नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर केरल सरकार और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के बीच तकरार खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. आज से शुरू हुए केरल विधानसभा के बजट सत्र के दौरान नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और एनआरसी को लेकर जमकर हंगामा और प्रदर्शन हुआ. जैसे ही राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान सदन में पहुंचे तो उनके खिलाफ नारेबाजी शुरू हो गई और उन्हें यूडीएफ के विधायकों ने प्लेकार्ड्स दिखाए गए. जब राज्यपाल मंच की ओर जाने लगे तो यूडीएफ के विधायकों ने उनका रास्ता रोका और गो-बैक के नारे लगाए. इसके बाद मार्शल ने उसके लिए रास्ता खाली कराया और सीट तक ले गए.
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान विधानसभा में सरकार की नीतियों पर भाषण देंगे. इस भाषण में कैबिनेट की ओर से सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए जाने का भी जिक्र है.
ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्यपाल अपना भाषण किस तरह देते हैं. माना जा रहा है कि राज्यपाल भाषण के दौरान CAA का कुछ हिस्सा बिना पढ़े छोड़ सकते हैं. वहीं आरिफ मोहम्मद खान को राष्ट्रपति द्वारा वापस बुलाए जाने की मांग को लेकर यूडीएफ सरकार का प्रस्ताव भी सदन में उठ सकता है. इस नोटिस को फिलहाल सदन की मंजूरी का इंतजार है.
Thiruvananthapuram: United Democratic Front (UDF) MLAs protest against CAA, NRC in the state assembly. Also raise slogans of 'recall Governor" as Kerala Governor Arif Mohammad Khan arrives in the house. pic.twitter.com/xwXHHPsaGo
— ANI (@ANI) January 29, 2020
Thiruvananthapuram: United Democratic Front (UDF) MLAs protest against CAA, NRC in the state assembly. Also raise slogans of 'recall Governor" as Kerala Governor Arif Mohammad Khan arrives in the house. pic.twitter.com/xwXHHPsaGo
— ANI (@ANI) January 29, 2020
इससे पहले केरल सरकार नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई थी, जिसकी जानकारी राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को नहीं दी गई थी. सरकार के इस कदम से राज्यपाल बेहद खफा हो गए थे. उन्होंने पूछा था कि राज्यपाल दफ्तर को इसकी सूचना क्यों नहीं दी गई. उन्होंने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन पर हमला भी बोला था. उन्होंने कहा था कि सरकार के कामकाज को किसी शख्स या राजनीतिक दल की मर्जी के हिसाब से नहीं चलाया जाना चाहिए. हर किसी को नियम का पालन करना चाहिए.
आरिफ मोहम्मद खान केरल सरकार की ओर से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को हटाने के लिए पास हुए प्रस्ताव को गलत ठहरा चुके हैं. उन्होंने कहा था कि किसी राज्य को केंद्र के विषयों पर प्रस्ताव पास करने का संवैधानिक हक ही नहीं है. दूसरी ओर केरल में राज्यपाल और सरकार के बीच जंग के दौरान सीपीएम के मुखपत्र में आरिफ मोहम्मद खान की आलोचना भी की गई थी.
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इसमें कहा गया था कि संवैधानिक पद पर बैठे राज्यपाल को संविधान के मुताबिक ही काम करना चाहिए न कि व्यक्तिगत आधार पर. सीपीएम ने कहा कि संविधान राज्य सरकार पर यह दबाव नहीं डालता है कि वो हर दिन की गतिविधि की जानकारी राज्यपाल को दे. अनुच्छेद 167 में यह लिखा है कि मुख्यमंत्री कब राज्यपाल को सूचित करे. इसके अनुसार मुख्यमंत्री केवल कैबिनेट के फैसलों की सूचना राज्यपाल को देने के लिए बाध्य हैं.