एक ओर सरकार जहां माओवादियों से प्रभावी तरीके से निपटने पर विचार कर रही है वहीं सेना, माओवादियों के खिलाफ अभियान छेड़ने के लिए परामर्श देने के मकसद से अपने ब्रिगेडियर या कर्नल स्तर के अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर गृह मंत्रालय भेजने वाली है.
सूत्रों के मुताबिक, ‘‘गृह मंत्रालय ने पहले मेजर जनरल स्तर के अधिकारियों के लिए कहा था लेकिन बाद में उन्होंने अपना प्रस्ताव बदल दिया और ब्रिगेडियर स्तर के अधिकारी मांगे जिन्हें उग्रवाद से निपटने का अनुभव हो ताकि नक्सल विरोधी अभियानों में उनका परामर्श मिल सके. हमने इस पर अपनी मंजूरी दी है.’’ अभी यह तय नहीं किया गया है कि कितने अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर गृह मंत्रालय भेजा जाएगा.
उन्होंने कहा कि सरकार को निर्णय करना है कि इन अधिकारियों का कैसे और कहां उपयोग करना है. सूत्रों ने कहा कि जम्मू..कश्मीर में आतंकवाद और पूर्वोत्तर में उग्रवाद से निपटने में इन अधिकारियों के अनुभव से राज्यों को नक्सल विरोधी अभियानों में प्रभावी तरीके से योजना बनाने में मदद मिलेगी.{mospagebreak}
सूत्रों ने बताया कि नक्सल प्रभावित कुछ राज्यों ने उग्रवाद विरोधी अभियान में अनुभवी वरिष्ठ अधिकारियों की सेवा के लिए सेना से आग्रह किया है. नक्सल विरोधी अभियानों में गृह मंत्रालय सेना की बड़ी भूमिका चाहता है. रक्षा मंत्रालय सेना को नक्सल विरोधी अभियानों में लगाने से हिचकिचा रहा है जबकि यह कुछ किस्म के साजो-सामान मुहैया कराने के खिलाफ नहीं है.
गृह मंत्रालय आईईडी को निष्क्रिय करने और नक्सल प्रभावित इलाकों में बारूदी सुरंग हटाने के लिए सेना का सहयोग चाहता है. दुर्गम इलाकों में नक्सल विरोधी अभियानों के दौरान अर्धसैनिक बलों के बचाव और त्वरित तैनाती के लिए इसने भारतीय वायु सेना का सहयोग भी मांगा है.
प्रस्ताव फिलहाल सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति के पास है जिसने अभी तक अंतिम निर्णय नहीं किया है. भारतीय वायु सेना ने रक्षा मंत्रालय को सुझाव दिया है कि अफ्रीकी देशों में संयुक्त राष्ट्र के मिशनों में तैनात इसके 15 हेलीकाप्टरों को वापस बुला लिया जाए ताकि हेलीकाप्टरों की कमी दूर हो सके.