दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगे से जुड़े एक और मामले में वरिष्ठ कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के विरूद्ध आपराधिक सुनवाई का मार्ग प्रशस्त कर उनके लिए एक नई परेशानी खड़ी कर दी है.
अदालत ने कुमार के खिलाफ पहले से चल रही एक मामले की सुनवाई के साथ नये मामले को जोड़ने की दिल्ली पुलिस की मांग खारिज कर दी.
जिला न्यायाधीश एस के सरवारिया ने विशेष जन अभियोजक के आवेदन को यह कहते हुए स्वीकार कर लिया कि 1992 में कुमार के खिलाफ तैयार आरोपपत्र को दूसरे मामले के साथ जोड़ा नहीं जा सकता है जिस पर सुनवाई पहले से जारी है.
सिख विरोधी दंगे के सिलसिले में 1992 में एक आरोप पत्र तैयार किया गया था जिसमें कुमार के खिलाफ सुनवाई के लिए पर्याप्त सबूत होने की बात कही गयी थी लेकिन इस आरोपपत्र को कभी भी न्यायाधीश के समक्ष अभियोजन के लिए नहीं लाया गया.
दिल्ली पुलिस का दावा था कि सिख विरोधी दंगे के दौरान की घटनाओं से जुड़े दोनों मामलो को अभियोजना शाखा के सुझाव पर जोड़े गए. अभियोजक ने कहा था कि पुलिस को मामलों को जोड़ने का अधिकार नहीं है और ऐसा केवल अदालत कर सकती है.