दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना इंडियन आर्मी के पास आयुधों की भारी कमी हो गई है और हालत इतनी खराब हो चुकी है कि उसके पास 20 दिनों की लड़ाई के लिए भी पर्याप्त गोला बारूद नहीं है.
यह सनसनीखेज खुलासा किया है एक अंग्रेजी अखबार ने. अखबार के मुताबिक लगभग 12 लाख जवानों और ऑफिसरों वाली भारतीय सेना के पास गोला-बारूद की भारी कमी हो गई है. टैंकों, वायु रक्षा प्रणाली, तोपखाना के लिए भी एम्युनिशन नहीं हैं. लेकिन सेना इस बात पर चुप है.
इतना ही नहीं भारतीय सेना के पास 20 दिनों की बड़ी लड़ाई के लिए भी अब गोला-बारूद नहीं है.
गोला-बारूद के बारे में नियम यह है कि युद्ध में खप जाने वाले वेस्टेज रिजर्व कम से कम 40 दिनों के युद्ध लिए पर्याप्त होने चाहिए. कम समय टिकने वाले गोला-बारूद कम से कम 21 दिन के लिए होने चाहिए.
भारतीय सेना के चीफ जनरल विक्रम सिंह के एक बयान से जिसमें उन्होंने कहा कि सेना के पास 50 फीसदी वाक वेस्टेज रिजर्व नहीं है इसकी पुष्टि भी होती है. इसका मतलब हुआ कि उसके पास 20 दिनों की बड़ी लड़ाई के लायक भी गोला-बारूद नहीं है. अब जो प्रयास हो रहे हैं उससे 2019 तक ही स्थिति में पूरा सुधार हो सकता है.
अब सेना नई सरकार के बनने का इंतजार कर रही है ताकि 19,250 करोड़ रुपये के गोला-बारूद की खरीद हो सके. इससे ही सेना पूरी लड़ाई लड़ने में समर्थ हो सकेगी.
गोला-बारूद की कमी को तत्काल दूर करना इसलिए भी जरूरी हो गया है कि सेना ने एक नया स्ट्राइक कॉर्प्स तैयार करना शुरू कर दिया है जिसमें 90,000 जवान और ऑफिसर होंगे. हिमालय पर भारत की संप्रभुता बनाए रखने के लिए यह तैयार हो रही है और सात साल में बनेगी. इसमें इंफैंट्री बटालियन, बख्तरबंद, तोपखाना और एयर डिफेंस यूनिट इत्यादि होंगे. इसके लिए बड़े पैमाने पर गोला-बारूद की जरूरत होगी.
नए तोपों, हेलीकॉप्टरों, ऐंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल के आधुनिकीकरण का काम अभी अधूरा है. इसके अलावा वर्तमान हथियारों के लिए गोला-बारूद की भारी कमी होती जा रही है.
सेना के एक बड़े अफसर ने बताया कि ऑपरेशनल और ट्रेनिंग जरूरतों तथा बजट प्रावधानों में भारी मिसमैच है. हमारे 39 आयुध कारखानों में हमारी जरूरत के हिसाब से उत्पादन भी नहीं हो रहा है.