सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने शनिवार को कहा कि भारत से लगी अपनी सीमा पर चीन यथास्थिति बदलने की कोशिश कर रहा है और डोकलाम क्षेत्र में जारी गतिरोध जैसी घटनाएं भविष्य में बढ़ने की संभावना है. रावत ने कहा, चीन द्वारा डोकलाम में मौजूदा गतिरोध यथास्थिति बदलने की कोशिश है, जिसके बारे में हमें चिंता करने की जरूरत है और मुझे लगता है ऐसी घटनाओं के भविष्य में बढ़ने की संभावना है.
रावत सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के रक्षा एवं सामरिक अध्ययन विभाग द्वारा मौजूदा भू-सामरिक स्थिति में भारत की चुनौतियां विषय पर जनरल बी सी जोशी स्मृति व्याख्यान दे रहे थे. रावत ने कहा, विवाद और क्षेत्र को लेकर विवादित दावे जारी हैं. यह वास्तविक नियंत्रण रेखा एलएसी के निर्धारण पर अलग-अलग धारणाओं के कारण हैं.
उन्होंने कहा कि चीन की सेना के साथ फ्लैग मीटिंग के दौरान भारतीय थल सेना यह बात कहती रही कि दोनों पक्षों को 16 जून से पहले की जगहों गतिरोध शुरू होने से पहले पर लौट जाना चाहिए लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला. उन्होंने कहा, अब यह कूटनीतिक और राजनीतिक स्तर पर हो रहा है क्योंकि इसे कूटनीति और राजनीतिक पहलों के जरिए सुलझाने की जरुरत है.
सेना को आत्मसंतुष्ट नहीं होना
रावत ने कहा कि चीन की सशस्त्र सेनाओं ने, खासतौर से चीन के स्वायत्त क्षेत्र तिब्बत में सैनिकों को एकत्रित करने और अभियान चलाने की क्षमताओं में अहम प्रगति की है. बाद में अपने बयान पर स्पष्टीकरण देते हुए रावत ने कहा, हमें आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए. चलिए यह कहते हैं कि यह गतिरोध दूर हो गया लेकिन हमारी सेना को ऐसा नहीं लगता कि किसी अन्य सेक्टर में फिर से ऐसा नहीं हो सकता. यह सोचना कि ऐसा फिर नहीं होगा, इसके बजाय तैयार और अलर्ट रहना हमेशा बेहतर है. सेना को मेरा संदेश है कि कोई ढील ना बरते.
उन्होंने कहा कि चीन लगातार क्षेत्रीय सुरक्षा में अपना दबदबा बढ़ा रहा है. उन्होंने कहा, वह पड़ोसी देश विशेष तौर पर पाकिस्तान, मालदीव, श्रीलंका और म्यामांर में रक्षा और आर्थिक भागीदारी बढ़ा रहा है. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरने वाला चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा भारत की संप्रभुता को चुनौती देता है.
पुरोहित पर टिप्पणी से इनकार
रावत ने जम्मू-कश्मीर में छद्म युद्ध छेड़ने के लिए पाकिस्तान की आलोचना की और उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में कट्टरपंथी विचारधाराओं के साथ बैठकर दूसरे देश में आतंकवादी हरकत को अंजाम देने वाले लोगों की मौजूदगी बढ़ना गंभीर चिंता का विषय है. सेना प्रमुख ने लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित पर यह कहते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि यह मामला अदालत के विचाराधीन है. पुरोहित को 2008 मालेगांव विस्फोट मामले में हाल ही में जमानत मिली है.