लोकपाल का मसला सुलझते-सुलझते उलझ गया है. 27 दिसंबर से अन्ना का अनशन अब तय है. अरविंद केजरीवाल ने इसका ऐलान कर दिया है.
लोकपाल का मुद्दा एक बार फिर लड़ाई की तरफ़ बढ़ता हुआ नज़र आ रहा है. टीम अन्ना अपने रुख़ पर डटी हुई है तो सरकार भी समझौता करने को राज़ी नहीं है. सरकार ने संकेत दे दिए हैं कि वो सीबीआई को लेकर कोई समझौता नहीं करने जा रही है.
दूसरी ओर अरविंद केजरीवाल रालेगण में हैं और अन्ना के साथ मिलकर आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं. टीम अन्ना चाहती है कि लोकपाल के हाथ में ऐडमिनिस्ट्रेटिव पॉवर हों लेकिन सरकार इसके लिए भी तैयार नहीं है. टीम अन्ना अब बीजेपी पर भी सवाल उठा रही है कि सिटिजन चार्टर को लेकर बीजेपी अपने पुराने रुख़ से क्यों पलट गई.
सीबीआई में आख़िर किन बातों को लेकर दोनों पक्षों में पेंच फंसा है. आइए समझने की कोशिश करते हैं:
अन्ना चाहते हैं कि सीबीआई पूरी तरह लोकपाल के नियंत्रण में हो, जबकि सरकार चाहती है कि सीबीआई किसी के नियंत्रण में न हो, बल्कि स्वायत्त रहे.
टीम अन्ना की मांग है कि सीबीआई निदेशक की नियुक्ति वही समिति करे, जो लोकपाल की नियुक्ति के लिए बनाई जाए. लेकिन सरकार की राय इस पर अलग है. सरकार चाहती है कि उस कमिटी में पीएम, नेता प्रतिपक्ष और मुख्य न्यायाधीश या फिर मुख्य न्यायाधीश का कोई प्रतिनिधि शामिल हो.