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क्या कारगिल जैसे फिर हो रहे हैं हालात?

पिछले 18 सालों से भारत-पाकिस्तान की सीमा के अटारी सरहद पर होने वाला कल्चरल प्रोग्राम 'हिंद पाक मेला' इस साल नहीं होगा. ये दूसरा मौका है जब सरहद पर 'हिंद पाक मेला' का आयोजन नहीं किया जा रहा है, इससे पहले कारगिल के समय भी ऐसा हुआ था.

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पिछले 18 सालों से भारत-पाकिस्तान की सीमा के अटारी सरहद पर होने वाला कल्चरल प्रोग्राम 'हिंद पाक मेला' इस साल नहीं होगा. ये दूसरा मौका है जब सरहद पर 'हिंद पाक मेला' का आयोजन नहीं किया जा रहा है, इससे पहले कारगिल के समय भी ऐसा हुआ था.

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हर साल आजादी की आधी रात 14 अगस्त को ये इस प्रोग्राम शुरू होता है, लेकिन इस बार लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते इसका आयोजन नहीं किया जा रहा है.

पिछले 18 सालों से अटारी सरहद पर ये प्रोग्राम होता चला आ रहा है और इसमें भारत और पाकिस्तान के कलाकार हिस्सा लेते हैं. 5 अगस्त की रात LoC पर पाकिस्तानी सेना ने पांच भारतीय जवानों की हत्या कर दी थी, जबकि एक जवान घायल हो गया था, जिसकी रविवार को एम्स में मौत हो गई. इस घटना से एक बार फिर दोनों देशों में तनाव बढ़ गया है.

पूरे भारत में इस घटना को लेकर आक्रोश की आग भड़की हुई है. हर साल की तरह 'हिंद पाक मेला' का आयोजन तो नहीं होगा, लेकिन इस मौके पर इस साल भारत-पाकिस्तान बंटवारे के लाखों शहीदों की याद में मोमबत्तियां जलाई जाएंगी. इस मेले के आयोजक रमेश यादव ने कहा, 'लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए हमने इस साल कल्चरल प्रोग्राम नहीं कराने का फैसला किया है. इस बार सरहद पर 1947 में शहीद हुए जवानों की याद में मोमबत्ती जलाई जाएगी.'

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