मुंबई में एक और आदर्श जैसा मामला सामने आया है. वर्ली में दो आलीशान इमारतें कानून से खिलवाड़ कर राजनेताओं के लिए बनाई गईं. फिर बिल्डिंग के अंदर भी अवैध निर्माण किया गया. बीएमसी ने इन इमारतों को नोटिस भेजा है. इन इमारतों में रहने वालों में अजीत पवार, गोपीनाथ मुंडे, अशोक चव्हाण जैसे बड़े कद वाले नेता हैं.
मुंबई के वर्ली में दो इमारतों शुभदा और सुखदा को खड़ा करने के इनके हाईप्रोफाइल सदस्यों ने ऐड़ी चोटी का जोर लगाया दिया ताकि उनकी सुख-सुविधा में कोई कमी ना रह जाए. आजतक के हाथ लगे दस्तावेजों के मुताबिक इस बिल्डिंग में पास के गार्डन प्लॉट के एफएसआई का इस्तेमाल किया गया. ऐसा ही आदर्श मामले में हुआ था जहां बेस्ट डिपो की एफएसआई को आदर्श बिल्डिंग के निर्माण में इस्तेमाल किया गया था.
समंदर से 500 मीटर के दायरे में स्थित ये प्लॉट सीआरज़ेड 2 में आता है. पर इसे बनाने से पहले महाराष्ट्र कोस्टल मैनेजमेंट जोन अथॉरिटी से इजाजत नहीं ली गई.
सोसाइटी ने पर्यावरण मंत्रालय से भी एनओसी नहीं ली थी. इसलिए बीएमसी ने इन दोनों बिल्डिंग के निर्माण की इजाजत नहीं दी. पर सोसाइटी के रसूखदार सदस्यों ने निर्माण के लिए 2003-04 में राज्य के शहर विकास मंत्रालय से एनओसी लेली जो मुख्यमंत्री के अंतर्गत आता है. उस वक्त मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे थे.
पर सोसाइटी बन जाने के बाद भी नेताओं को चैन नहीं पड़ा. ग्राउंड फ्लोर पर स्थित दुकानों और ऑफिस में अवैध निर्माण करवाए गए. इन अवैध निर्माणों पर बीएमसी ने उपमुख्यमंत्री अजित पवार, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे, पूर्व गृहमंत्री शिवराज पाटिल, महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष मानिकाराव ठाकरे जैसे सोसाइटी के कद्दावर सदस्यों को नेटिस भेजा है.
इन अवैध निर्माणों को गिराने के लिए बीएमसी ने इन्हें 1 महीने की मोहलत दी है. हांलाकि दोनों सोसाइटी ये मानने को तैयार नहीं हैं कि बिल्डिंग के निर्माण में नियम तोड़े गए.