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आंध्र प्रदेश की महिला पुलिस अफसर का अजीब 'इंसाफ', कत्ल के आरोपियों की सरेआम पिटाई

आंध्र प्रदेश में अनंतपुर जिले के गुंटकल में पुलिस ने कत्ल के चार आरोपियों को सबक सिखाने का अजीबोगरीब तरीका अपनाया. कमान संभाली खुद अनंतपुर के गुंटकल की डीएसपी ई सुप्रजा ने. पर सबक सिखाने के चक्कर में कानून ने रखवालों ने खुद ही कानून की ऐसी धज्जियां उड़ाई कि पुलिस के इस बर्ताव से कई सवाल खड़े हो गए हैं.

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अनंतपुर में पुलिस की रैली
अनंतपुर में पुलिस की रैली

आंध्र प्रदेश में अनंतपुर जिले के गुंटकल में पुलिस ने कत्ल के चार आरोपियों को सबक सिखाने का अजीबोगरीब तरीका अपनाया. कमान संभाली खुद अनंतपुर के गुंटकल की डीएसपी ई सुप्रजा ने. पर सबक सिखाने के चक्कर में कानून के रखवालों ने खुद ही कानून की ऐसी धज्जियां उड़ाई कि पुलिस के इस बर्ताव से कई सवाल खड़े हो गए हैं.

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कत्ल के आरोपी शेखर पर अपने तीन साथियों सोमू, पेदन्ना और हुसैन के साथ मिलकर अपने ससुर मलैय्या के कत्ल का इल्जाम है. 27 नवंबर को हुए इस कत्ल के सिलसिले में पुलिस ने चारों को पकड़ा और उन्हें वारदात वाली जगह पर ले गई. इसके बाद डीएसपी ने डंडे से इनकी धुनाई शुरू कर दी.













चारों आरोपी पैरों पर गिरते रहे. हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाते रहे लेकिन पुलिसवाले डंडे बरसाते रहे. पुलिसवालों पर आरोपियों को सबक सिखाने का कुछ ऐसा जुनून सवार हुआ कि वो कानून का बुनियादी सबक तक भूल गए. पुलिस ने पहले इन आरोपियों का जुलूस निकाला. पुलिस इन्हें गली-मुहल्लों और भीड़ भरे बाजारों से लेकर निकली. आगे-आगे आरोपी और पीछे-पीछे डंडे मारते पुलिसवाले.

पुलिसवाले बीच चौराहों पर खड़े होकर डंडों से इनकी पिटाई करते. फिर आगे बढ़ जाते. रास्ते और चौराहे पीछे छूटते रहे लेकिन आरोपियों की सरेआम पिटाई का सिलसिला नहीं थमा. देखते ही देखते हजारों लोगों की भीड़ जमा हो गई. आसपास के मकान, दुकानें या यूं कहिए कि हर छत पर लोग खड़े हो गए. भीड़ जुटी तो वर्दी वालों ने इसे अपनी ताकत दिखाने का मौका समझ लिया. पुलिस ने आरोपियों को एक कतार में बैठाया फिर शुरू हुआ कानून की धज्जियां उड़ाने का असली खेल. गुंटकल की डीएसपी ई सुप्रजा ने हाथों में डंडा संभाला और शुरू हो गईं. डंडे बरसाने की ऐसी धुन सवार हुई कि लगता है मैडम गिनती भी भूल गईं. पुलिस आरोपियों को बीच चौराहे पर पीटती रही और लोग तमाशा देखते रहे.

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अनंतपुर पुलिस के इस बर्ताव ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या पुलिस सुर्खियां बटोरने के चक्कर में कानून भूल गई. आरोपियों ने गुनाह किया है या नहीं. ये तय करना और उन्हें सजा देना अदालत का काम है फिर पुलिस ने डंडे क्यों बरसाए?

पहला सवाल- क्या पुलिस को किसी आरोपी को सजा देने का हक है? कानून कहता है कि आरोपियों को दोषी करार देने और सजा देने का हक सिर्फ और सिर्फ अदालत को है.

दूसरा सवाल- जब कसूरवार को सजा देने का हक सिर्फ अदालत को है तो पुलिस ने सरेआम आरोपियों की पिटाई क्यों की?

तीसरा सवाल- अनंतपुर पुलिस ने जो कुछ किया है क्या उसे सिर्फ और सिर्फ सुर्खियां बटोरने की कोशिश नहीं समझा जाना चाहिए.

चौथा सवाल - क्या सरेआम डंडे बरसाने वाले पुलिसवालों पर कोई कार्रवाई होगी?

आज तक ने इस बारे में सवालों के घेरे में आई गुंटकल की डीएसपी ई सुप्रजा से बात करने की कोशिश की. लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. पुलिस ने बेशक चुप्पी साध ली हो लेकिन सरेआम बरसाए गए डंडों ने कुछ सवाल खड़े किए हैं, और पुलिस की खामोशी इनका जवाब कतई नहीं हो सकती.

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