कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के सोमवार को दिए टीवी इंटरव्यू पर बीजेपी नेता अरुण जेटली ने करारा प्रहार किया है. अपने ब्लॉग में राहुल के दशक के पहले इंटरव्यू पर जेटली ने खुलकर स्याही खर्ची है. जेटली ने इंटरव्यू के दौरान चर्चा में रहे पांच मुद्दों और उस पर राहुल के जवाब का खंडन किया है. जेटली ने ब्लॉग पर सवालिया लहजे में लिखा है, 'राहुल गांधी के पास देश के लिए क्या प्रस्ताव है?'
पढि़ए क्या लिखा है जेटली ने अपने ब्लॉग पर...
1. कांग्रेस से कोई पीएम उम्मीदवार क्यों नहीं है?
इस सवाल पर राहुल गांधी ने जो जवाब दिया वह अवश्विसनीय है. हम सभी जानते हैं कि सत्ताधारी दल के एमपी एक नेता चुनते हैं जो प्रधानमंत्री होता है. हम यह भी जानते हैं कि किसी को पीएम पद का उम्मीदवार घोषित करना ना तो असंवैधानिक है और ना ही संविधान के दायरे से बाहर. यह दुनियाभर में होता है.
2. सिस्टम में बदलाव और सशक्तिकरण
हम एक संसदीय लोकतंत्र हैं और यह भारत के लिए सबसे अच्छी प्रणाली है. राहुल जिस वैकल्पिक तंत्र की बात कर रहे हैं, वह क्या है? वह कहते हैं कि उन्हें लोकतंत्र में विश्वास है. वह आरटीआई और शक्ति को जनता के हाथों में देने में विश्वास रखते हैं. यह उनके अनुसार उनमें और नरेंद मोदी में अंतर है. लेकिन क्या वाकई यह अंतर है. भारतीय राजनीति में हर किसी को लोकतंत्र, स्वतंत्रता और जन सशक्तिकरण में विश्वास करना होगा. तो फिर उन्हें खुद को यह प्रमाण पत्र देने की क्या जरूरत है कि वह आरटीआई और सशक्तिकरण में विश्वास रखते हैं.
सच्चाई यह है कि चंद लोगों द्वारा उम्मीदवार का निर्धारण कांग्रेस पार्टी में होता है. बीजेपी में ब्लॉक और जिला स्तर की इकाई राज्य इकाई को उम्मीदवार की सिफारिश करती है. इसके बाद राज्य इकाई उन सिफारिशों को पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति के सामने रखती है. इसके बाद चर्चा और विमर्श के बाद ही उम्मीदवार का नाम तय होता है. यही नहीं, पार्टी के पीएम पद के उम्मीदवार के लिए भी इसी तरह बड़ी संख्या में पार्टी नेताओं से चर्चा की गई, जिसके बाद सबसे उपयुक्त को उम्मीदवार घोषित किया गया. जबकि इससे उलट कांग्रेस पार्टी में पीएम उम्मीदवार का चयन इस आधार पर होता है कि वह किस परिवार से आता है. अगर राहुल गांधी किसी दूसरी राजनीतिक पार्टी के नेता होते तो भी उन्हें पार्टी पदाधिकारी बनने के लिए संघर्ष करना पड़ता. उन्हें कांग्रेस पार्टी में बदलाव के बारे में बोलना चाहिए ना कि पूरे तंत्र में.
3. भारत के मैनुफैक्चरिंग हब बनने और चीन से तुलना
इस मामले में यूपीए सरकार ने पिछले 10 वर्षों में क्या किया है. चीन की मुख्य क्षमता कम लागत में वस्तु निर्माण की है. लोग चीनी समान खरीदते हैं, क्योंकि वह सस्ता है. भारत में मैनुफैक्चरिंग सेक्टर को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए विश्वस्तरीय बुनियादी सुविधाओं के साथ ही इस क्षेत्र में ब्याज दरों को सरल बनाने की जरूरत है. साथ ही बिजली, व्यापार सुविधा, ग्लोबल टैक्सेशन और श्रम के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी दरों में लचीला रुख अपनाने और त्वरित निर्णय लेने की जरूरत है. क्या इन और इससे इतर अन्य जरूरी सुधार के क्षेत्र में यूपीए सरकार एक इंच भी आगे बढ़ी है. यकीनन इसका उत्तर नहीं है.
4. 1984 और 2002 के गुजरात दंगों में तुलना
वर्ष 1984 में 31 अक्टूबर की दोपहर एम्स के बाहर एक नारा शुरू हुआ 'खून के बदले खून'. यह वह जगह थी जहां श्रीमति इंदिरा गांधी के शव को रखा गया था. तब कांग्रेस नेताओं को भीड़ का नेतृत्व करते देखा गया. हजारों जगहों पर सिखों की हत्या की गई. इनमें से किसी भी जगह पर पुलिस ने भीड़ हटाने के लिए एक गोली तक नहीं चलाई. इन मामलों की जांच नहीं हुई. जांच के लिए एक समिति बनी जो एक ठगने वाली रिपोर्ट लेकर आई. पीड़ितों को अभी तक न्याय नहीं मिला है.
गुजरात में हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया. भाड़ी दबाव के बीच पुलिस ने कई जगहों पर फायरिंग की, जिसमें लगभग 300 दंगाईयों की मौत हुई. हजारों मुकदमें दर्ज हुए, सैकड़ों को सजा हुई. प्रदेश के मुख्यमंत्री तक को कई जांच से गुजरना पड़ा, जिसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी भी शामिल है. लेकिन उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले.
जाने राहुल गांधी को यह विचार कहां से आया कि 1984 के दंगों में राज्य की कोई भागीदारी नहीं थी?
4. भ्रष्टाचार के मुद्दे पर
कांग्रेस पार्टी ने बिहार में एक दोषी करार दिए गए नेता से गठजोड़ किया है. लालू प्रसाद यादव के बिना कोई आरजेडी नहीं है. वहीं, जब हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर आरोपों की बात आती है तो राहुल गांधी इसे अलग तरीके से देखते हैं. महाराष्ट्र में जब अशोक चव्हाण को जमानत मिलती है तो वह सहानुभूति के भाव प्रकट करते हैं. वह 2जी स्पेक्ट्रम और कोल ब्लॉक आवंटन पर चुप्पी साध लेते हैं. उनका मानना है कि कोई कानून भ्रष्टाचार को खत्म कर देगा.
5. इंटरव्यू में सबसे चौंकाने वाला बयान
राहुल गांधी अपने इंटरव्यू में कहते हैं, 'जो कोई भी मुझे जानता और समझता है उसे यह पता है कि मैं राजवंश की अवधारणा के खिलाफ हूं.' यकीनन श्री गांधी आप यह जानते हैं कि आपकी इस बात पर देश को भरोसा नहीं होगा.