हाड़ कपाने वाली सर्दी के बीच भी झारखंड में सियासी पारा ऊपर चढ़ गया है. किसी को पसीना आ रहा है तो कोई उबाल खा रहा है.
जेएमएम के आर-पार के मूड में आने से मुंडा सरकार पर खतरा मंडराने लगा है. 28-28 महीनों की सरकार के समझौते से साफ इनकार के बाद जेएमएम नए रास्ते तलाशने में जुटा है. जेएमएम की केंद्रीय कार्यसमिति की आज बैठक है, जिसमें मुंडा सरकार पर फैसला लिया जा सकता है.
इससे पहले 28-28 महीनों की सत्ता के करार से बीजेपी के मुकरने के बाद जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन के आवास पर रविवार को भी कोर कमेटी बैठक बुलाई गई थी. अगर जेएमएम ने समर्थन वापस लिया तो मुंडा सरकार का गिरना तय है.
81 सीटों वाली झारखंड विधानसभा में सत्ता पक्ष के पास 46 विधायक हैं...जिसमें बीजेपी के 18, जेएमएम के 18, एजेएसयू के 6, जेडीयू के 2 और 2 निर्दलीय विधायक हैं जबकि विपक्ष में कांग्रेस के 13, जेवीएम के 11, आरजेडी के 5, लेफ्ट के 2 और अन्य 4 विधायक हैं. अगर जेएमएम ने हाथ खींचा तो बीजेपी को सरकार बचाने के लिए 14 विधायकों की जरूरत पड़ेगी, जो फिलहाल कहीं नजर नहीं आते.
इस सियासी गर्मी में हाथ सेंकने के लिए कांग्रेस भी तैयार है. कई कांग्रेस विधायक दिल्ली दरबार में हैं तो बीजेपी भी हालात समझ चुकी है. इसीलिए रांची रवाना हुए यशवंत सिन्हा की फ्लाइट जब खराब मौसम के चलते कोलकाता जा पहुंची तो उन्होंने बस पकड़ने में ही भलाई समझी. ये अलग बात है कि इस कवायद से मुंडा सरकार पर मंडरा रहा खतरा कम होगा या नहीं, इसका पता जेएमएम की बैठक के बाद ही चलेगा.