भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर राजनीतिक दलों से संवाद की कोशिश के तहत गांधीवादी नेता अन्ना हजारे ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की.
उनकी यह मुलाकात लोकपाल के मुद्दे पर रविवार को होने वाली सर्वदलीय बैठक से एक दिन पहले हुई है. सोनिया से उनके दस जनपथ स्थित निवास पर मुलाकात करने गये अन्ना हजारे के साथ लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने वाली संयुक्त समिति में शामिल आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल भी थे.
सोनिया से अन्ना की यह भेंट अन्ना हजारे के उस पत्र के परिणामस्वरूप थी जिसमें उन्होंने सोनिया के समक्ष अपनी बात रखने का अनुरोध किया था. सोनिया से इस मुलाकात के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणव मुखर्जी, मोहसिना किदवई और जनार्दन द्विवेदी भी मौजूद थे.
मुलाकात के बाद पार्टी महासचिव और मीडिया विभाग के प्रमुख जर्नादन द्विवेदी ने बताया कि सारी बातचीत अत्यंत सद्भावनापूर्ण और संपूर्ण शिष्टाचार के साथ हुई. उन्होंने कहा, ‘अन्ना ने अपनी बातें रखीं और कुछ बातें हम लोगों की तरफ से भी कही गयी. दोनों पक्षों ने एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हुए उन पर विचार करने को कहा.’ द्विवेदी ने कहा कि सोनिया ने अन्ना से कहा कि वह उनकी बातों को अपने सहयोगियों के समक्ष रखेंगी.
करीब आधे घंटे की इस मुलाकात के बाद अन्ना हजारे ने कहा, ‘लोकपाल विधेयक का सही मसौदा संसद के समक्ष जाना चाहिए. संसद जो भी फैसला करेगी, हम उसका सम्मान करेंगे क्योंकि वह लोकतंत्र या संसद के खिलाफ नहीं हैं.’ अन्ना ने एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर लोकपाल विधयेक का सही मसौदा संसद के समक्ष नहीं रखा गया तो वह 16 अगस्त से अनशन पर बैठेंगे. हालांकि द्विवेदी ने कहा कि बातचीत अच्छे वातावरण में हुई. उन्होंने अपने मुद्दे रखे और हमने अपनी बात रखी । अलग अलग मुद्दों पर बात नहीं हुई.
उन्होंने कहा, ‘सरकार के अंदर जो अंतिम राय बनेगी, पार्टी उसका समर्थन करेगी और संसद के सामूहिक विवेक से जो विचार उभर कर सामने आयेगा, हम उसका समर्थन करेंगे. लोकतंत्र में सब अपनी बात रखते हैं. जिस पर बहुमत की राय बनती है, उसे सब मानते हैं.’ हजारे ने कहा कि उन्होंने सोनिया को उन सभी मुद्दों से अवगत कराया जिन पर सरकार से भी बातचीत हुई है और उन्होंने ने उनकी बातों को ध्यान से सुना.
अन्ना के साथ सोनिया से मुलाकात करने गये अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने सोनिया को यह बताने का प्रयास किया कि प्रधानमंत्री और उच्च न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाना क्यों जरूरी है. हजारे पक्ष ने करीब 14 राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात के लिए वक्त मांगा है जिनमें सपा, बसपा, जनता दल यू, अन्नाद्रमुक आदि शामिल हैं. राजनीतिक दलों से संवाद की कोशिश के तहत हजारे पक्ष की भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और पार्टी के अन्य नेताओं से बात हो चुकी है.