आम्रपाली ग्रुप के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए ग्रुप के स्थाई ऑडिटरों को ग्रुप की सभी 40 कंपनियों के खातों का निरीक्षण करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने ग्रुप की ओर से मकान खरीदारों से मिले पैसे को दूसरे प्रायोजनों की ओर मोड़ने के संबंध में भी ऑडिटरों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NBCC) को एक महीने में अपना प्लान कोर्ट को सौंपने के लिए कहा है कि वो किस तरह हाउसिंग प्रोजेक्ट को पूरा करेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने अधूरे हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से बनाई गई कमेटी की भी जमकर खिंचाई की. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जब मामला कोर्ट के विचाराधीन है तो कमेटी ने बिल्डर्स को क्यों बैठक के लिए बुलाया. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि सरकार के नोटिस को कोर्ट की प्रक्रिया के विपरीत इस्तेमाल किया जा रहा है.
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस उदय यू ललित की पीठ मामले की सुनवाई कर रही है. पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार के उद्योग और आधारभूत ढांचा विभाग की ओर से बनाई गई कमेटी के चेयरमैन से पूछा कि सरकार क्यों इस मामले को समानांतर डील कर रही है? बता दें कि कमेटी के चेयरमैन शहरी विकास मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की कमेटी पर क्या कहा?
-हमने कुछ प्रोजेक्ट्स को समय से पूरा करने के लिए आदेश जारी किए थे. हमारे आदेशों में कानून की शक्ति है. जिस दिन मामले की सुनवाई थी, उसी दिन बैठकें (कमेटी की ओर से) की गई. जब आदेश दिया हुआ था, योजना बनाई जा चुकी थी तो क्यों सरकार मामले को समानांतर तौर पर डील कर रही थी. शिष्टता ये कहती है कि आपको समुचित अर्जी देनी चाहिए थी. एक बार हमारा आदेश आ चुका है तो आप उस आदेश से अलग कुछ नहीं कर सकते. हमने अखबारों में पढ़ा, किसी ने हमें नहीं बताया कि NBCC प्रोजेक्ट को अपने तहत लेने के लिए इच्छुक है.
- हम आपकी सदाशयता के खिलाफ नहीं है लेकिन आपने आदेश का साफ तौर पर उल्लंघन किया. ये वो तरीका नहीं है जो आपको अपनाना चाहिए था. आप समानांतर प्रक्रियाएं नहीं चला सकते. ये आदेश की अवमानना है.
यूपी सरकार की ओर बनाई गई कमेटी के चेयरमैन दुर्गाशंकर मिश्रा कोर्ट की सुनवाई के दौरान मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि अधूरे हाउसिंग प्रोजेक्ट का मुद्दा यूपी सरकार के लिए चिंता का विषय है, लोग आंदोलन कर रहे हैं.
जस्टिस मिश्रा ने यूपी सरकार से कहा कि जब आपको पता था कि ‘आम्रपाली’ अदालत के विचाराधीन है तो आपको बैठक के लिए न्योता नहीं देना चाहिए था.
जस्टिस ललित (यूपी सरकार से)- आप सतर्क क्यों नहीं रहते. आपके नोटिसों को सुप्रीम कोर्ट की प्रक्रिया के विपरीत इस्तेमाल किया जा रहा है. अगर आप समस्या को सुलझाना चाहते हैं तो इसकी जड़ तक जाइए.
जस्टिस मिश्रा- कमेटी ने जो भी किया है वो सीधे अवमानना है. यहां तक कि NBCC भी. NBCC को किसने प्रमोटर्स को न्योता देने के लिए अधिकृत किया. हमें बैठक का पूरा ब्यौरा (मिनट दर मिनट) चाहिए. अब इस मामले को नहीं छोड़ सकते है. किसने मीडिया रिपोर्ट को निकलवाया.
-हम गलत को सही करने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे. ये निर्लज्ज धोखाधड़ी चलती नहीं रह सकती.
NBCC पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
पीठ ने NBCC से पूछा कि क्या वो प्रोजेक्ट को अपने अधीन लेने के लिए तैयार है. इस पर NBCC की ओर से जवाब मिला कि प्रोजेक्ट की डिटेल्स के अध्ययन की आवश्यकता है. इस पर पीठ ने NBCC को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उसकी तरफ से फिर मीडिया में बयान क्यों दिए गए.
मकान खरीदारों की ओर पैरवी करते हुए वरिष्ठ वकील एम एस लाहोटी ने आम्रपाली ग्रुप के फॉरेन्सिक ऑडिट और संभावित संपत्तियों की नीलामी के सुझाव दिए.