सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत 5 दिन की श्रीलंका यात्रा पर गए हैं. अपनी इस यात्रा के दौरान जनरल रावत श्रीलंका की सेना के साथ सैन्य और सामरिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में काम करेंगे. इससे पहले भारतीय कोस्ट गार्ड के महानिदेशक राजेन्द्र सिंह 3 दिन की श्रीलंका यात्रा से शनिवार को ही देश लौटे हैं.
श्रीलंका के साथ चीन की बढ़ती नज़दीकियों को देखते हुए डीजी कोस्टगार्ड और सेना प्रमुख की इस यात्रा को काफी अहम माना जा रहा है. एक सप्ताह के अंदर दो सैन्य प्रमुखों की श्रीलंका यात्रा से साफ है कि मोदी सरकार अपने इस अहम समुद्री पड़ोसी देश के साथ सैन्य और सामरिक रिश्तों को मजबूत बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है.
पांच दिन की यात्रा के दौरान जनरल रावत श्रीलंका के साथ सैन्य सहयोग को और मजबूत करने की दिशा में बात करेंगे. श्रीलंका सेना संयुक्त सैन्य अभ्यास के साथ ही श्रीलंका के अधिकारियों को भारत में ट्रेनिंग की सुविधा को और बढ़ाने पर भी सहमति होगी.
इससे पहले कोस्ट गार्ड के महानिदेशक राजेंद्र सिंह की यात्रा के दौरान श्रीलंका के साथ समंदर में साझा अभियान को और मजबूत करने के समझौतों पर सहमति बनी थी. हाल के दिनों में भारत ने श्रीलंका कोस्ट गार्ड को दो ट्रेनिंग शिप भी भेंट किए हैं. आने वाले दिनों में समंदर में प्रदूषण नियंत्रण, आपदा और निगरानी के क्षेत्र में दोनों देशों के कोस्ट गार्ड के बीच में तालमेल बढ़ाने पर भी सहमति हुई है.
लंबे समय से चीन दक्षिण एशियाई समंदर से लगे भारत के पड़ोसी देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. खासतौर से श्रीलंका में हम्बनटोटा बंदरगाह बनाकर चीन की ओर से भारत को घेरने की कोशिश की जा रही है. हम्बनटोटा बंदरगाह हिन्द महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी का प्रतीक है.
चीन के वन बेल्ट वन रोड में इस बंदरगाह की अहम भूमिका होगी. इसे न्यू सिल्क रोड के नाम से भी जाना जा रहा है. इसके तहत चीन और यूरोप को सड़कों और बंदरगाहों के जरिए जोड़ने की योजना है. दूसरी तरफ पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट बनाकर चीन दो तरफ से भारत को घेरने की कोशिश में लगा है. ऐसे में मोदी सरकार ने चीन की चाल को नाकाम करने के लिए श्रीलंका के साथ अपने सामरिक संबंधों को और मजबूत बनाना शुरू कर दिया है.