विदेशी निवेश आकर्षित करने के मकसद से आंध्र प्रदेश सरकार शुक्रवार को राजनयिक सम्मेलन का आयोजन करने जा रही है जिसमें 35 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले सकते हैं. अधिकारियों ने बताया कि कोरिया, अमेरिका और आस्ट्रेलिया समेत विभिन्न देशों के प्रतिनिधिमंडल इस सम्मेलन में हिस्सा लेकर आपसी हित में संभावित व्यापारिक रिश्तों की तलाश करेंगे.
कार्यक्रम का आयोजन विदेश विभाग के सहयोग से किया जा रहा है, जिसका मकसद फार्मा, ऑटोमोबाइल, स्टील, टेक्सटाइल, खाद्य प्रसंस्करण और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों में साझेदारी के अवसरों की तलाश करना है.
प्रदेश सरकार औद्योगिक नीतियों और आंध्र प्रदेश में निवेश के अवसरों के साथ-साथ भागीदार देशों के साथ साझेदारी के संभावित क्षेत्रों को प्रदर्शित करेगी. मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी की अगुवाई में मई में नई सरकार बनने के बाद प्रदेश में पहली बार इस प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है. कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री चयनित देशों के प्रतिनिधिमंडलों के साथ-साथ अलग-अगल बैठकें कर सकते हैं.
बता दें हिंदुस्तान के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में पिछले साल 5 फीसदी का इजाफा हुआ. विकास सम्मेलन (यूएनसीटीएडी) और संयुक्त राष्ट्र व्यापार की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि यह 2017 के 40 अरब डॉलर (2.8 लाख करोड़ रुपए) से बढ़कर 2018 में 42 अरब डॉलर (2.9 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंच गया. इसके साथ ही भारत एफडीआई आकर्षित करने वाली दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में 10वें पायदान पर आ गया.
क्या है प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
जब किसी एक देश की कंपनी दूसरे देश में निवेश करती है तो ये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (फॉरेन डाइरेक्ट इन्वेस्टमेन्ट / एफडीआई) कहलाता है. इस तरह के निवेश से निवेशकों को दूसरे देश की उस कंपनी के प्रबंधन में कुछ हिस्सा हासिल हो जाता है जिसमें उसका पैसा लगता है. बताया जाता है कि किसी भी निवेश को एफडीआई का दर्जा दिलाने के लिए कम से कम कंपनी में विदेशी 10 फीसदी शेयर खरीदना पड़ता है यही नहीं उसे निवेश वाली कंपनी में मताधिकार भी हासिल करना पड़ता है.