देसी तकनीक, रक्षा वैज्ञानिकों की तीस साल की मेहनत आकाश को जमीन पर उतार लाई. जमीन से आसमान पर मार करने वाली मिसाइल 'आकाश ' की पहली रेजिमेंट मंगलवार को भारतीय सेना के हवाले कर दी गई.
पूरी तरह से देसी तकनीक से बनी ये मिसाइल किसी भी तरह के मौसम में दुश्मनों के लड़ाकू विमान पर हमला कर उसके परखच्चे उड़ा सकती है. देसी तकनीक से बनी इस आकाश वेपन सिस्टम की पूरी प्रणाली जबरदस्त है. इस मिसाइल की रेंज 25 किलोमीटर तक की है. वजन 720 किलोग्राम और लंबाई पौने छह मीटर है. ये मिसाइल 30 मीटर से 20 किलोमीटर ऊंचाई तक के निशाने पर अचूक वार करती है. दुश्मन लड़ाकू विमान उड़ाए, हेलिकॉप्टर उड़ाए या फिर मानव रहित ड्रोन, इसकी मार से कोई नहीं बच सकता.
'आकाश' की संचार व्यवस्था पूरी तरह सुरक्षित और अभेद्य है. सबसे जरूरी इसका अपना ऑटोमेटेड इलेक्ट्रिकल पावर सिस्टम है. डीआरडीओ, बीडीएल और सेना की अन्य एजेंसियों के वैज्ञानिकों की तीन दशकों की मेहनत से तैयार इस आकाश वेपन सिस्टम में सबसे पहले थ्री डी सेंट्रल एक्विजिशन रडार सौ किलोमीटर दूर से ही दुश्मन के विमान की टोह ले लेते हैं. ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम को फौरन इसकी जानकारी दी जाती है. 3 से 10 सेकेंड के बीच मिसाइलों को अलर्ट कर दिया जाता है. इंतजार शुरू होता है दुश्मन के विमान के 25 किलोमीटर के रेंज में आने का और जैसे ही दुश्मन का विमान रेंज में आया वैसे ही 'आकाश' मिसाइल उसे नेस्तनाबूत कर देगी.
आकाश वेपन सिस्टम की पहली खेप भारतीय सेना को सौंप दी गई है. जल्दी ही सीमावर्ती इलाकों में इसकी तैनाती भी हो जाएगी. इसके साथ ही भारतीय सेना ने आत्म सुरक्षा की ओर आत्मविश्वास से भरा एक और कदम बढ़ा दिया है.