गुजरात में 2002 के दंगों के बारे में राहुल गांधी की टिप्पणियों की कड़ी आलोचना करते हुए भाजपा ने आज कहा कि उस हिंसा को रोकने के लिए राज्य पुलिस की फायरिंग में कई दंगाई मारे गए जबकि 1984 के सिख विरोधी दंगे राज्य प्रायोजित थे जिसे रोकने के लिए पुलिस ने एक भी गोली नहीं चलाई और दंगाई भीड़ खून का बदला खून के नारे लगा कर खुलेआम सिखों की हत्याएं करती रही.
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने राहुल को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि गुजरात दंगों के बारे में कांग्रेस उपाध्यक्ष जानकारी के अभाव से ग्रस्त हैं और उन्होंने उस बारे में जिम्मेदाराना बयान नहीं दिया है. गुजरात दंगों को रोकने के लिए राज्य सरकार की ओर से कार्रवाई नहीं होने और सिख विरोधी दंगों को रोकने के लिए तत्कालीन कांग्रेस शासन द्वारा कार्रवाई करने संबंधी राहुल के बयान को पूरी तरह गलत बताते हुए जेटली ने कहा कि सच्चाई इसके उलट है. गुजरात में हजारों लोग गिरफ्तार किए गए और पुलिस ने हालात पर काबू पाने के लिए कई स्थानों पर बड़े पैमाने पर फायरिंग की जिसमें लगभग 300 दंगाई मारे गए. हजारों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ और सैंकड़ों को सजा हुई.
एम्स में ही लगने लगे थे खून के बदले खून के नारे
कांग्रेस पर पलटवार करते हुए जेटली ने कहा कि दूसरी ओर 1984 के दंगों में 31 अक्तूबर की दोपहर को एम्स, जहां इंदिरा गांधी का पार्थिव शरीर रखा हुआ था, वहां खून का बदला खून के नारे लगने लगे और कथित रूप से कांग्रेस नेता हजारों सिखों की हत्या करने वाली भीड़ की अगुवाई करते देखे गए. कांग्रेस उपाध्यक्ष से जेटली ने सवाल किया, राहुल गांधी की कल्पना में यह कहां से आया कि 1984 के दंगों में राज्य की कोई मिलीभगत नहीं थी.
जिसने की जांच उसे बना दिया कांग्रेस ने सांसद
जेटली ने कहा कि 1984 के दंगों के मामलों की जांच नहीं की गई. जांच आयोग गठित किया गया जिसने ढोंगी रिपोर्ट दी. उन्होंने कहा कि आयोग की अगुवाई जिस जज ने की बाद में कांग्रेस ने उसे राज्यसभा का सदस्य बना दिया और आज भी पीडि़तों को न्याय की प्रतीक्षा है.
गौरतलब है कि राहुल ने सोमवार रात एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में नरेन्द्र मोदी सरकार पर 2002 के दंगों को उकसाने और बढ़ानेका आरोप लगाया था और दावा किया था कि कांग्रेस सरकार ने 1984 के दंगों को रोकने का प्रयास किया था. बकौल राहुल, गुजरात और 1984 में फर्क यह है कि गुजरात सरकार दंगों में शामिल थी.जब गुजरात दंगे हुए मोदी मुख्यमंत्री थे. गुजरात सरकार वास्तव में दंगों को और उकसा और भड़का रही थी.
सुप्रीम कोर्ट की क्लीनचिट नहीं देखी राहुल ने
जेटली ने कहा कि दंगों के लिए मोदी पर लगाए गए सभी आरोप गलत साबित हो चुके हैं. गुजरात के मुख्यमंत्री सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल सहित कई जांचों का सामना कर चुके हैं और उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं पाया गया.
भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने राहुल से यह बताने को कहा कि कांग्रेस में यह कौन सी सत्ता की एकाग्रता है जिसके चलते वह अपनी पार्टी के उपाध्यक्ष बने और उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने का समूहगान शुरू हुआ. उन्होंने कहा कि दूसरी ओर नरेन्द्र मोदी का उदाहरण है जो गरीबी में पैदा हुए और अपनी कड़ी मेहनत, ईमानदारी और शासन के अपने रिकार्ड की बदौलत प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के स्तर तक पंहुचे. पार्टी के अन्य नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया कि 1984 के सिख विरोधी दंगों में गुजरात दंगों से कहीं अधिक लोग मारे गए थे.
राहुल के पिता ने सही ठहराया था दंगों कोः जावड़ेकर
उधर भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने भी राहुल के आरोपों को पूरी तरह गलत बताते हुए आरोप लगाया कि 1984 की तबाही राज्य प्रायोजित थी. जावड़ेकर ने कहा कि गुजरात के दुर्भाग्यपूर्ण दंगों को किसी ने सही नहीं ठहराया, लेकिन दूसरी ओर राहुल के पिता राजीव गांधी ने 1984 के नरसंहार को यह कह कर सही ठहराया कि जब एक बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती में कंपन होती है. जबकि सच्चाई इसके उलट यह है कि जब धरती डोलती है तो बड़े पेड़ गिरते हैं.