी नेता यह मानने को तैयार नहीं कि दिल्ली में बीजेपी जीत गई. वे तो कह रहे हैं कि ईवीएम
ने हमें हरा दिया, मोदी और अमित शाह ने नहीं हराया.
जवाब- अब यह तो अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी का परिचय है कि वह किस तरह की राजनीति में विश्वास रखते हैं. देश जब आजाद हुआ तबसे इस देश में लोकतांत्रिक तरीके से बहुत सारे परिवर्तन हुए. जब कोई भी देश मल्टी
पार्टी पार्लियामेंट्री डेमोक्रेसी को स्वीकार करता है, तब परिवर्तन स्वाभाविक होता है. परिवर्तन जनता के आदेश से होता है, जनादेश से होता है. हम भी हारते हैं. दिल्ली में हम हारे थें तो मैंने खुद केजरीवाल जी को बधाई दी थी. लेकिन
केजरीवाल जैसे कोई विष्णु नाम का जाप करता हो. इस वक्त वह ईवीएम का जाप कर रहे हैं.
मगर मैं उन्हें बड़ी विनम्रता के साथ याद दिलाना चाहता हूं कि यही ईवीएम मशीन 2015 में थी. अगर ये ईवीएम मशीन खराब थी और बीजेपी सरकार मैनीपुलेट कर रही थी, तो तब भी यही ईवीएम मशीन थी और यही बीजेपी
सरकार थी. आपका उस चुनाव में जो 67 सीटों का बहुमत आया, उसके बारे में आपका क्या कहना है? और अगर ईवीएम मशीन से छेड़छाड़ होती, तो पंजाब में कांग्रेस क्यों जीती और बंगाल में ममता बनर्जी क्यों जीतीं? बिहार में
हम क्यों हार गए? तमिलनाडु में हम हारे. केरल में कम्युनिस्ट जीते. क्यों हुआ ये? मगर हार को स्वीकार ना करना मेरे को तो बड़ा अजीब लगता है.
सवाल- वो कह रहे हैं कि ईवीएम के खिलाफ हम आंदोलन करेंगे. हमें मोदी ने नहीं हराया, बल्कि ईवीएम ने हराया है.
जवाब- उन्होंने तो नोटबंदी के खिलाफ भी आंदोलन किया था. मैं तो समझता हूं ये (नतीजे) उसी का परिणाम है. उनका जो एप्रोच है, किसी भी चीज को नेगेटिव तरीके से सोचना. पूरे देश की जनता नरेंद्र मोदी के साथ है. नरेंद्र मोदी
सरकार की प्रशंसा करती है, मोदी जी के नेतृत्व में देश पूरी दुनिया में अपनी स्थिति बढ़ाने में सफल रहा है, इस बात को पूरा देश मान रहा है. आपके ना मानने से क्या होगा? केजरीवाल ने जिस प्रकार की बहानेबाजी और
नकारात्मक राजनीति की, मैं मानता हूं कि इस हार में उसका बहुत बड़ा योगदान है.
सवाल- इतनी बड़ी हार के बाद आम आदमी पार्टी की जो स्थिति हुई. जिस मुकाम पर थे और वो गिरे. क्या केजरीवाल सरकार बने रहने की मॉरल अथॉरिटी खो चुकी है?
जवाब- मैं इस पर कोई ज्यादा टिप्पणी नहीं करना चाहता. केजरीवाल की एक बात याद दिलाना चाहता हूं. केजरीवाल कहा करते थे कि राइट टू रिकाल होना चाहिए. मुझे लगता है कि दिल्ली की जनता ने राइट टू रिकाल को बहुत
अच्छे तरीके से दिखाया है.
सवाल- ‘आप’ का आरोप है कि बीजेपी उनके विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रही है. दर्जन से ज्यादा ‘आप’ विधायकों से बीजेपी के नेता संपर्क में हैं और बीजेपी कोशिश कर रही है कि आप के एमएलए टूट जाएं और
सरकार गिर जाए.
जवाब- बीजेपी की तरफ से ऐसी कोई कोशिश नहीं की जा रही.
सवाल- दिलचस्प जवाब दे रहे हैं कि बीजेपी की ओर से कोई कोशिश नहीं हो रही है, लेकिन ‘आप’ के लोग आपसे संपर्क में है.
जवाब- बीजेपी की तरफ से ना कोई ऐसा प्रायोजन है और ना ही कोई ऐसी कोशिश हो रही है.
सवाल- ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि जो उत्तराखंड में हुआ, अरुणाचल में हुआ, वही अमित शाह दिल्ली में करेंगे, प्रेजीडेंट रूल लगवा देंगे, तोड़ देंगे ‘आप’ की सरकार.
