संविधान वाले विवादित बयान पर बढ़ते लगातार विरोध के बाद आज सुबह लोकसभा में केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने गुरुवार को सफाई दी.
विपक्षी दल लगातार इस बयान पर हमला बोल रहे हैं. मामला को गरमाता देख हेगड़े को अपनी सफाई देनी पड़ी कि संविधान में उनकी पूरी आस्था है. उन्होंने कहा, "मेरे बयान को लेकर जो सदन में गतिरोध चल रहा है, मैं विश्वास दिलाना चाहता हूं कि मेरे लिए संविधान सर्वोपरि है. संसद मेरे लिए सर्वोपरि है, कभी किसी भी हालत में संसद के खिलाफ नहीं बोल सकता. मैं संसद का सम्मान करता हूं."
लोकसभा में हेगड़े ने बृहस्पतिवार को यह कहकर सदस्यों से माफी मांगी कि अगर उनके बयान से किसी की भावना को ठेस पहुंची है तो इसके लिए वह माफी मांगते हैं.
कांग्रेस के 133वें स्थापना दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में आज अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस बयान की तीखी आलोचना की और संविधान को खतरे में बताया. उन्होंने कहा, "कांग्रेस ने हमेशा सच का साथ दिया है, आज के समय में बाबा साहेब अंबेडकर का दिया हुआ संविधान खतरे में है, उस संविधान पर हमला हो रहा है. ये देखना दुखद है. लेकिन हमारा कर्तव्य है कि हम संविधान की रक्षा करें."
बुधवार को राज्यसभा में भी विपक्ष ने उनके बयान को लेकर जमकर हंगामा किया, और कार्यवाही को स्थगित करने पर मजबूर किया. इस मुद्दे पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सत्र खत्म होने में कुछ ही दिन शेष हैं, इसलिए विवाद को भूल सरकार-विपक्ष को एक ही पेज पर आना चाहिए.
सदन में हंगामा उस समय शुरू हुआ जब आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाने के क्रम में सभापति एम वेंकैया नायडू ने हेगड़े का नाम पुकारा. इसी दौरान विपक्षी सदस्यों ने उनके बयान का मुद्दा उठाना शुरू कर दिया. सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अभी तक हमें एक बयान पर स्पष्टीकरण नहीं मिला और दूसरा बयान आ गया.
हेगड़े ने बीते रविवार को धर्मनिरपेक्ष लोगों पर विवादास्पत बयान दिया था. कर्नाटक में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए हेगड़े ने कहा था, 'जो लोग खुद को सेकुलर कहते हैं, वे अपने कुल के बारे में नहीं जानते, जिन्हें अपने मां-बाप के खून का पता नहीं, वे खुद को धर्मनिरपेक्ष बताते हैं, उनकी कोई पहचान नहीं होती. उन्होंने यहां तक कह दिया कि वे भारतीय संविधान का सम्मान तो करते हैं, लेकिन आने वाले दिनों में संविधान भी बदल जाएगा. हम वही करने यहां आए हैं.