केजरीवाल की याचिका पर अरुण जेटली ने हाई कोर्ट को अपना जवाब दे दिया है. अपने दिए जवाब मे जेटली ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने कई फैसले दिए हैं, जिसमें कहा गया है कि अगर क्रिमिनल और सिविल दो मानहानि के मामले चल रहे हैं तो क्रिमिनल केस को सुनवाई के लिए वरीयता दी जानी चाहिए. क्रिमिनल केस पर स्टे इस आधार पर नहीं लिया जा सकता कि सिविल केस भी साथ-साथ चल रहा है.
केजरीवाल ने याचिका लगायी है की जेटली के सिविल और क्रिमिनल मानहानि के केस में से क्रिमिनल केस पर तब तक सुनवाई पर रोक लगाई जाए जब तक सिविल केस का हाई कोर्ट मे निपटारा न हो जाए.
कोर्ट ने कहा कि इस मामले मे स्टे नहीं दे सकता, क्योंकि कोर्ट की अपनी सीमाएं हैं और मानहानि से जुड़े सिविल और क्रिमिनल केस एक साथ चल सकते हैं. केजरीवाल की तरफ से पेश हुए राम जेठमलानी ने कहा कि इस मामले मे तब तक के लिए एक मामले मे सुनवाई स्टे की जा सकती है जब तक की दूसरे का निपटारा न हो जाए.
केजरीवाल का पक्ष रख रहे जेठमलानी
जेठमलानी ने 1998 के एक जजमेंट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि आर्टिकल 129, 215 के तहत कोर्ट इस मामले मे फैसला सुना सकती है. हाई कोर्ट इस मामले मे स्टे की पावर रखता है. कोर्ट ने कहा कि कोर्ट इस मामले मे फैक्ट्स पर बहस करने के लिए तैयार है. राम जेठ मलानी सोमवार को भी मामले मे बहस करेंगे.
DDCA विवाद में दर्ज कराया केस
जेटली ने आपराधिक मानहानि शिकायत दर्ज कराकर आरोप लगाया था कि केजरीवाल और आप के पांच नेताओं आशुतोष, संजय सिंह, कुमार विश्वास, राघव चड्ढा और दीपक वाजपेयी ने दिल्ली जिला क्रिकेट संघ (DDCA) विवाद में उनको कथित रूप से बदनाम किया.