महिलाओं की सुरक्षा तय करने वाला 'एंटी रेप बिल' राज्यसभा में पेश होने को तैयार है. यह बिल मंगलवार को ही लोकसभा से पारित हो चुका है.
अध्यादेश की जगह लेगा नया कानून
राज्यसभा से भी पारित होने के बाद एंटी रेप बिल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा 3 फरवरी को जारी अध्यादेश की जगह नए कानून का रूप ले लेगा. संसद से 4 अप्रैल से पहले विधेयक पर मंजूरी लेना आवश्यक है, क्योंकि इसके बाद अध्यादेश निष्प्रभावी हो जाएगा.
लोकसभा से बिल हो चुका है पास
केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने मंगलवार को ही लोकसभा में आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक 2013 पेश किया. इस विधेयक को सोमवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी.
यौन संबंध के लिए न्यूनतम उम्र 18 वर्ष
विधेयक में जहां सहमति से यौन संबंध के लिए न्यूनतम उम्र 18 वर्ष रखी गई है, वहीं घूरने और पीछा करने को दंडनीय अपराध के दायरे में लाया गया है. विधेयक के कुछ प्रावधानों पर मतभेद होने के कारण पहले सरकार में मंत्रियों के समूह और उसके बाद सर्वदलीय बैठक में गहन चर्चा हुई.
दबाव में किए गए कई संशोधन
विधेयक पर चर्चा के दौरान लोकसभा सदस्यों ने सहमति की उम्र कम किए जाने के प्रस्ताव पर व्यक्त किए गए विचारों में प्रावधान का दुरुपयोग रोकने की जरूरत पर जोर दिया. राजनीतिक दबाव के आगे झुकते हुए सरकार ने विधेयक में यौन संबंधों के लिए सहमति की उम्र 18 साल ही रहने दिया है. विधेयक में पहले सहमति से यौन संबंध की उम्र घटाकर 16 वर्ष करने का प्रस्ताव किया गया था.
16 साल बनाम 18 साल का सवाल
शिंदे ने यौन संबंधों के लिए सहमति की उम्र 18 वर्ष रखे जाने के पक्ष में कहा कि पहले उम्र सीमा 16 वर्ष रखी गई थी, लेकिन राजनीतिक दलों के सुझाव पर इसे 18 वर्ष ही रहने दिया गया है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति की ओर से जारी अध्यादेश में भी सहमति के लिए उम्र सीमा 18 वर्ष ही है.
दिल्ली गैंगरेप के बाद उठी मांग
दिल्ली में पिछले साल 16 दिसंबर को चलती बस में एक युवती के साथ हुए क्रूरतम सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के लिए कड़े दंड का प्रावधान किए जाने की मांग उठी थी जिसे देखते हुए सरकार ने यह विधेयक पेश किया है. दुष्कर्म पीड़िता की मौत बाद में सिंगापुर के एक अस्पताल में हो गई थी.