रामगोपाल यादव की समाजवादी पार्टी में वापसी के बाद पार्टी के भीतर एक बार फिर से हलचल और खींचतान शुरू हो गई है. रामगोपाल की वापसी के बारे में पूछे जाने पर गुरुवार को शिवपाल यादव ने सिर्फ इतना ही कहा कि उन्हें मुलायम सिंह का हर फैसला मंजूर है. लेकिन इस फैसले से शिवपाल यादव की बेचैनी बढ़ गई है. पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने गुरुवार को राम गोपाल यादव का निष्कासन रद्द करते हुए ऐलान कर दिया कि वह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव, राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के नेता और समाजवादी पार्टी के संसदीय दल के नेता बने रहेंगे. लेकिन समाजवादी पार्टी में उनकी वापसी के क्या मायने हैं?
1. रामगोपाल यादव की वापसी से अखिलेश यादव मजबूत होंगे . वहीं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव की मुश्किलें बढ़ जाएंगी. परिवार की इस लड़ाई में रामगोपाल खुल्लम खुल्ला अखिलेश के साथ हैं और उनके जाने से अखिलेश यादव अकेले पड़ गए थे. रामगोपाल यादव अब मुलायम सिंह के सामने अखिलेश का पक्ष मजबूती से रखेंगे ताकि हर फैसला शिवपाल यादव के मर्जी से ना हो सके.
2. अखिलेश यादव और रामगोपाल अब मिलकर इस बात का दबाव बनाएंगे कि सुनील सिंह साजन, संजय लाठर, अरविंद यादव, उदयवीर सिंह और आनंद भदौरिया जैसे अखिलेश यादव के करीबी जिन युवा नेताओं को पार्टी से निकाला गया है उनकी भी जल्दी से जल्दी वापसी हो.
3. वापसी का सिलसिला शुरू हुआ तो शिवपाल यादव समेत जिन चार मंत्रियों को बर्खास्त किया गया था उन्हें भी वापस अखिलेश यादव के मंत्रिमंडल में लाने की बात हो सकती है. ये मंत्री हैं- शिवपाल यादव, ओमप्रकाश सिंह, शादाब फातिमा और नारद राय. लेकिन शिवपाल यादव फिर से मंत्रिमंडल में शामिल होना चाहेंगे या नहीं, इसको लेकर असमंजस है.
4. टिकटों के बंटवारे में अब खींचतान बढ़ेगी. पहले मुलायम के विश्वासपात्र होने की वजह से शिवपाल यादव की ज्यादा चलती थी. लेकिन अब रामगोपाल यादव संसदीय दल के नेता होने के हैसियत से अखिलेश के लोगों को ज्यादा टिकट दिलाने की कोशिश करेंगे. पार्टी से बाहर जाने के बाद भी वह लगातार कहते रहे कि टिकटों के बंटवारे में अखिलेश यादव को ज्यादा अधिकार मिलना चाहिए.
6. अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव मिलकर अब अमर सिंह को पार्टी में दरकिनार करने की पूरी कोशिश करेंगे. इसमें उन्हें आजम खान का भी साथ मिलेगा. लेकिन आजम खान सिर्फ अमर सिंह के खिलाफ है, शिवपाल यादव के नहीं.
7. 22 नवंबर को मुलायम सिंह के जन्मदिन से पहले निष्काषित नेताओं को वापस लाने के बारे में फैसला हो सकता है. 23 नवंबर को मुलायम सिंह यादव गाजीपुर में बड़ी रैली करने वाले हैं. कोशिश की जाएगी कि उससे पहले पार्टी के तमाम मतभेदों पर पर्दा डाला जाए ताकि रैली में पार्टी एकजुट दिखे.