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हार या जीत, नहीं कम हुई शाह की साख, जो चाहा, किया हासिल

बिहार में तेजी से बदले राजनीतिक घटनाक्रम के बाद अब नीतीश कुमार बीजेपी के समर्थन के चलते छठी बार राज्य के मुख्यमंत्री बन चुके हैं. 20 महीने बाद नीतीश और लालू का बहुचर्चित महागठबंधन टूट चुका है जिसने 2015 में बीजेपी को राज्य के विधानसभा चुनावों में धूल चटा दी थी.

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अमित शाह को मिठाई खिलाते पीएम मोदी और राजनाथ सिंह
अमित शाह को मिठाई खिलाते पीएम मोदी और राजनाथ सिंह

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इस साल के शुरुआती महीने से अमित शाह का जलवा ऐसा चमका कि लगातार रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बनते जा रहे हैं. उनके नेतृत्व में बीजेपी अपने स्वर्णिम दौर में चल रही है. देश के 18 राज्यों में बीजेपी सत्ता में है. देश की लगभग 70 फीसदी आबादी पर उसका शासन चल रहा है. उत्तर, पश्चिम और पूर्व में हर तरफ बीजेपी का आधार मजबूत हो चुका है लेकिन शाह के कदम रुकने का नाम नहीं ले रहे. वे इन दिनों उत्तर प्रदेश की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं. आज उनकी यात्रा का अंतिम दिन है. इस मौके पर डालिए एक नजर इस साल शाह की अध्यक्ष के रूप में उपलब्धियों पर.

यूपी और उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत

इस साल की शुरुआत में देश के पांच राज्यों (यूपी, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा और पंजाब) में विधानसभा चुनाव हुए. चुनावों में अमित शाह की रणनीति खासी सफल रही. बीजेपी को यूपी और उत्तराखंड जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में प्रचंड बहुमत हासिल हुआ. यूपी में बीजेपी को 325 सीटें मिलीं तो उत्तराखंड में बीजेपी ने 70 सीटों में से 57 पर जीत हासिल की.

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मणिपुर और गोवा में जोड़तोड़ से बनाई सरकार

विधानसभा चुनावों में बीजेपी को मणिपुर और गोवा में बहुमत नहीं मिला. 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा में बीजेपी को 13 और कांग्रेस को 17 सीटों पर जीत हासिल हुई लेकिन मुख्यमंत्री बने देश के पूर्व रक्षा मंत्री और बीजेपी नेता मनोहर पर्रिकर. इसी तरह मणिपुर में चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. 60 विधानसभा सीटों वाले मणिपुर में किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला. कांग्रेस ने 28 सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी को 21 सीटें मिलीं. लेकिन जोड़तोड़ का सिलसिला ऐसा हुआ कि राज्य में 15 साल से शासन कर रही और चुनावों के बाद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी कांग्रेस को विपक्ष में बैठने को मजबूर कर दिया गया और नोंगथोम्बम बीरेन सिंह के हाथ मणिपुर की सत्ता आ गई.

बिहार में लिया हार का बदला

बिहार में तेजी से बदले राजनीतिक घटनाक्रम के बाद अब नीतीश कुमार बीजेपी के समर्थन के चलते छठी बार राज्य के मुख्यमंत्री बन चुके हैं. 20 महीने बाद नीतीश और लालू का बहुचर्चित महागठबंधन टूट चुका है जिसने 2015 में बीजेपी को राज्य के विधानसभा चुनावों में धूल चटा दी थी. आपको याद दिला दें कि मोदी का रथ रोकने के लिए अपने धुर-विरोधी लालू प्रसाद यादव की आरजेडी, समाजवादी पार्टी, जनता दल (सेक्यूलर), इंडियन नेशनल लोक दल, समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया था. जिसके बाद बिहार में बीजेपी को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी और उन्हें 37 सीटों के नुकसान के साथ सिर्फ 58 सीट पर संतोष करना पड़ा था. लेकिन शाह की रणनीति ऐसी हुई कि बिहार में भी अब सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी विपक्ष में बैठी है. गौरतलब है कि आरजेडी के पास 80 और जेडीयू के पास 71 विधायक हैं.

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गुजरात में शुरू हो गया 'खेल'

इस साल के अंत तक गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं. जिसके चलते राज्य में राजनीतिक उथल-पुथल और गुणा-भाग अभी से चलना शुरू हो गया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शंकर सिंह वाघेला ने अपने जन्मदिन के दिन पार्टी से बगावत कर दी. हालांकि कांग्रेस ने वाघेला को उससे 24 घंटे पहले ही पार्टी से निकाल बाहर किया था. वाघेला के जाने के बाद गुजरात विधानसभा में कांग्रेस विधायकों में ऐसी इस्तीफा लहर चली कि कांग्रेस चीफ व्हीप समेत कुल 6 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा दे दिया है. इस लहर से कांग्रेस के सबसे बड़े रणनीतिकार माने जाने वाले अहमद पटेल की राज्यसभा जाने की राह मुश्किल हो गई है जबकि खुद अमित शाह राज्यसभा के लिए सीट पक्की कर चुके हैं.

बंगाल पर लगातार फोकस, ममता परेशान

शाह बीजेपी के 'मिशन 2019' के मद्देनजर लगातार पश्चिम बंगाल पर नजर बनाए हुए हैं. अपने बंगाल दौरे के दौरान वे घोषणा कर चुके हैं अगले लोकसभा चुनावों में पश्चिम बंगाल से सबसे ज्यादा सीटें बीजेपी को ही मिलेंगी. आपको बता दें कि शाह ने ममता बनर्जी के विधानसभा क्षेत्र भवानीपुर का भी दौरा किया था. अमित शाह के बंगाल दौरे को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस कदर चिंतित थीं कि उन्होंने राज्य की जनता से अपील की थी कि वे बीजेपी की बातों में ना आए.

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