सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने गुरुवार को कहा कि भारत को अतिरिक्त क्षेत्र की लालसा नहीं है, लेकिन इसका लक्ष्य आर्थिक प्रगति और सामाजिक-राजनीतिक विकास के लिए एक अनुकूल बाहरी और आंतरिक सुरक्षा का वातावरण सुनिश्चित करना है.
'इवोल्विंग जियो पोलिटिक्स ऑफ द इंडो पेसिफिक रीजन चैलेंजेज एंड प्रोसपेक्ट' पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए जनरल रावत ने कहा कि समुद्री क्षेत्रों की प्रतिस्पर्धी संप्रभुता पूर्व एशिया और दक्षिण चीन सागर में एक बड़ी चुनौती पैदा करती है. ये विवादित समुद्री सीमाएं अंतरराष्ट्रीय जल के लिए खतरा है.
Strategic power balance in the Indo-Pacific is dynamic & will continue to remain so in the near future. Given the multiple stakeholders there is an ongoing power struggle, from an Indian perspective we have always played a constructive role in international relations: Army Chief pic.twitter.com/SsBEs6XQVo
— ANI (@ANI) November 1, 2018
भारत में ऑस्ट्रेलिया की उच्चायुक्त हरिंदर सिद्धू ने भी इस सेमिनार को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि अगर न्योता मिलता है तो मालाबार अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया हिस्सा लेने की इच्छुक है. सिद्धू ने कहा कि मालाबार त्रिपक्षीय अभ्यास है जिसमें भारत के अलावा अमेरिका और जापान शामिल है.
रावत ने कहा , हमारी सुरक्षा नीति की दो मूलभूत बुनियाद हैं. हमारे पास कोई अतिरिक्त क्षेत्रीय लालसा नहीं है, और हम दूसरों पर हमारी विचारधाराओं को थोपने की कोई इच्छा नहीं रखते हैं.
Our security policy flows from 2 basic cardinals-we've no extra territorial ambitions&no desire to transplant our ideologies on others. Our aim is to ensure a conducive internal&external security environment for unhindered economic progress&socio-political development: Army Chief pic.twitter.com/RVRmUF8snE
— ANI (@ANI) November 1, 2018
हमारा लक्ष्य निर्बाध आर्थिक प्रगति और सामाजिक-राजनीतिक विकास के लिए एक अनुकूल बाहरी और आंतरिक सुरक्षा का वातावरण सुनिश्चित करना है. इसलिए हिंद प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता जरूरी है.