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जस्टिस गांगुली के बाद पूर्व SC जज स्वतंत्र कुमार पर भी लगा यौन उत्पीड़न का आरोप

जस्टिस गांगुली यौन शोषण का मामला अभी थमा ही नहीं था कि सुप्रीम कोर्ट के एक और रिटायर्ड जज पर ऐसा ही आरोप लगा है. यह आरोप भी एक महिला इंटर्न ने लगाया है. अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' के मुताबिक जज का नाम जस्टिस स्वतंत्र कुमार है. फिलहाल वह नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के चेयरमैन हैं.

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जस्टिस स्वतंत्र कुमार
जस्टिस स्वतंत्र कुमार

जस्टिस गांगुली यौन शोषण का मामला अभी थमा ही नहीं था कि सुप्रीम कोर्ट के एक और रिटायर्ड जज पर ऐसा ही आरोप लगा है. यह आरोप भी एक महिला इंटर्न ने लगाया है. अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' के मुताबिक आरोपी जज जस्टिस स्वतंत्र कुमार हैं. फिलहाल वह नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के चेयरमैन हैं.

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शीर्ष अदालत से मामले की जांच कराए जाने की मांग हो रही है. पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट को हलफनामा के साथ शिकायत दायर की है. घटना कथित रूप से मई 2011 की है, जब आरोपी सुप्रीम कोर्ट के जज थे. पीड़िता का कहना है कि इस दौरान उसने जज के साथ इंटर्नशिप की थी.

जस्टिस गांगुली मामले से भी संगीन हैं आरोप
पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में जो घटनाएं बताई हैं, वे जस्टिस गांगुली मामले से कहीं ज्यादा संगीन हैं. इसमें आरोप लगाया गया है कि पहली घटना में जज ने उसके हाथ और कमर को पकड़ा. दूसरी बार जज ने उसके कंधे को चूमा, साथ ही कूल्हों पर हाथ रखा. तीसरी बार प्रस्ताव दिया कि यदि उसे कोई परेशानी न हो तो वह जज के साथ घूमने चले और उन्हीं के साथ होटल में रुके.

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छापना मत, गंभीर नतीजे होंगे: आरोपी जस्टिस एस कुमार
हालांकि 66 साल के जस्टिस स्वतंत्र कुमार ने आरोपों को गलत बताया है. अंग्रेजी अखबार से उन्होंने कहा, 'आरोप बिल्कुल गलत हैं. मुझे मीडिया से ही पता लगा कि ऐसा हलफनामा भेजा गया है. प्लीज इसे मत छापिएगा, इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. मुझे याद नहीं है कि उसने मेरे साथ कब इंटर्नशिप की थी.'

उनकी हरकत से मैं हैरान रह गई: पीड़िता
अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' के मुताबिक, पीड़िता ने बताया, 'इंटर्नशिप के शुरुआती दिनों में जस्टिस एस कुमार से मेरी बातचीत बहुत सीमित रहती थी. वह कभी कभी मुझे और मेरी सार्थी इंटर्न को फोन करके काम के सिलसिले में अपडेट लेते थे. पर एक बार हम ऑफिस रूम के गेट से निकल रहे थे. जस्टिस एस कुमार मेरे पीछे थे. दरवाजे के पास उन्होंने मेरी कमर के निचले हिस्से पर हाथ रख दिया. मुझे बहुत अजीब लगा. फिर 28 मई को मुझसे काम में कोई गलती हो गई. मुझे लगा कि मुझे जस्टिस से माफी मांगनी चाहिए. वह अपने ऑफिस रूम में अकेले बैठे हुए थे. मेरे माफी मांगने पर उन्होंने कहा कि मुझे फिक्र करने की जरूरत नहीं है. उन्होंने मुझे अपनी डेस्क की तरफ आने को कहा. फिर मुझे बाएं कंधे पर किस किया. मैं हैरान होकर एकदम पीछे हट गई और कमरे से बाहर निकल गई. '

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सुप्रीम कोर्ट का अंदरूनी जांच कराने से इनकार
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस गांगुली के मामले में 5 दिसंबर 2013 के प्रस्ताव का हवाला देते हुए प्रशासनिक जांच से इंकार कर दिया है. पारित प्रस्ताव का हवाला देते हुए प्रशासनिक जांच से इनकार कर दिया है. कोर्ट के सूत्रों ने बताया है कि पीड़िता को बता दिया गया है कि वह कानून के तहत उचित कदम उठा सकती है.

बताया जा रहा है कि यह पीड़ित महिला इंटर्न भी कोलकाता स्थित नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरीडिकल साइंसेज की छात्रा रही है. जस्टिस गांगुली पर आरोप लगाने वाली छात्रा भी इसी कॉलेज से पढ़ी थी.

गांगुली मामला सामने आने के बाद बढ़ी पीड़िता की हिम्मत
पीड़िता का कहना है कि जस्टिस गांगुली के खिलाफ शिकायत पहुंचने के बाद उसकी हिम्मत बढ़ी. इसके बाद ही उसने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने का फैसला लिया. हलफनामे में लॉ इंटर्न के बयान के मुताबिक, इन घटनाओं के बाद उसने कुछ बहाने बनाए और जज से कहा कि वह अपनी इंटर्नशिप को जारी नहीं रख सकती क्योंकि परिवार में कुछ परेशानी है.

जस्टिस गांगुली के खिलाफ इसी तरह के एक मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर अभियान की अगुवाई करने वाली अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह भी पीड़िता के समर्थन में आ गई हैं. उन्होंने पीटीआई से कहा, 'यह सीधे-सीधे शारीरिक हमले का मामला है. मेरा स्पष्ट मत है कि कार्रवाई होनी चाहिए और आरोपी पूर्व जस्टिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की ओर से जांच की जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट का इस तरह के मामलों की जांच करने से इनकार करना स्वीकार्य नहीं है.'

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