मध्य प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य और मोदी सरकार में पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अनिल माधव दवे का 60 साल की उम्र में निधन हो गया. दवे के निधन की सूचना देश के साथ साझा करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने दुख व्यक्त किया. मोदी समेत बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने इसे निजी क्षति करार दिया.
हवाई जहाज और साइकिल वाले सांसद
नदी संरक्षण, पर्यावरण संरक्षक, समाज सेवा, लेखक, व्यवस्थापक, सांसद, आरएसएस स्वयंसेवक और बीजेपी कार्यकर्ता के साथ-साथ दवे हवाई जहाज उड़ाने में निपुण थे. उनकी इन्हीं खूबियों के चलते जुलाई 2016 में केन्द्र सरकार में पर्यावरण मंत्री बनाया गया. यह ऐसा वक्त था जब मोदी सरकार पर प्रकाश जावडेकर के नेतृत्व वाले पर्यावरण मंत्रालय की नीतियों को कमजोर करने का आरोप लग रहा था. वहीं दवे मंत्री बनने से पहले पहली बार सुर्खियों में तब आए जब राज्य सभा के लिए चुने जाने के बाद वह साइकिल चलाकर पहुंचने वाले सांसद बने. हालांकि मंत्री पद मिलने के बाद सुरक्षा कारणों और प्रोटोकॉल के चलते उन्हें साइकिल छोड़नी पड़ी थी.
विपक्ष के पसंदीदा सांसद
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ(आरएसएस) से ताल्लुक रखने वाले अनिल दवे एक प्रखर प्रवक्ता थे. सदन में उनकी बातों को सुनने के लिए राजनीति को किनारे कर दिया जाता था. हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषा पर अच्छी पकड़ के चलते प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष के सवालों का सटीक और सुलझा हुआ जवाब देने के लिए राजनीति के इतर उनकी सराहना होती थी.
नदी-नाले भी गंगा
अनिल दवे ने देश में पर्यावरण सुरक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान किया. पर्यावरण सुरक्षा और नदियों के संरक्षण के संबंध में दवे अपनी अलग राय रखते थे. दवे का मानना था कि देश में विकास के साथ-साथ पर्यावरण सुरक्षा के काम को आगे बढ़ाए जाने की जरूरत है. दवे का दावा था जल संरक्षण के लिए बेहद जरूरी है कि छोटी-बड़ी नदियों के साथ-साथ गांव के नालों को जीवंत बनाने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जाना चाहिए. दवे के मुताबिक देश में प्रत्येक छोटी-बड़ी नदी जो लोगों की प्यास बुझाने का काम करती है वह गंगा है. इसलिए यह बेहद जरूरी है कि गांवों के समीप बहने वाली नदियों, गांवों के तालाबों, पोखरो को बचाने की जरूरत है.
बंद हो रसायन खेती
केन्द्र सरकार में पर्यावरण मंत्रालय का कामकाज संभालने से पहले दवे नर्मदा नदी को बचाने के अभियान से भी जुड़े रहे. उनका मानना था कि नर्मदा नदी के कछार क्षेत्र को समृद्ध बनाने की जरूरत है. खासतौर पर नर्मदा नदी को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए दवे नर्मदा के कछार में खेती करने वाले किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित करते रहे. उन्होंने किसानों को रसायन मुक्त खेती का सहारा लेकर स्वास्थ्य बचाने की पुरजोर वकालत की थी.
तुरंत हिसाब-किताब में विश्वास
पर्यावरण मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद दवे ने प्रति माह मंत्रालय की उपलब्धियों का ब्यौरा देने की व्यवस्था की शुरूआत की थी. इस व्यवस्था के तहत मंत्रालय अपने महीने भर के कामकाज का ब्यौरा अपनी वेबसाइट पर साझा करता है. इन ब्यौरों में मंत्रालय द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए की गई कोशिशों का पूरा आंकड़ा शामिल रहता है.
चुनाव में जीत की गारंटी वाला 'दवे फार्मूला'
मध्य प्रदेश में चुनाव जीतने के लिए बीजेपी के पास था 'दवे फॉर्मूला'. 2003, 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव और 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों में मध्यप्रदेश में बीजेपी के जीत की स्क्रिप्ट दवे ने लिखी थी. दवे राज्य में पार्टी के लिए चुनाव लड़ने के लिए प्रमुख रणनीतिकार थे. उनके नेतृत्व में पार्टी ने राज्य में सभी चुनावों पर जीत दर्ज कर दवे फॉर्मूला को पूरे देश में लागू करने की रणनीति तैयार की. यह उन्हीं के फॉर्मूला का नतीजा था कि 2014 में आम चुनावों में मिली अप्रत्याशित जीत के बाद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने बूथ स्तर पर चुनाव की तैयारी करने का खांका पेश किया था.