लंदन की एक अदालत में पेशी के बाद भगोड़े कारोबारी विजय माल्या ने बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली का नाम लिया. माल्या के मुताबिक, भारत छोड़ने से पहले उसने वित्त मंत्री से मुलाकात की थी. माल्या के इस बयान के बाद सियासी हलचल मच गई. खुद वित्त मंत्री अरुण जेटली को इस बारे में बयान जारी करना पड़ा.
Finance Minister Arun Jaitley's statement on Vijay Mallya's claim that he met the finance minister before he left. pic.twitter.com/oPrbZoO075
— ANI (@ANI) September 12, 2018
जेटली ने माल्या के बयान को तथ्यात्मक रूप से गलत और दूर-दूर तक सच्चाई से परे बताया. जेटली ने कहा कि 2014 के बाद से उन्होंने माल्या को कभी अपॉइंटमेंट नहीं दी, इसलिए मिलने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता. जेटली ने कहा कि राज्यसभा सदस्य होने के नाते माल्या ने एकबार मेरे से मिलने की कोशिश की थी जब मैं सदन से निकल कर अपने कमरे में जा रहा था.
जेटली ने कहा, मेरे से मिलने के लिए वे तेजी से आगे बढ़े और कहा, 'मैं मामला निपटाने के लिए एक ऑफर रखना चाह रहा हूं. माल्या के झूठे प्रस्तावों को देखते हुए मैं किसी बात के लिए राजी नहीं हुआ और कहा कि इस मुद्दे पर मेरे से बात करने से अच्छा है बैंकों से बात करें.'
जेटली ने कहा कि माल्या के हाथों में कुछ कागजात भी थे जिसे उन्होंने नहीं लिया क्योंकि उनकी बातों से राज्यसभा के विशेषाधिकारों के दुरुपयोग की आशंका थी. साथ ही, बैंकों के कर्ज से जुड़े उनके कारोबारी हित को देखते हुए उन्हें अपॉइंटमेंट देने का सवाल नहीं था.
किंगफिशर एयरलाइन के 62 वर्षीय प्रमुख माल्या पिछले साल अप्रैल में जारी प्रत्यर्पण वारंट के बाद से जमानत पर हैं. उन पर भारत में 9,000 करोड़ रुपए के धोखाधड़ी का आरोप है. इससे पहले जुलाई में वेस्टमिंस्टर की अदालत ने उनके ‘संदेहों को दूर करने के लिए’ भारतीय अधिकारियों से ऑर्थर रोड जेल की बैरक नंबर 12 का वीडियो जमा करने को कहा था.
भारत सरकार की तरफ से क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने बहस की थी और वीडियो कोर्ट में जमा करने के लिए सहमति दी थी. बुधवार को वीडियो अदालत में जमा कर दिया गया. माल्या का बचाव करने वाले दल ने वीडियो की मांग की थी ताकि यह तय किया जा सके कि प्रत्यर्पण प्रक्रिया ब्रिटेन के मानवाधिकार से जुड़ी जरूरतों को पूरा करता है या नहीं.