मॉनसून सत्र की हंगामेदार शुरुआत हुई है. जहां हंगामे की वजह से राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित हो गई है. वहीं, तेलंगाना मुद्दे को लेकर लोकसभा में हंगामा हो रहा है. हालांकि, इस बीच लोकसभा में कार्यवाही जारी है.
मॉनसून सत्र में सरकार को कई अध्यादेश और बिल पास कराने हैं. फूड सिक्योरिटी बिल सरकार की प्राथमिकता है, लेकिन बीजेपी ने साफ कर दिया है कि सरकार की राह आसान नहीं होगी.
मॉनसून सत्र में सरकार को सिर्फ विपक्ष का ही नहीं, बल्कि अब तक हर मौके पर साथ देती आई समाजवादी पार्टी का विरोध भी झेलना होगा. समाजवादी पार्टी ने भी फूड सिक्योरिटी बिल के विरोध का ऐलान किया है.
रविवार सुबह लालकृष्ण आडवाणी के घर पर बीजेपी के आला नेताओं ने बैठक की, जिसमें ससंद के मॉनसून सत्र में सरकार को घेरने को लेकर माथापच्ची की गई. फिर शाम को एनडीए के बचे-खुचे कुनबे ने बीजेपी की तैयार की गई रणनीतियों पर मुहर लगा दी, जिसके बाद यह साफ हो गया कि फूड सिक्योरिटी बिल पर सरकार की राह आसान नहीं होगी.
उधर, दुर्गा शक्ति मसले पर विवाद के बाद सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी के तेवर गरम भी हैं. बात इस कदर बढ़ गई है कि समाजवादी पार्टी ने ऐलान कर दिया है कि वह संसद में फूड सिक्योरिटी बिल का विरोध करेगी.
सरकार पहले ही यह साफ कर चुकी है कि संसद के मॉनसून सत्र में फूड सिक्योरिटी बिल एजेंडे में सबसे ऊपर होगा. भोजन गारंटी बिल से सरकार की खासी उम्मीदें जुडी़ हैं. इसी साल चार राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और लोकसभा चुनाव भी अगले साल हैं. ऐसे में सरकार को लग रहा है कि भोजन गांरटी बिल से जनता के बीच सरकार की छवि में आमूलचूल बदलाव आएगा और इसका असर वोटों के रूप में तब्दील होगा. लिहाजा इस सत्र में सरकार का सारा जोर फूड सिक्योरिटी बिल पर होगा.
विपक्ष के तेवर और समाजवादी पार्टी की नाराजगी देखकर लगता है कि सरकार को फूड सिक्योरिटी बिल पर ढेरों चुनौतियों का सामना करना होगा.