उरी के सेना मुख्यालय में 18 सितंबर को हुए आतंकी हमले से तीन दिन पहले यानी 15 सितंबर को ही खुफिया एजेंसियों ने आर्मी को आतंकियों के एलओसी के पास होने की जानकारी दे दी थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, खुफिया एजेंसियों ने बताया था कि लश्कर-ए-तैयबा के 8 आतंकी उरी के आर्मी बेस पर हमला कर सकते हैं.
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक, खुफिया एजेंसियों ने नोटिस किया था कि 8 आतंकियों के अलावा एक और ग्रुप उरी के पहाड़ में छिपने की कोशिश कर रहा है. एक खुफिया अधिकारी ने बताया कि न सिर्फ आर्मी बल्कि बाकी सेक्युरिटी फोर्स के साथ भी ये जानकारी साझा की गई थी.
'यूएन असेंबली के बाद और आतंकवादियों को भेज सकता है पाक'
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर खुफिया एजेंसियों का दावा सही साबित होता है तो सवाल आर्मी पर उठ सकते हैं, क्योंकि वह चार आतंकियों का हमला रोकने में नाकाम रही.
एजेंसियों से सूचना मिलने के बाद आर्मी को हाई अलर्ट पर होना चाहिए था. खुफिया एजेंसियों ने यह भी कहा है कि यूएन जनरल असेंबली के खत्म होने के बाद
पाकिस्तान और अधिक आतंकवादियों को जम्मू-कश्मीर में भेजने की कोशिश कर सकता है.
उधर, रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर का ये कहना है कि कुछ गलत हुआ, से भी इस बात का अनुमान लगता है कि आर्मी यूनिट ने घटना के दिन अपनी सुरक्षा बेहतर नहीं रखी थी. आर्मी की गलती बड़ी मानी जा रही है, क्योंकि आतंकवादियों ने दो जगहों पर तार काटकर घुसपैठ किए थे.