भाजपा अध्यक्ष अमित शाह दूसरे कार्यकाल के लिए आज निर्विरोध चुन लिए गए. अध्यक्ष पद पर शाह के कार्यकाल के दौरान पार्टी की सदस्यता में तेजी से वृद्धि दर्ज हुई थी और चार राज्यों में पार्टी सत्ता में आई. शाह के फिर पार्टी अध्यक्ष चुने जाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें बधाई दी.
Congratulations to Shri @AmitShah on being elected BJP president. I am confident the Party will scale newer heights under his leadership.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 24, 2016
पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी इस कार्यक्रम में पार्टी मुख्यालय में मौजूद नहीं थे, जो पूर्व में शाह के कामकाज को लेकर अप्रसन्नता व्यक्त कर चुके हैं.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत एक तरह से पार्टी के सभी शीर्ष नेताओं ने अध्यक्ष पद के लिए शाह के नाम का प्रस्ताव किया जिसमें कई केंद्रीय मंत्री, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हैं. नामांकन में किसी अन्य नेता का नाम आगे नहीं किया गया. शाह का चुनाव तीन वर्ष के पूर्ण कार्यकाल के लिए हुआ है जो पार्टी की परंपरा के अनुरूप है और यह आम सहमति के आधार पर हुआ है . यह पूरी तरह से तब स्पष्ट हो गया जब मोदी और पार्टी के बड़े नेताओं के साथ आरएसएस उनके पीछे पूरी ताकत से खड़ी हो गई .
आधिकारिक कार्यक्रम के कारण प्रधानमंत्री मोदी इस समारोह में मौजूद नहीं थे लेकिन वह संसदीय बोर्ड की बैठक में हिस्सा लेंगे जो 28 जनवरी को हो सकती है. शाह के लिए यह तीन वर्ष का पूर्ण कार्यकाल होगा. शाह मई 2014 में उस समय भाजपा अध्यक्ष बने थे जब तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह सरकार में शामिल हो गए थे . 51 वर्षीय शाह के पक्ष में 17 नामांकन पेश किये गए और यह प्रक्रिया तीन घंटे तक चली . प्रधानमंत्री ने भाजपा अध्यक्ष के तौर पर पुन: चुने जाने पर अमित शाह को बधाई दी और विश्वास जताया कि पार्टी उनके नेतृत्व में नयी उंचाइयों को छूएगी.
राजनाथ के बाद मिला था पद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद भरोसेमंद माने जाने वाले शाह को जुलाई 2014 में उस वक्त अध्यक्ष चुना गया था, जब राजनाथ सिंह केंद्रीय गृह मंत्री बना दिए गए थे. अमित शाह अभी तक राजनाथ सिंह के अध्यक्ष कार्यकाल का निर्वहन कर रहे थे.
सराहनीय काम
अमित शाह ने पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी को ऊंचाईयों पर ला दिया था और जीत हासिल करने में उनका प्रदर्शन काफी सराहनीय था. इसके बाद उन्हें पार्टी का अध्यक्ष बना दिया गया था. हालांकि दिल्ली और बिहार के विधानसभा चुनावों में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा.