दुष्कर्म निरोधक कानून का रास्ता साफ करने के लिए जल्द ही मंत्रिमंडल की एक विशेष बैठक बुलाई जाएगी. केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने यह जानकारी शुक्रवार को दी.
कानून पारित करने में सरकार पर गंभीर नहीं होने के मीडिया के आरोप को 'अन्यायपूर्ण' करार देते हुए चिदंबरम ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय विधेयक को अंतिम रूप देने में जुटा हुआ है. यह मंत्रिमंडल के समक्ष पेश किया जाएगा. संभवत: जल्दी ही मंत्रिमंडल की विशेष बैठक हो.
उन्होंने कहा कि गुरुवार को मिडिया की खबरों में कहा गया कि सरकार दुष्कर्म या यौन प्रताड़ना निरोधक कानून को लेकर गंभीर नहीं है, मैं समझता हूं कि यह पूरी तरह अन्यायपूर्ण है.
चिदंबरम ने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर सरकार में कोई मतभेद नहीं है. वहीं, केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा कि सरकार ने 'रिकार्ड समय' में विधेयक पेश किया और इस पर सभी को अत्यंत गहराई से विचार करने की जरूरत है.
कुमार ने कहा कि मेहरबानी कर हमारी महिलाओं का संरक्षण, सम्मान, संरक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नए कानून बनाने को प्रोत्साहन दीजिए. इसे हर किसी के पूर्ण और अत्यंत गहराई से विचार की दरकार है.
उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने में जुटे हैं कि हम भारत की जनता को एक ऐसा कानून दें जो विश्वसनीय, उद्देश्यपूर्ण हो और वह प्रभावी और प्रभावकारी हो और अदालतों की परीक्षा के साथ-साथ समय के मानदंड पर भी खरा उतरे.
ज्ञात हो कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की ओर से 3 फरवरी को जारी अध्यादेश को संसद ने घोषणा के छह सप्ताह के भीतर मंजूरी दे दी. बजट सत्र का पहला हिस्सा 22 मार्च को खत्म हो जाएगा और इसके बाद 22 अप्रैल को सदन पुन: बहाल होगा.
इस अध्यादेश का उद्देश्य दुष्कर्म के दुर्लभतम मामलों और पुन: अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान करना है जबकि दांपत्य दुष्कर्म को कानून के दायरे से बाहर रखना है.