सोशल मीडिया पर आने वाले कुछ विशिष्ट संदेशों को लेकर सेना ने शुक्रवार को अपने कर्मियों, पूर्व कर्मियों को आगाह करते हुए उन्हें नसीहत दी कि तथ्यों की जांच किए बिना ऐसे संदेश न तो स्वीकार करें और न ही किसी को फॉरवर्ड करें.
कहा जाता है कि ऐसे संदेशों में से कुछ तो सेवानिवृत्त कर्मियों और सेवारत कर्मियों की ओर से लिखे गए हैं. सेना ने सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले सेवानिवृत्त कर्मियों और सेवारत कर्मियों को आगाह करते हुए कहा कि ऐसे मेल किसी दूसरे को भेजने से पहले ज्यादा जिम्मेदारी बरती जानी चाहिए जिससे सेना की छवि प्रभावित हो सकती है.
बल के सूत्रों ने बताया, ‘सोशल मीडिया पर कुछ भ्रम और असत्य फैलाया जा रहा है इसलिए हमने अपने आधिकारिक फेसबुक अकाउंट पर वह परिपत्र डाला है जो पहले से ही मौजूद है.’ उन्होंने बताया कि सोशल नेटवर्किंग साइट पर हाल ही में आए कई संदेशों को देखते हुए यह पोस्ट डाला गया है.
पोस्ट में कहा गया है कि हाल ही में, कुछ निहित तत्वों ने दुर्भावना भरे और झूठे पोस्ट डाल कर सेना की छवि खराब करने की कोशिश की है और यह सिलसिला जारी है.
सूत्रों ने बताया कि इसकी शुरुआत सेना की उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हूडा की इस स्वीकारोक्ति से हुई कि पिछले माह जम्मू कश्मीर में उनके जवानों ने भूलवश दो नागरिकों को मार डाला था.
उन्होंने बताया कि इसके बाद प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई और हूडा को अपने आदमियों को लिखना पड़ा कि वह प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया में व्यक्त किए जा रहे विचारों को लेकर गलतफहमी के शिकार न हों.
इसी तरह, जम्मू कश्मीर में हुए हालिया आतंकी हमलों के बाद फिर संदेशों की बाढ़ आ गई जिनमें राज्य में सेना के नेतृत्व को निशाना बनाया गया. इनमें से कुछ पोस्ट तो कथित तौर पर युवा अधिकारियों ने लिखे थे.
उन्होंने बताया कि हालिया अभियान को लेकर अब एक नया व्हाट्सएप संदेश आया जिसमें कहा गया कि जब 100 से ज्यादा बीआरओ कर्मियों को बचाने के लिए तारीफ का समय आया तो एक विशेष अधिकारी को दरकिनार कर दिया गया.
सेना के सूत्रों ने बताया कि संदेश की जांच के लिए जब उस विशेष अधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने ऐसा कोई संदेश पोस्ट करने से इंकार किया.
(इनपुट: भाषा)