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सिख विरोधी दंगा मामला : उच्च न्यायालय में सज्जन कुमार की अपील खारिज

दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सज्जन कुमार की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें उन्होंने 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में उनके खिलाफ आरोप निर्धारित करने के एक निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी.

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सज्जन कुमार की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें उन्होंने 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में उनके खिलाफ आरोप निर्धारित करने के एक निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी.

बाहरी दिल्ली के पूर्व सांसद सज्जन कुमार के खिलाफ दो मामलों में मुकदमा चल रहा है, जिनमें उन पर 31 अक्तूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख समुदाय के खिलाफ भीड़ को उकसाने का आरोप है. इस हिंसा में कई लोग मारे गए थे.

न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने अपने आदेश में, सज्जन कुमार के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने के दिल्ली पुलिस के इरादे पर सवाल उठाया, जबकि मामले में सीबीआई जांच कर रही है.

दिल्ली पुलिस ने एक रिपोर्ट दाखिल कर कहा था चूंकि शिकायतकर्ता का कुछ अता पता नहीं है इसलिए मामले को रद्द कर दिया जाए . इसके बाद निचली अदालत ने इस मामले को जुलाई 2008 में ‘‘अनट्रेस्ड’’ बताकर बंद कर दिया था.

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सज्जन कुमार की अपील खारिज करते हुए न्यायमूर्ति सांघी ने निचली अदालत को आदेश दिया कि वह सिख विरोधी दंगा मामलों में उनके खिलाफ तेजी से सुनवाई करे.

सीबीआई ने सज्जन कुमार पर लोगों को नरसंहार के दौरान एक खास समुदाय के खिलाफ उकसाने का आरोप लगाया है जिससे दिल्ली के छावनी इलाके में पांच लोग मारे गए.

इस मामले में सज्जन कुमार के अलावा बलवान खोखर, कृष्णा खोखर, महेंद्र यादव, कैप्टन भागमल और गिरधारी लाल भी आरोपी हैं.

सीबीआई ने न्यायमूर्ति जी टी नानावटी आयोग की सिफारिश के बाद वर्ष 2005 में दर्ज दंगा मामलों में सज्जन कुमार और अन्य के खिलाफ 13 जनवरी को दो आरोपपत्र दाखिल किए थे.

न्यायमूर्ति जी टी नानावटी आयोग ने उन कारणों और परिस्थितियों की जांच की थी जिनके चलते दंगे भड़के थे.

निचली अदालत ने सात जुलाई को सज्जन कुमार तथा अन्य पर सिख विरोधी दंगा मामलों के सिलसिले में आरोप तय किए थे.

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