कर्नाटक के मंगलोर में गुरुवार को नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के हिंसक होने के बाद पुलिस फायरिंग में दो लोगों की मौत हो गई. मारे गए लोगों के नाम जलील (49) और नौसीन (23) हैं. 23 साल के नौसीन के घर पर गम का माहौल है. परिवार के लोगों में पुलिस की कार्रवाई को लेकर गुस्सा है और पुलिस कमिश्नर के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे है.
नौसीन बंडर इलाके में वेल्डिंग का काम करता था. उसके 2 भाई और 1 बहन हैं. नौसीन के भाई नौफल के मुताबिक, नौसीन सुबह काम के सिलसिले में घर से निकला था. इसके बाद लंच करने के लिए घर पहुंचा. नमाज पढ़ने के बाद उसने खाना खाया और फिर काम के लिए निकल लिया. शाम में उसके बॉस ने कहा कि हिंसा हो रही है इसलिए तुम्हें घर के लिए निकल जाना चाहिए. इसके बाद मेरा भाई अपने एक दोस्त के साथ घर के लिए निकल लिया.
नौफल ने कहा कि मेरा मासूम भाई जब काम से लौट रहा था तो पुलिस ने फायरिंग की. जहां पर हिंसा हो रही थी वहीं पर नौसीन काम करता था और उसका प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं था.
'पुलिस ने कुछ नहीं बताया'
नौफल के मुताबिक, पुलिस ने कुछ नहीं बताया. स्थानीय लोगों से घटना की जानकारी मिली. जब मैं अस्पताल पहुंचा तो वहां पर मैंने अपने भाई को देखा. शुरुआत में हमें बताया गया कि वह घायल है. लेकिन कुछ देर बताया गया कि मेरा भाई अब इस दुनिया में नहीं रहा.
उन्होंने बताया कि एक गोली उसे लगी. उसका दोस्त उसे अस्पताल लेकर गया. मंगलोर पुलिस कमिश्नर और पुलिस इसके लिए जिम्मेदार हैं. वे आसानी से लाठीचार्ज का इस्तेमाल कर सकते थे, लेकिन फायरिंग की क्या जरूरत थी. लाठीचार्ज में कोई दिक्कत नहीं थी. लेकिन गोली क्यों चलाई. गोली ने मेरे भाई को मार दिया. लाठीचार्ज से जिंदा तो रहता.
बता दें कि मंगलोर में नागरिकता कानून के खिलाफ 19 दिसंबर को विरोध प्रदर्शन के हिंसक होने के बाद हुई पुलिस फायरिंग में दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई. मारे गए प्रदर्शनकारियों के नाम जलील (49) और नौसीन (23) है. नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में गुरुवार को कर्नाटक के बेंगलुरू, कलबुरगी और शिवमोगा में प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया.