आय से अधिक संपत्ति के मुकदमें और राज्य में स्मारकों, पार्को और मूर्तियों के निर्माण पर सरकारी खजाने से किए जा रहे व्यय को लेकर आलोचनाओं और विवादों से घिरीं उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने उनके विरुद्ध लग रहे आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए सोमवार को कहा कि उनके खिलाफ लगाए जा रहे सभी आरोप उनकी छवि बिगाड़कर बसपा आंदोलन को कमजोर करने की साजिश है.
बसपा संस्थापक कांशीराम की 76वीं जयंती पर पार्टी के स्थापना की रजत जयंती के मौके पर यहां आयोजित ‘राष्ट्रीय महारैली’ में लखनऊ में आयोजित पार्टी की रैली को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा कि अगर पार्टी देश के अन्य राज्यों में सत्ता पर काबिज हुई तो वहां भी सरकारी खर्चे से दलित महापुरुषों के भव्य स्मारक बनवाने का काम किया जाएगा.
मायावती ने तमाम बसपा विरोधी दलों, खासकर कांग्रेस को दलित विरोधी करार देते हुए बसपा राज में दलित समाज के उत्थान से जुड़े महापुरुषों के नाम पर बनाये गये स्मारकों, पार्को और मूर्तियों की स्थापना को सर्वथा उचित बताया. उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश में आजादी के बाद से अधिकांश समय तक सत्ता में रही कांग्रेस पार्टी ने यदि दलित समाज के महापुरुषों के स्मारक बनवाये होते तो हमें ऐसा करने की जरूरत नहीं पड़ती.
तमाम आलोचनाओं से बेफिक्र मायावती ने कहा कि उनकी सरकार ने तो दलित समाज के महापुरुषों के स्मारकों पर तो बजट का एक प्रतिशत से भी कम खर्च किया है, मगर कांग्रेस पार्टी की सरकारो ने गांधी नेहरू परिवार से जुड़े महापुरुषों के नाम पर देश के कोने कोने में हजारों करोड़ रुपये के खर्चे से स्मारक बनवाये है और वह सब भी सरकारी खर्चे पर ही बने है. {mospagebreak}
यह आरोप लगाते हुए कि बसपा राज में बने स्मारकों का विरोध इसलिए किया जा रहा है कि दलित समाज के उत्थान और समतामूलक समाज की स्थापना के लिए संघर्ष करने वालो का नाम मिट जाये, मायावती ने कहा कि हमने इन महापुरुषों के स्मारक बनवाकर इनका नाम अमर कर दिया है और आने वाली पीढ़ियां उनसे प्रेरणा लेगी.
अपनी खुद की मूर्तियां लगवाने को लेकर विरोधी दलों की आलोचना को खारिज करते हुए मायावती ने कहा कि उनकी मूर्तियां पार्टी के संस्थापक कांशीराम की वसीयत में लिखी गयी उनकी इच्छा के सम्मान में लगायी जा रही हैं. उन्होंने विरोधियों को निशाने पर लेते हुए सवाल किया कि कोई संविधान विशेषज्ञ यह तो बताये कि आखिर कहां लिखा है कि जिंदा व्यक्ति की मूर्ति स्थापित नहीं की जा सकती.
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी की ओर इशारा करते हुए मायावती ने कहा कि कांग्रेस पार्टी और चाचा भतीजो वाली अन्य पार्टियां दलितों के घर जाकर खाने और रात बिताने का जो ढोंग कर रही है उसका पर्दाफाश हो गया है. मायावती ने कांग्रेस को दलित विरोधी बताते हुए कहा कि इसका ताजा प्रमाण महिलाओं को दिये जा रहे 33 प्रतिशत आरक्षण में दलितों का कोटा निश्चित न किया जाना है. उन्होंने कहा कि पार्टी महिलाओं को दिये जाने वाले 33 प्रतिशत आरक्षण में दलितों के साथ ही पिछड़े वर्गो, अल्पसंख्यकों और ऊंची जातियों के गरीबों को आरक्षण कोटा निर्धारित करने की मांग पर अटल है और इसके समर्थन में बाबा साहब भीम राव अंबेडकर के जन्म दिन 14 अप्रैल को सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया जायेगा. {mospagebreak}
मायावती ने अपने खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के आरोप में चल रही सीबीआई जांच के मामलों का उल्लेख करते हुए पार्टी समर्थकों को भ्रमित न होने की हिदायत दी. उन्होंने कहा कि पार्टी संस्थापक कांशीराम ने बहुत पहले ही यह आशंका जतायी थी कि जैसे-जैसे पार्टी मजबूत होती जायेगी इसे मुकदमों आदि में उलझाने की कोशिश की जायेगी और आज यही हो रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे तमाम मुकदमों की प्रभावी पैरवी के लिए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र की अध्यक्षता में राष्ट्रीय लीगल सेल गठित किया जायेगा. उन्होंने कहा कि मिश्र का मुख्य दायित्व लीगल सेल का नेतृत्व करना होगा, मगर वे पार्टी के प्रचार प्रसार एवं अन्य कार्यक्रमों से पहले की तरह जुड़े रहेंगे.
मुख्यमंत्री मायावती ने अपनी सरकार में भ्रष्टाचार के विरोधियों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ज्यादातर समय कांग्रेस और अन्य पार्टियां सत्ता में रहीं और ज्यादातर अधिकारी पूर्ववर्ती सरकारों में भ्रष्ट रहे. उन्होंने कहा कि इस स्थिति को सुधारने में अभी थोड़ा और वक्त लगेगा. बढ़ती मंहगाई के लिए केन्द्र सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए मायावती ने कहा कि यदि मंहगाई पर नियंत्रण नही किया जाता तो उनकी पार्टी इसके विरुद्ध राष्ट्र व्यापी आंदोलन छेड़ेगी.
मायावती ने बामसेफ और बीएस 4 से लेकर वर्ष 1984 में बसपा की स्थापना तक इसके संस्थापक कांशीराम के संघषों का उल्लेख करते हुए कहा कि डा. अंबेडकर के निधन के बाद जिस तरीके से उनकी रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया (आरपीआई) के नेताओं को डरा धमकाकर या लोभ लालच देकर अपनी पार्टी में शामिल करके आरपीआई को खत्म कर दिया, उसी तरह समय समय पर बसपा के लोगों को तोड़कर इसे भी खत्म करने की कोशिश की गयी. {mospagebreak}
उन्होंने कहा कि कांशीराम ने इतना मजबूत जनाधार तैयार किया है कि कुछ नेता तो गये, मगर कार्यकर्ता पूरी मजबूती के साथ पार्टी के साथ डटे रहे. बसपा सुप्रीमो ने देश भर से जुटे कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज देश के सबसे बड़े राज्य में चौथी बार और सत्तारुढ़ हुई बसपा 25 वर्ष के भीतर ही देश की सात राष्ट्रीय पार्टियों में शामिल है और लोकसभा के दोनों सदनों के साथ अनेक राज्यों की विधान सभाओं में इसका प्रतिनिधित्व है.
दलित समाज के जुड़े मतदाताओं को धुरी बनाकर बहुजन के नारे से सर्वजन के नारे तक पहुंची मायावती ने कहा कि हालांकि उनकी पार्टी सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय के नारे को अंगीकार कर चुकी है, मगर ‘मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता हमेशा ही दलित समाज रहेगा, जिसने हर मौके पर मेरा साथ दिया है. मुझे इस पर नाज है और जब तक मेरी सांस रहेगी मैं दलित समाज का सिर झुकने नही दूंगी.’
इस मौके पर मायावती ने पार्टी संस्थापक कांशीराम के जीवन संघर्ष पर आधारित हिन्दी और अंग्रेजी में लिखी पुस्तक और एक घंटे की फिल्म के सीडी का भी विमोचन किया. उल्लेखनीय है कि बसपा की ‘राष्ट्रीय महारैली’ के लिए राजधानी लखनऊ को नीले रंगो के झंडे बैनरों से रंग दिया गया था और जगह जगह पर मायावती, कांशीराम और डा. भीमराव अंबेडकर सहित दलित समाज के उत्थान से जुड़े रहे महापुरुषों के बड़े बड़े कटआउट लगाये गये थे. जब मायावती रैली को संबोधित करने के लिए हेलिकाप्टर से रमाबाई अंबेडकर मैदान पहुंची तो उनके समर्थकों ने जोरदार नारे लगाकर और नीले गुब्बारे हवा में उड़ाकर उनका स्वागत किया.