जवाब- कहीं पर भी बाहर का आदमी कोई आपकी सरकार नहीं तोड़ सकता. जब तक कि आपकी पार्टी में डिस्प्यूट ना हो.
सवाल- आपको लगता है कि ‘आप’ में डिस्प्यूट है?
जवाब- मुझे नहीं लगता है. उन्हें लगता होगा, इसलिए एडवांस में कह रहे हैं. उनके बयान से लगता है कि उनके यहां कोई डिस्प्यूट चल रहा है.
सवाल- क्या आपको लगता है कि ये आम आदमी पार्टी के खत्म होने की शुरुआत है या यहां से वो फिर बाउंस बैक करेगी?
जवाब- भाई मैं हमेशा सकारात्मक राजनीति में विश्वास रखता हूं. मैं दिल्ली के परिणामों का एक ही एनालिसिस करना चाहता हूं कि दिल्ली की जनता भी नरेंद्र मोदी में विश्वास रखती है और बीजेपी के साथ है.
सवाल- आपने बहुत स्ट्रेटेजिकली काम किया. आपने दिल्ली की पुरानी पूरी एमसीडी टीम बदल दी. आपको लगा कि वो किसी काम की नहीं है?
जवाब- आपका यह कहना कि दिल्ली की पहले की एमसीडी टीम किसी काम की नहीं है, ठीक नहीं है. मैं ऐसा नहीं मानता, ये सारे कार्यकर्ता काम के है.
सवाल- तो फिर इनको हटाकर नए चेहरों को क्यों एमसीडी चुनाव में उतारा गया?
जवाब- ये सारे कार्यकर्ता 10-15 साल से चुनाव लड़ते थे. एमसीडी का काम करते थे. अब पार्टी में बहुत सारे नए कार्यकर्ता आए हैं, तो पार्टी ने फैसला किया कि नए कार्यकर्ता चुनाव लड़ें और पुराने कार्यकर्ता पार्टी संगठन का काम
संभालें. इसको किसी की क्वालिटी के साथ या आरोपों के साथ जोड़ना ठीक नहीं है.
सवाल- बहुत दिनों से बीजेपी दिल्ली के लिए खोज रही थी कि एक चेहरा जो केजरीवाल से टक्कर ले सके. हमारे एग्जिट पोल में केजरीवाल की लोकप्रियता थी 25 प्रतिशत और मनोज तिवारी की 23 प्रतिशत. क्या आपको
लगता है कि दिल्ली में भोजपुरी स्टार में आपने वो चेहरा ढूंढ लिया है, जिसकी आपको तलाश थी?
जवाब- देखिए मनोज जी अच्छा कर रहे हैं, लोकप्रिय तो है हीं, कलाकार हैं. पूर्वांचली है. इस चुनाव में उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है.
सवाल- क्या अब जब भी दिल्ली में चुनाव होंगे, तो वह पार्टी का चेहरा होंगे?
जवाब- ये कहना अभी बहुत जल्दबाजी होगी.
5. अच्छा काम कर रहे हैं योगी, कानून हाथ में लेने वालों पर कठोर कार्रवाई
सवाल- सरप्राइज फैक्टर तो आप देते हैं. हमने देखा कि आप यूपी में योगी आदित्यनाथ को ले आए. इसलिए कोई अटकलबाजी नहीं लगाई जा सकती.
जवाब- हमारी पार्टी में फैसले सोच विचार कर लिए जाते हैं. हां ये बात अलग है कि आपको इन फैसलों का पता नहीं लगता.
सवाल- योगी आदित्यनाथ ने जो अब तक काम किया, उसे आप कैसे देखते हैं?
जवाब- वो बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. यूपी में उनके लिए चुनौती बहुत बड़ी है. बीजेपी के लिए भी चैलेंज बहुत बड़ा है. जिस प्रकार वहां प्रशासन का विध्वंस हुआ, प्रशासन का सांप्रदायिकरण हुआ है और जातिवाद में लिप्त हो गए
हैं, उसको सुधारना हिमालय पर चढ़ने जैसा काम है. फिर भी योगी जी बहुत अच्छा कर रहे हैं. मैं आशान्वित हूं कि यूपी में अच्छा परिवर्तन आएगा.
सवाल- लेकिन यूपी में साथ ही कुछ ऐसे वाकये हुए. आज तक ने ‘गो रक्षक पार्ट 2’ स्टिंग दिखाया. पहले भी किया था, जब मोदी का बयान आया था. गो रक्षक के नाम पर ये लोग कैमरे पर मान रहे हैं कि हम पिटाई
करते हैं, तोड़फोड़ करते हैं. पूरी स्ट्रेटेजी समझा रहे हैं कि हम ऐसे टांग तोड़ते हैं, जब चोट लगे तो खून ना निकले. ताकि जब केस हो छूट जाएं.
जवाब- देखिए सारे लोग बीजेपी या हमारे सहयोगी संगठनों से जुड़े है, ऐसा नहीं है. इस प्रकार के तत्व सोसाइटी में होते हैं. आप पूरा भरोसा रखिए बीजेपी की सरकार इन सारी चीजों पर बहुत जल्दी कंट्रोल करेगी. लेकिन एक ही पक्ष
नहीं होता है कानून व्यवस्था का. बहुत सारा सुधार होगा. सरकार बनने से ही बहुत सारा सुधार अपने आप हुआ है. नकारात्मक-सकारात्मक संदेश जनता मे गया है, ऐसा नहीं है. लेकिन इसको मैंने हल्के से नहीं लिया है. हमारी पार्टी
की सरकार की जिम्मेदारी है, इसको कंट्रोल करना चाहिए. खत्म करना चाहिए.
सवाल- आप बहुत मजबूत बयान दे रहे है, प्रधानमंत्री ने भी बहुत मजबूत बयान दिया था कि 70 से 80 फीसदी ऐसे लोग हैं, जो गोरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी कर रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी चीजें सही नहीं हुईं?
जवाब- मैंने जो भी कहा, उसे सिर्फ गोरक्षा से मत जोड़िए. मैंने कहा है कि किसी प्रकार के कानून हाथ में लेने की प्रक्रिया को हम कठोरता के साथ निपटेंगे. कमिटमेंट देने की मुझे जरूरत नहीं है. ये पहली सरकार नहीं है हमारी. 13
राज्यों में हमारी सरकार चल रही है और सब जगह हम करते ही है. बहुत अच्छे से चल रहा है.
6. ट्रिपल तलाक पर बीजेपी का नजरिया साफ
सवाल- ट्रिपल तलाक पर आते हैं. इसे आपने बहुत बड़ी मुहिम के तौर पर देखा. हमने तो यहां तक देखा कि बहुत सारी मुस्लिम महिलाएं योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार में आकर अपनी समस्याएं बताती हैं. क्या आपको
लगता है कि ट्रिपल तलाक को खत्म करने की दिशा में बढ़ पाएंगे? वो भी ऐसी स्थिति में जब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसकी मुखालफत कर रहा है. वो नहीं मान रहे.
जवाब- देखिए बीजेपी ने अपना दृष्टिकोण साफ कर दिया है कि संविधान ने जो अधिकार मुस्लिम महिलाओं को दिए हैं, वो उन्हें मिलने चाहिए और उनकी रक्षा होनी चाहिए. बीजेपी सरकार ने भी देश की सर्वोच्च अदालत के सामने
अपना स्टैंड रख दिया है, साफ कर दिया है. 15 मई से अदालत में बहस होनी है, इसलिए मेरा इस पर कोई टिप्पणी करना सही नहीं है.
7. बीजेपी के कार्यकर्ता ही इलेक्शन विनिंग मशीन
सवाल- ईवीएम की चर्चा हुई, लेकिन आपसे जोड़कर इलेक्शन विनिंग मशीन की दूसरी परिभाषा भी निकली. क्या आपको लगता है कि बीजेपी को इलेक्शन विनिंग मशीन बना दिया है? अभी एमसीडी चुनाव जीते. इसके बाद
आप बंगाल आ गए?
जवाब- मैं तो दो दिन बाद कश्मीर जा रहा हूं. उसके बाद हिमाचल जा रहा हूं. देखिए यहां इंटरव्यू में ये कहना बहुत आसान है कि इलेक्शन विनिंग मशीन बना दिया गया है. मगर जिस तरह हमारी सरकार चल रही है, वो बड़े कठोर
परिश्रम से चल रही है. मनोयोग से चल रही है. मोदी जी सरकार को चला रहे हैं. हमारे सारे मंत्री भी मोदी जी के डायरेक्शन को नीचे तक ले जाने में कामयाब रहे हैं. यह बीजेपी की बहुत बड़ी उपलब्धि है. 30 साल के लंबे समय
बाद किसी एक पार्टी को देश में पूर्ण बहुमत मिला है.
सवाल- अमूमन तीन साल में एंटी इंकम्बेंसी होनी शुरू हो जाती है.
जवाब- चिंता मत कीजिए 2019 तक नहीं होगी.
सवाल- अपोजिशन तो कह रहा है कि 2019 में तो आप हार रहे हैं?
जवाब- अपोजिशन भी परिश्रम बढ़ाए हैं बयानबाजी करने में. हम बहुत मेहनत कर रहे हैं. सरकार में बैठे हमारे कार्यकर्ता सरकार को अच्छे से चलाने का परिश्रम कर रहे हैं. संगठन के हमारे कार्यकर्ता जनता से जुडने और उन तक
सरकार के काम को पहुंचाने का काम कर रहे हैं. पार्टी को हर जगह विस्तार करने के लिए काम कर रहे हैं. य़ही इलेक्शन विनिंग मशीन का काम कर रहे हैं.
8. अपोजिशन इकट्ठा हो या ना हो हमारी चिंता नहीं, 2019 में हम ही जीतेंगे
सवाल- 2019 इतना आसान नहीं होगा. मायावती ने कहा कि बीजेपी को हराने के लिए हम विरोधियों से भी हाथ मिलाने को तैयार हैं. जो बड़ा दुश्मन है, उसे हराने के लिए हम छोटे दुश्मनों से भी हाथ मिलाने को तैयार हैं.
अगर मान लीजिए कि आप इसी यूपी इलेक्शन में एसपी, कांग्रेस और बीएसपी का वोट शेयर मिला देते तो आप हार जाते.
जवाब- देखिए राहुल जी 220 सीटें ऐसी हैं, जहां बीजेपी और कांग्रेस का सीधा मुकाबला है. दूसरी बात सारे लोग इकट्ठा होने की बात कर रहे हैं. इकट्ठा हों ये उनकी मंशा का सवाल है. मैंने ये नहीं कहा कि 2019 सरल है. मैंने इतना
ही कहा कि 2019 हम जीतेंगे.
सवाल- आपको लगता है कि अपोजिशन इकट्ठा होगा. एक तरफ टीम मोदी और दूसरी तरफ टीम अपोजिशन.
जवाब- ये उन पर निर्भर करता है. मैं ऐसी बातें क्यों सोचूं. मैं अपनी पार्टी को बढ़ाने में लगा हूं. मोदी जी सरकार अच्छे से चला रहे हैं. उनकी सरकार की सभी योजनाओं और उपलब्धियों को जनता के बीच ले जा रहे हैं.
सवाल- मगर इंदिरा गांधी के लिए भी मुश्किल हो गया था. इमरजेंसी के बाद पूरा विपक्ष उनके खिलाफ एकजुट हो गया था. आपको विश्वास है कि विपक्ष इकट्ठा हो गया तो भी आप जीत जाएंगे?
जवाब- अभी से ज्यादा बड़े बहुमत के साथ 2019 में हम चुनाव जीतेंगे.
9. राष्ट्रपति चुनाव के लिए मिलकर नाम तय करने पर जोर
सवाल- राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है. आपसे नाम नहीं पूछते. क्योंकि वो आप बताएंगे नहीं, लेकिन स्ट्रेटेजी क्या है?
जवाब- हम तो प्रयास करेंगे कि सभी लोग साथ में राष्ट्रपति का नाम तय करें.
सवाल- वाजपेयी जी और एपीजे अब्दुल कलाम जैसा आइकॉनिक नाम लाया गया था. क्या आप भी ऐसा कोई आइकॉनिक चेहरा लाएंगे?
जवाब- अभी ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई. पहले एनडीए के सहयोगियों से चर्चा करेंगे. बीजेपी में चर्चा होगी. फिर नाम तय किया जाएगा.
10. चुनाव से पहले ही जोड़े जाते हैं दूसरे दलों से आने वाले नेता
सवाल- कांग्रेस मुक्त भारत की बात आपकी ओर से कही गई थी, लेकिन जिस तरह से कांग्रेसियों को आप पार्टी में ले रहे हैं, अरविंद सिंह लवली दिल्ली में, इससे पहले रीता बहुगुणा जोशी यूपी में, उत्तराखंड में भी, इस तरह
तो लगता है कि आपने अपनी बात पूरी करने के लिए यही तरीका निकाला है.
जवाब- उत्तर प्रदेश में 325 में सिर्फ 4 ऐसे विधायक हैं. इसी तरह उत्तराखंड में 57 विधायकों में ऐसे 8 हैं. इसको इस तरह प्रचारित नहीं किया जाए. जो भी बीजेपी से जुड़ता है, वो चुनाव से पहले जुड़ता है. फिर वो चुनाव लड़ता है
और जनता उस पर विश्वास जताती है, तो उसमें क्या दिक्कत हो सकती है.
सवाल- क्या ये कह सकते हैं कि फोर्स मोदी या जो टीम मोदी-शाह है, वो अनस्टॉपेबल है?
जवाब- देखिए मोदी जी का विजय रथ पूरे देश में बहुत तेजी से चल रहा है और यह 2019 तक चलता रहेगा.